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मुंबई के नामचीन बिल्डर को CBI ने किया गिरफ्तार, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से 280 करोड़ के फ्रॉड का आरोप

Hareesh Mehta Loan Fraud: आरोप है कि राजपूत रिटेल (RRL) के गुप्ता बंधुओं ने फर्जी दस्तावेजों की मदद से कथित तौर पर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से कर्ज लिया था। जिससे बैंक को 280 करोड़ रुपये का चूना लगा।

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मुंबई

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Dinesh Dubey

Jun 05, 2023

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मुंबई पुलिस

SBI Loan Fraud Case: सीबीआई (CBI) ने दो दशक पुराने 280 करोड़ रुपये के बैंक लोन धोखाधड़ी मामले (Loan Fraud Case) में दक्षिण मुंबई के एक प्रमुख बिल्डर को गिरफ्तार किया है। केंद्रीय जांच एजेंसी ने शहर के जाने-माने रोहन डेवलपर्स (Rohan Developers) के हरीश मेहता (Hareesh Mehta) को गिरफ्तार किया।

मिली जानकारी के मुताबिक, ठाणे की एक अदालत सोमवार को हरीश मेहता की जमानत याचिका पर सुनवाई कर सकती है। वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में है। 24 मई को अदालत ने सीबीआई को मेहता की और हिरासत देने से इनकार कर दिया था। यह भी पढ़े-Mumbai: कोई कमर में तो कोई लेडिज पर्स में छिपाकर लाया था 6.2 करोड़ का सोना, 4 गिरफ्तार

सीबीआई की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) की शिकायत पर 2016 में बैंक धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया था। 2018 में सीबीआई ने राजपूत रिटेल्स (जो अब श्रीम कॉर्पोरेशन है), इसके प्रमोटरों विजय गुप्ता और अजय गुप्ता, एसबीआई (State Bank Of India) अधिकारी वीएन कदम और दो अन्य लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी।

करीब पांच साल पहले सीबीआई ने रूबी मिल्स (Ruby Mills) के प्रबंध निदेशक भरत शाह को भी गिरफ्तार किया था, लेकिन बाद में उन्हें जमानत मिल गई। सीबीआई ने अपनी जांच जारी रखी और फिर इस मामले में मेहता और उनकी कंपनियों की भूमिका का खुलासा हुआ।

सीबीआई के मुताबिक, मेहता, भरत शाह, विजय गुप्ता और अजय गुप्ता की मिलीभगत से एसबीआई को 280 करोड़ रुपये का चूना लगा। मेहता को इसमें से 50 करोड़ रुपये भी मिले है। लेकिन मेहता ने कथित रूप से यह पैसे रूबी मिल्स से कर्ज के रूप में लिए थे, जिसका उपयोग उन्होंने अपने निजी कामों के लिए किया और कर्ज के तौर पर अपनी अन्य कंपनी में निवेश किया।

आरोप है कि राजपूत रिटेल (Rajput Retail Ltd (RRL) के गुप्ता बंधुओं ने फर्जी दस्तावेजों की मदद से कथित तौर पर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से कर्ज लिया था। शिकायत में कहा गया है कि आरआरएल और उसके निदेशकों ने अज्ञात सरकारी कर्मचारियों की मदद से साजिश रची और बैंक से तीन बार लोन प्राप्त किए। आरोपियों ने कथित तौर पर फर्जी जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल किया और बैंक से 280 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की।