
Pragya Thakur Acquittedin 2008 Malegaon Blast Case: मुंबई की विशेष एनआईए अदालत ने गुरुवार को 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया। अदालत ने पूर्व भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर (Pragya Singh Thakur), लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित सहित सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपों को सिद्ध करने में असफल रहा, इसलिए सभी आरोपियों को दोषमुक्त किया जा रहा है।
फैसला सुनाए जाने के बाद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर अदालत कक्ष में फूट-फूट कर रो पड़ीं। हाथ जोड़कर जज अभय लोहाटी को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, मुझे 13 दिनों तक प्रताड़ित किया गया। मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी गई। मुझे 17 साल तक अपमानित किया गया। उन्होंने मुझे अपने ही देश में आतंकवादी करार दिया।" उन्होंने इसे केवल अपनी जीत नहीं, बल्कि पूरे "भगवा" की जीत बताया। उन्होंने कहा, जब किसी को जांच के लिए बुलाया जाता है, तो उसके पीछे ठोस आधार होना चाहिए। लेकिन उन्हें जबरन गिरफ्तार किया गया, यातनाएं दी गईं और उनका जीवन तबाह कर दिया गया। मैं एक सन्यासी का जीवन जी रही थी, लेकिन मुझे आरोपी बना दिया गया।
साध्वी प्रज्ञा ने भावुक होते हुए कहा, "मैं आज जीवित हूं क्योंकि मैं एक संन्यासी हूं। उन्होंने भगवा को बदनाम करने की साजिश रची। आज भगवा की जीत हुई है, हिंदुत्व की जीत हुई है और दोषियों को भगवान सजा देंगे।"
अदालत ने अपने फैसले में कई अहम टिप्पणियां कीं। विशेष न्यायाधीश अभय लोहाटी ने कहा कि अभियोजन पक्ष यह तो सिद्ध कर सका कि मालेगांव में विस्फोट हुआ था, लेकिन यह साबित नहीं कर सका कि वह बम उस मोटरसाइकिल में लगाया गया था, जिसे प्रज्ञा सिंह ठाकुर का बताया जा रहा था, वह बाइक प्रज्ञा सिंह ठाकुर की है यह भी साबित नहीं हो पाया।
जांच पर सवाल उठाते हुए अदालत ने कहा, फॉरेंसिक नमूने ठीक से नहीं लिए गए, घटनास्थल का न तो कोई स्केच तैयार किया गया और न ही फिंगरप्रिंट या डंप डेटा या कुछ भी इकट्ठा नहीं किया गया। अदालत ने यह भी पाया कि पीड़ितों के मेडिकल रिकॉर्ड में हेराफेरी हुई थी और वास्तविक घायलों की संख्या 101 नहीं बल्कि 95 ही थी।
लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित के खिलाफ लगाए गए आरोपों पर भी अदालत ने कहा कि उनके घर से कोई विस्फोटक सामग्री बरामद नहीं हुई थी और न ही यह साबित हो सका कि उन्होंने बम तैयार किया था या आरडीएक्स की व्यवस्था की थी।
अदालत ने अपने फैसले में महाराष्ट्र सरकार को आदेश दिया है कि विस्फोट में मारे गए लोगों के परिवारों को दो लाख रुपये और घायलों को 50 हजार रुपये मुआवजे के रूप में दिए जाएं।
मालेगांव शहर के भिक्कू चौक के पास रमजान के महीने में 29 सितंबर 2008 की रात 9:35 बजे एक मस्जिद के करीब बम धमाका हुआ। इस विस्फोट में छह लोगों की मौत हो गई थी और 95 लोग घायल हो गए। इस मामले की जांच की जिम्मेदारी पहले महाराष्ट्र एटीएस को दी गई थी। जांच की अगुवाई खुद उस समय के ATS प्रमुख हेमंत करकरे कर रहे थे, लेकिन मालेगांव बम विस्फोट की गुत्थी सुलझने से पहले ही करकरे 26/11 मुंबई आतंकी हमले में शहीद हो गए थे। बाद में इस मामले को एनआईए को सौंप दिया गया।
इस मामले में प्रज्ञा सिंह के अलावा लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित, सुधाकर द्विवेदी, मेजर रमेश उपाध्याय (रिटायर्ड), अजय रहीरकर, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी और समीर कुलकर्णी को आरोपी बनाया गया था। इस मामले में विशेष अदालत ने तीन सौ से अधिक गवाहों का परीक्षण किया। इसमें 40 गवाह बयान से मुकर गए। जबकि 40 गवाहों के बयान रद्द कर दिए गए और 40 अन्य गवाहों की मौत हो चुकी है।
Updated on:
31 Jul 2025 03:38 pm
Published on:
31 Jul 2025 02:30 pm
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