विदित हो कि इस तरह से इस विकास योजना के काम में देरी हो रही है, जबकि म्हाडा की ओर से ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है। इसलिए निवासियों को भ्रम में छोड़ दिया गया है कि क्या उन्हें म्हाडा पर भरोसा करना चाहिए या उनका यह कहते हुए विरोध करना चाहिए कि उनका पुनर्विकास ही नहीं होगा। साथ ही कई रहिवासियों का यब भी कहना है कि ऐसे कई लोग धोखा खा चुके हैं, जो म्हाडा पर विश्वास करके संक्रमण शिविर में चले गए हैं। इसलिए यदि म्हाडा परियोजना को शुरू नहीं करना चाहती है, तो स्थानीय निवासियों के स्थानांतरित करने की प्रक्रिया को रोक दिया जाना चाहिए। यह मांग एमएन जोशी मार्ग बीडीडी चॉल पुनर्विकास समिति के अध्यक्ष कृष्णकांत नलगे ने म्हाडा से की है।
उल्लेखनीय है कि एमएन जोशी मार्ग और परेल के बीडीडी चॉल पुनर्विकास परियोजना के पहले चरण में म्हाडा ने पत्र लोगों को नवंबर में प्रस्तावित नए भवन के घरों को निवासियों के लिए जारी करने वाला है। वहीं मौजूदा समय में म्हाडा ने 146 पात्र घरों के लिए निवासियों संगअनुबंध करके उन्हें ट्रांजिट शिविर में भेजा है। वहीं म्हाडा अधिकारियों में कहना है कि अगर किन्हीं कारणों से विकास कार्य नहीं हो पा रहा है तो निवासियों को प्रभावित नहीं होना चाहिए। एमएन जोशी मार्ग और परेल के बीडीडी चॉल पुनर्विकास परियोजना में अर्हता प्राप्त करके ट्रांजिट निवासियों के बीच विश्वास पैदा करने के लिए अनुबंध करने के विकल्प को भी म्हाडा ने स्वीकार कर लिया है।
सरकार ने अनुबंध के औपचारिक पंजीकरण और कम्प्यूटरीकृत निकासी के तरीके को अपनाया है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि परियोजना से ट्रांजिट कैम्प में पलायन करने वाले पात्र निवासियों को 31 अक्टूबर तक प्रस्तावित नए भवन तक पहुंचाया जा सके।- बी. राधाकृष्णन, सीओ, म्हाडा