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Morena Lok sabha Seat: क्या 28 साल बाद कांग्रेस छीन पाएगी भाजपा से यह सीट, 4 जून का है इंतजार

भाजपा ने इस सीट पर शिवमंगल सिंह तोमर को मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस ने इस बार सत्यपाल सिंह सिकरवार को उतारा है। वहीं बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) ने रमेश चंद्र गर्ग को उतारा है। अब सभी की निगाह 4 जून पर टिक गई है…।

मोरेनाMay 31, 2024 / 10:05 am

Manish Gite

Morena Lok sabha Seat:
Morena election results: मध्यप्रदेश की मुरैना लोकसभा सीट पर पिछले 28 वर्षों से भाजपा का कब्जा है। लगातार कांग्रेस उम्मीदवार बदल-बदलकर यह सीट भाजपा से छीनने की कोशिश कर रही है। भाजपा ने इस सीट पर शिवमंगल सिंह तोमर को मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस ने इस बार सत्यपाल सिंह सिकरवार को उतारा है। वहीं बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) ने रमेश चंद्र गर्ग को उतारा है। 7 मई को हुए मतदान में इस सीट पर 66.05 फीसदी वोटिंग हुई थी। अब 4 जून को पता चलेगा कि इस सीट पर किसने कितना जोर मारा है।
मध्यप्रदेश में बागियों के लिए प्रसिद्ध बीहड़ और चंबल में मुरैना सीट की अलग पहचान है। यह क्षेत्र इसलिए भी जाना जाता है क्योंकि इस क्षेत्र में सिहोनिया, पहाड़गढ़, मीतावली, नूराबाद, सबलगढ़ का किला विशेष महत्व रखते हैं। इसके अलावा घड़ियालों के लिए प्रसिद्ध राष्ट्रीय चंबल सेंचुरी भी यही हैं। यहां दुनिया में सबसे ज्यादा घड़ियाल और मगरमच्छ हैं। मुरैना लोकसभा सीट में श्योपुर जिला भी आता है। ग्वालियर से 46 किमी दूर स्थित मुरैना क्षेत्र में 8 विधानसभाएं भी हैं। इनमें श्योपुर जिले की श्योपुर, विजयपुर, मुरैना जिले की सबलगढ़, जौरा, सुमावली, दिमनी, अंबाह विधानसभाएं हैं।
2019 की बात करें तो यहां से भाजपा के नरेंद्र सिंह तोमर (narendra singh tomar) चुनाव जीते थे। वे केंद्र की मोदी सरकार में मंत्री भी रहे। तोमर को हाल ही में एमपी में हुए मुरैना जिले की दिमनी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ाया गया था। जीतने के बाद वे एमपी विधानसभा के अध्यक्ष बन गए हैं। पहले नरेंद्र सिंह तोमर के सामने कांग्रेस की ओर से रामनिवास रावत को मैदान में उतारा था, लेकिन उन्हें 4.28 लाख वोट मिले और नरेंद्र सिहं तोमर को 5.41 वोट मिले। तब इस क्षेत्र में कुल मतदाता 18 लाख 37 हजार 723 थे। तोमर ने रामनिवास रावत को 1 लाख 13 हजार वोटों के अंतर से हरा दिया था। राम निवास रावत कुछ ही दिन पहले भाजपा में शामिल हो चुके हैं।
2014 की बात करें तो भाजपा के अनूप मिश्रा ने भी इसी सीट पर शानदार जीत दर्ज की थी। उन्हें कुल 3.75,567 वोट मिले थे। जबकि बहुजन समाज पार्टी के बृंदावन सिंह सिकरवार को 242586 वोट मिले थे। कांग्रेस तीसरे नंबर रही। कांग्रेस के डा. गोविंद सिंह को 1 लाख 84 वोट मिले थे। तब इस सीट पर कुल मतदाता 17 लाख 2457 मतदाता थे।
2009 के चुनाव में भी भाजपा के नरेंद्र सिंह तोमर चुनाव जीते थे। उन्हें कुल 3,00647 वोट मिले थे। जबकि कांग्रेस की ओर से खड़े हुए रामनिवास रावत को 1 लाख 99 हजार वोट मिले थे। जबकि तीसरे नंबर पर बसपा के बलवीर सिंह दंडोतिया रहे। उन्हें 1 लाख 42 हजार 073 वोट मिले थे। तब 13 लाख 39 हजार 897 मतदाता थे।
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मुरैना सीट के इतिहास पर एक नजर

मुरैना लोकसभा सीट (morena lok sabha seat) पहली बार 1952 में बनी थी। उस समय कांग्रेस के राधाचरण शर्मा ने चुनाव जीता था। साल 1962 में हुए आम चुनाव में सूरज प्रसाद सांसद चुने गए और 1967 में निर्दलीय आत्मदास ने चुनाव जीता था। इसके बाद 1971 के चुनाव में भारतीय जनसंघ के हुकुमचंद कछवाई चुनाव जीते थे और 1977 में छविराम अर्गल जनता पार्टी के टिकट पर संसद भवन गए थे। लेकिन 1980 में कांग्रेस ने वापसी की और बाबूलाल सोलंकी को संसद भवन भेज दिया। इसके बाद 1984 में कांग्रेस के कम्मोदीलाल जाटव संसद भवन पहुंच गए। पहली बार 1989 में यहां भाजपा का परचम लहराया और छविराम अर्गल सांसद बन गए। इसके बाद 1981 में कांग्रेस के टिकट पर बारेलाल जाटव सांसद बन गए। साल 1996 में हुए चुनाव में भाजपा के अशोक अर्गल सांसद बन गए। इसके बाद से यह सिलसिला चलता रहा और भाजपा लगातार इस क्षेत्र में अपनी धाक जमाए हुए हैं।

यह है समीकरण

मुरैना लोकसभा सीट ब्राह्मण और राजपूतों के दबदबे वाली मानी जाती है। यहां दोनों ही जातियों के बीच सियासी लड़ाई चलती रहती है। इस क्षेत्र में सवर्ण वोटर निर्णायक भूमिका निभाते आ रहे हैं। ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या दो लाख है, जबकि राजपूत मतदाताओं की संख्या भी 2 लाख है। जबकि दलित मतदाताओं की संख्या पौने तीन लाख के करीब है। वहीं वैष्य मतदाता सवा लाख हैं। इसके अलावा क्षेत्र में करीब 90 हजार मुस्लिम मतदाता भी हैं।
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