
उद्धव ठाकरे और संजय राउत (Photo: IANS/File)
बिहार विधानसभा चुनाव की तस्वीर अब लगभग साफ होती दिख रही है। अब तक आये नतीजों और रुझानों में सत्ताधारी एनडीए को स्पष्ट बहुमत मिलता दिख रहा है। भाजपा 90 और जेडीयू 84 सीटों पर आगे है या जीत चुकी है, जबकि महागठबंधन की हालत बहुत खराब है। लालू प्रसाद यादव की आरजेडी सिर्फ 25 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव पहले पिछड़ रहे थे, अब मामूली बढ़त पर हैं, लेकिन उनकी सीट पर अभी भी खतरा बना हुआ है।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, "मैं बिहार भाजपा और एनडीए गठबंधन को बधाई देता हूं। यह जीत बिहार की जनता के प्रधानमंत्री मोदी और नीतीश कुमार पर विश्वास का प्रमाण है... महिलाओं और युवाओं समेत समाज के सभी वर्गों ने जाति व्यवस्था को तोड़कर एनडीए को जीत दिलाई है। जनता ने कांग्रेस को सबक सिखाया है। AIMIM और सभी वामपंथी दलों की सीटें कांग्रेस से ज्यादा हैं। बिहार में कांग्रेस का सफाया हो गया है।“
वहीं, राज्य के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बिहार में एनडीए के शानदार प्रदर्शन के बाद महिला मतदाताओं को धन्यवाद दिया है। उन्होंने कहा कि बिहार में एनडीए ऐतिहासिक जीत की ओर बढ़ रहा है और इसका श्रेय हमारी लाडली बहनों को जाता है, जिन्होंने एनडीए के विकास कार्यों पर मुहर लगाई और एनडीए को बढ़-चढ़कर वोट किया।
शिवसेना प्रमुख शिंदे ने लालू प्रसाद यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि बिहार के मतदाता जागरूक है, उन्होंने जंगलराज को नकार दिया है। बिहार की जनता को विकास पसंद है और यह जीत विकास की हुई है।
वहीं, शिवसेना (उद्धव गुट) सांसद संजय राउत ने रुझानों में एनडीए को स्पष्ट बहुमत मिलने पर भाजपा और चुनाव आयोग पर हमला बोला। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ''बिहार विधानसभा चुनाव के परिणाम से चौंकने की जरूरत नहीं है। चुनाव आयोग और भाजपा मिलकर जो राष्ट्रीय कार्य कर रहे थे, उसे देखते हुए इससे अलग नतीजे आना संभव नहीं था। बिल्कुल महाराष्ट्र जैसा पैटर्न। जिस गठबंधन का सत्ता में आना तय था, वह 50 के अंदर ही खत्म हो गया।''
गौरतलब हो कि बिहार में जो स्थिति बन रही है, उसकी झलक पिछले साल महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भी दिखाई दी थी। महाराष्ट्र में भाजपा ने 132 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में अपनी पकड़ मजबूत की थी। शिवसेना शिंदे गुट ने 57 और एनसीपी अजित पवार ने 41 सीटें हासिल की थीं। इसके उलट महाविकास आघाड़ी (MVA) को बड़ा नुकसान हुआ था और विपक्षी गठबंधन मिलकर भी 50 सीटों का आंकड़ा पार नहीं कर सकी थी।
महाराष्ट्र में कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव गुट) और एनसीपी (शरद पवार गुट) की महाविकास आघाड़ी का प्रदर्शन इतना कमजोर रहा कि विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष चुनने की स्थिति भी नहीं बन पाई। शिवसेना (उद्धव ठाकरे) के पास सिर्फ 20 विधायक थे, कांग्रेस को 16 और शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस को केवल 10 सीटें मिली थीं। किसी भी दल के लिए राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद पाने के लिए 29 विधायकों की जरूरत होती है। लेकिन विपक्षी खेमे में किसी भी दल के पास यह संख्या नहीं थी, जिसके चलते राज्य विधानसभा में अब तक नेता प्रतिपक्ष का पद खाली है। बिहार में भी अब इसी तरह का स्थिति बनती दिख रही है। महागठबंधन 50 सीटों के आसपास सिमटा हुआ है।
महाराष्ट्र राज्य निर्वाचन आयोग ने पिछले सप्ताह 246 नगर परिषदों व 42 नगर पंचायतों के लिए 2 दिसंबर को चुनाव कराने की घोषणा की। मतगणना तीन दिसंबर को होगी। ईवीएम के माध्यम से होने वाले इन चुनावों में 6,859 सदस्यों और 288 परिषद अध्यक्षों का चुनाव होगा। ऐसे माहौल में बिहार चुनाव के रुझानों ने सत्तारूढ़ महायुति का मनोबल और बढ़ा दिया है, जबकि विपक्षी खेमे में बेचैनी बढ़ती दिखाई दे रही है।
Updated on:
14 Nov 2025 09:01 pm
Published on:
14 Nov 2025 07:22 pm
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