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अधिकांश गौशालाएं खाली, मवेशी सड़क पर, हर महीने 15 से 20 हादसे

गोवंश की दुर्दशा: जिले में स्वीकृत 108 में से 104 गौशालाएं बनीं, 29 ही चालू

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अधिकांश गौशालाएं खाली, मवेशी सड़क पर, हर महीने 15 से 20 हादसे,अधिकांश गौशालाएं खाली, मवेशी सड़क पर, हर महीने 15 से 20 हादसे

मुरैना। सड़कों पर घूमता आवारा गौवंश लोगों के लिए सिरदर्द बन गया है। आवारा गौवंश ग्रामीण क्षेत्र में जहां खेतों में खड़ी फसल को बर्बाद कर किसानों का नुकसान कर रहे है। वहीं शहरी व कस्बाई क्षेत्रों में गौवंश से सड़क दुघर्टनाओं का ग्राफ बढ़ गया है। हालात यह है किए माह में जिलेभर में 15 से 20 हादसे हो रहे हैं, जिनमें लोग चोटिल होकर अपनी जान गवा रहे हैं। इसके पीछे मुख्य वजह है शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में गौशालाएं तो हैं लेकिन उनमें गौवंश को रखने के इंतजाम नहीं हैं।
सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार जिलेभर में शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में 108 गौशालाएं स्वीकृत हैं, जिनमें से 104 गौशालाएं करोड़ों रुपए की लागत से बनकर तैयार हो गई हैं। लेकिन सिर्फ 29 गौशालाएं ऐसी हैं, जहां गौवंश को रखा जा रहा है। इसके पीछे मुख्य वजह राज्य सरकार द्वारा गौवंश के लिए दिया जाने वाला बजट हैं। सरकार एक गौवंश के लिए 20 रुपए प्रतिदिन के मान से दे रही है। जबकि एक गौवंश को सुबह-शाम दोनों टाइम 100 रुपए की खुराक चाहिए, ऐसे में पंचायतें गौवंश को रखने में असमर्थ हैं। कुछ गौशालाएं स्व-सहायता समूह चला रहे हैं लेकिन वह भी उंगलियों पर गिनी जा सकती हैं। पोरसा, अंबाह, जौरा, कैलारस, सबलगढ़, रामपुरकलां, झुंडपुरा, बानमोर आदि इलाकों में गौशालाएं खाली पड़ी हैं और गौवंश सड़कों व खेतों में जन-धन हानि कर रहा है।
-यह हुए बड़े हादसे:
1. 23 मार्च 2023: मुरैना से ग्वालियर जा रहे बाइक सवार रामदीन जाटव व उनकी मां कम्मोदेवी बानमोर कस्बे में सड़क पर अचानक आए गौवंश को बचाने के चक्कर में स्लिप हो गई। पीछे बैठी रामदीन की मां सड़क पर गिरी तो तेज रफ्तार डंपर उनके ऊपर से गुजर गया, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई।
-29 नवंबर 2022: मुरैना-जौरा रोड पर तेज रफ्तार कार आवारा गौवंश को बचाने के चक्कर में पलट गई, जिसमें विजयपुर निवासी रामसिंह मीणा, सुरेश चौहान व तीन अन्य लोग बुरी तरह से जख्मी हो गए। इलाज के दौरान रामसिंह मीणा की अस्पताल में मौत हो गई और परिवार के सिर से मुखिया का साया उठ गया।
2. 8 अगस्त 2023: थरा क्षेत्र में पोरसा साइड से आ रही वीडियोकोच बस सड़क पर आवारा खड़े सांड से टकराकर खेत में पलट गई। गनीमत रही कि हादसे में बस में सवार यात्रियों को हल्की-फुल्की खरोंच आईं। वहीं ड्राइवर व क्लीनर बस छोड़कर भाग निकले।
-गौवंश से हुए हादसों में इनकी गई जान:
1. नवंबर 2020: शहर के महावीरपुरा में रहने वाले बैजनाथ उपाध्याय (85) नवंबर 2020 में शाम के समय मंदिर की ओर जा रहे थे। पीछे से लड़ते हुए आए सांड ने उन्हें टक्कर मारी और वे सिर के बल गिर पड़े। ब्रेन हैमरेज होने पर उन्हें जिला अस्पताल से ग्वालियर रैफर किया गया, जहां उनकी 3 दिन बाद मौत हो गई।
2. शहर की गोपीनाथ की पुलिया पर रहने वाले रामवीर दर्जी जब 20 दिसंबर 2018 को अपने घर से दुकान पर जा रहे थे, तभी दो सांड लड़ते हुए आए और उन्होंने रामवीर को उठाकर पटक दिया। 8 दिन तक ग्वालियर में भर्ती रहने के बाद 2 बच्चों के पिता ने दम तोड़ दिया।
3. 12 मार्च 2023: जौरा रोड पर रहने वाले रामबरन कुशवाह की बाइक के सामने अचानक गौवंश आ गया, जिससे तेज रफ्तार बाइक सड़क पर स्लिप होकर डिवाइडर से जा टकराई। इस हादसे में रामबरन कुशवाह के सिर में चोट आई और उन्हें ग्वालियर रैफर किया गया। आज भी रामबरन कुशवाह विकलांगता का दंश झेल रहे हैं।
-गौवंश से हुए हादसों में यह हुए जख्मी:
1. 16 अगस्त 2023: 22 वर्षीय सचिन दुबे निवासी गणेशपुरा अपने ऑफिस जाने के लिए दोस्त के साथ स्कूटी से आगरा-मुंबई हाईवे पर निकले। करील वाली सैय्यद नहर के पास दो साड़ों ने स्कूटी पर हमला बोल दिया, जिससे वे सड़क पर आ गिरे। सांडों ने उन्हें दो-तीन बार सींगों पर उठाकर पटका, जिससे वे बेहोश हो गए। लोगों ने सांडों को बमुश्किल भगाया, तब कहीं जाकर डायल-100 ने उन्हें अस्पताल पहुंचाया।
2. 16 जनवरी 2023: शहर की सिग्रल बस्ती में रहने वाले रामवीर जाटव की बाइक को दो सांडों ने लड़ते हुए रामनगर तिराहे पर टक्कर मार दी, जिससे उनकी बाइक सड़क पर गिर पड़ी। इस दौरान सांडों के पैरों के नीचे आने से उनके घुटने में फ्रेक्चर हो गया। रामवीर आज भी बिस्तर पर पड़े हैं और चलने-फिरने में असमर्थ हैं।
3. 20 नवंबर 2021: 80 वर्षीय भागवती देवी धर्मपत्नी बचान सिंह तोमर निवासी पचौरी पुरा भिंड रोड पोरसा घर से बाजार के लिए निकली थीं। अचानक उनके ऊपर सांड ने हमला कर दिया। सांड ने उनके पेट में सींग मार दिया। इससे उनका पेट फट गया। उन्हें तत्काल पोरसा अस्पताल लाया गया, जहां डॉक्टर्स ने पेट में 12 टांके लेने के बाद पहले मुरैना जिला अस्पताल और वहां से ग्वालियर रैफर कर दिया गया।
-लोगों का कहना
1. हमारे पोरसा में ही मुख्य बाजार में आवारा गौवंश का आतंक है। कॉलेज आते-जाते वक्त डर लगा रहता है कि कहीं कोई हादसा न हो जाए।
कुमकुम सेंगर, छात्रा पोरसा
2. मैं खुद आवारा गौवंश का शिकार हो गया। गनीमत रही कि सिर्फ सिर में चोट लगी, अन्यथा अनहोनी हो सकती थी। लेकिन प्रशासनिक अफसरों को इसकी चिंता ही नहीं।
सचिन दुबे, निवासी मुरैना
3. हाईवे पर आवारा गौवंश के टोल ऐसे मंडराते हैं जैसे यह चारागाह हो। न एनएचएआई न शहर में नगर निगम कोई भी इन्हें पकड़कर जंगल में नहीं छोड़ता। हादसे तो होंगे।
अशोक शर्मा, निवासी मुरैना
4. आवारा गौवंश को जब सड़कों पर ही घूमना था तो सरकार ने गौशाला बनाने पर करोड़ों रुपए बर्बाद क्यों किए। अफसरों की उदासीनता से रोज लोग जख्मी हो रहे हैं।
मधुकर शर्मा, समाजसेवी व आरटीआई कार्यकर्ता।
-गौशालाओं का संचालन समूहों के हाथों में सौंप रहे हैं:
जिले में जो गौशाला बनकर कंप्लीट हो गई हैं, उनका संचालन हम स्व-सहायता समूहों के हाथों में सौंप रहे ताकि वे गौवंश को भी रखें और गोबर आदि से बनने वाले उत्पादों से गौशालाओं का खर्च मेंटेनेंस करें।
डॉ. इच्छित गढ़पाले, सीईओ जिपं मुरैना