मुरैना. बागचीनी- नंदपुरा मार्ग पर बन रही 30 करोड़ की सडक़ के घटिया निर्माण को लेकर ग्रामीणों में आक्रोश है। सडक़ निर्माण के साथ ही उसमें दरार पडऩे लगी हैं, ग्रामीणों ने पहले कलेक्टर को जनसुनवाई में शिकायत की, जब कार्रवाई नहीं हुई तो सडक़ निर्माण के दौरान बागचीनी गांव में विरोध प्रदर्शन किया।
नेशनल हाईवे क्रमांक 552 जौरा रोड बागचीनी चौखट्टा से नंदपुरा कैनाल तक करीब 17 किमी की सडक़ निर्माण का कार्य करीब डेढ़ साल पूर्व शुरू हुआ था, एक तो कार्य समय सीमा में पूरा नहीं हो सका और कार्य भी घटिया स्तर का हो रहा है। इसको लेकर विभाग भी गंभीर नहीं हैं। सडक़ की चौड़ाई सात मीटर है लेकिन बागचीनी थाने से पहले मोड़ पर चौड़ाई कम कर दी गई है। ग्रामीणों का कहना हैं कि रात के समय सडक़ पर सीमेंट कंकरीट डाली जा रही है, जबकि ये कार्य दिन में भी किया जा सकता है, बागचीनी मार्ग पर इतना ट्रैफिक भी नहीं हंैं फिर भी निर्माण एजेंसी रात में ही काम करती है। इस सडक़ के निर्माण होने से 72 गांव के लोगों को आवागमन में सुविधा होगी।
विभाग ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि सीमेंटीकरण की सडक़ पर पानी की अधिक आवश्यकता होती है, खासकर इन दिनों गर्मी अधिक है। उसके बाद भी सडक़ सूखी पड़ी है। यहां तराई ठीक से नहीं की जा रही है।
बागचीनी- नंदपुरा कैनाल मार्ग पर जहां- जहां बस्ती है, वहां पर सीमेंटी की सडक़ बनाई जा रही है। सडक़ की खुदाई के दौरान पूर्व से पड़े डामर व गिट्टी को निर्माण एजेंसी अपने प्लांट पर ले गई। उसको नए सिरे से डामर में मिलाकर सडक़ पर डाला जा रहा है, इस तरह की शिकायत ग्रामीण जनसुनवाई में कर चुके हैं।
सडक़ के दोनो तरफ बजरी व मिट्टी का शोल्डर बनाने का एस्टीमेंट विभाग ने तैयार किया था लेकिन निर्माण एजेंसी द्वारा शोल्डर के लिए सिर्फ मिट्टी डाली जा रही है, बजरी का नाम निशान भी नहीं हैं। इसको विभागीय अधिकारियों को देखना चाहिए लेकिन उनके द्वारा मॉनीटरिंग नही की जा रही है।
बागचीनी सडक़ निर्माण में हो धांधली की शिकायत जनसुनवाई में की जा चुकी है। कुछ ग्रामीणों के साथ हम प्लांट पर भी गए। वहां मिट्टी मिलाकर चंबल नदी का रेत उपयोग किया जा रहा है।
सडक़ निर्माण से पूर्व खरोंचकर पुराने डामर व गिट्टी को ठेकेदार के लोग प्लांट में ले गए। वहां से नए सिरे से मटेरियल तैयार करके पुराने डामर व गिट्टी को सडक़ निर्माण में डाला जा रहा है।
सरकारी निर्माण कार्य में नियमानुसार सिंध नदी के रेत उपयोग किया जाना चाहिए। लेकिन यहां प्रतिबंधित चंबल नदी के रेत उपयोग धडल्ले से हो रहा है।
दिलीप सिकवार, रहवासी
बिजली के खंभे नहीं हटाए जा सके, इसलिए सडक़ निर्माण में विलंब हुआ है। सडक़ के कुछ हिस्से में दरार पड़ गई हैं, उस हिस्से को रिजेक्ट कर दिया है, उसका दोबारा से निर्माण कराया जाएगा।
Published on:
12 Jun 2025 01:02 pm