
आए दिन इस वजह से बंद हो रही सायन अस्पताल की डायलिसिस यूनिट ?
मुंबई. पिछले 10 दिनों में दूसरी बार बीएमसी की ओर से संचालित सायन अस्पताल में डायलिसिस यूनिट को रविवार को आरओ जल शोधन टैंक के कारण बंद करना पड़ा। इसलिए वार्ड में डायलिसिस के लिए ले जाने वाले मरीजों को दूर ही रखना पड़ा। महज एक हफ्ते में यह दूसरी ऐसी घटना है। पिछले महीने से अब तक यह चौथी बार है, जब डायलिसिस यूनिट को आरओ टैंक के साथ समस्याओं के चलते बंद कर दिया गया है, लेकिन अस्पताल अधिकारियों को अभी तक कोई स्थायी समाधान नहीं मिल सका है। अंतिम घटना के बाद 25 नवंबर को टैंक की मरम्मत के लिए निर्माता बुलाया गया और उसने अस्थायी रूप से समस्या को ठीक भी कर दिया। वहीं सायन अस्पताल के डॉक्टरों की माने तो रविवार को टैंक का एक अलग हिस्सा लीक हो गया। सायन अस्पताल में भर्ती चार मरीजों को, जिन्हें रविवार को वार्ड में डायलिसिस के लिए ले जाया गया था, सभी को दूर ही करना पड़ा। डॉक्टरों ने रिश्तेदारों को मरीजों को दूसरे अस्पतालों में ले जाने के लिए कहा, क्योंकि उन्हें यकीन नहीं था कि डायलिसिस यूनिट फिर से शुरू हो जाएगी।
छुट्टी पर हैं डीन...
विदित हो कि 83 वर्षीय तुकाराम रामगुडे गुर्दे की समस्या से पीड़ित हैं और उन्हें सप्ताह में तीन बार डायलिसिस की जरूरत होती है। उनके बेटे गणेश की माने तो उनके पिता को डायलिसिस की तत्काल आवश्यकता है। जबकि गणेश से अस्पताल की तलाश करने के लिए कहा गया था। बकौल गणेश, 'मैंने पिताजी के इलाज पर पहले ही 50 हजार रुपये खर्च कर दिए हैं। हम पहले से ही कर्ज में हैं और मेरे पास उन्हें दूसरे अस्पताल में शिफ्ट करने के लिए पैसे नहीं हैं। वह सायन अस्पताल में ही इंतजार करेंगे, जहां प्रक्रिया नि:शुल्क है, जब तक मशीनों की मरम्मत नहीं हो जाती।' बहरहाल, अस्पताल के डीन डॉ. मोहन जोशी से डायलिसिस यूनिट में स्थिति के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि वह छुट्टी पर हैं, लेकिन उन्होंने कहा कि उन्हें इस मुद्दे पर अपडेट मिलेगा।
मैकेनिकों ने किया इनकार...
उल्लेखनीय है कि नाम न छापने को लेकर नेफ्रोलॉजी विभाग के एक डॉक्टर ने बताया कि आरओ प्लांट बार-बार टूटता रहता है। अस्पताल के अधिकारी इस बारे में कुछ क्यों नहीं कर सकते हैं? मरीजों के रिश्तेदारों को हम पर गुस्सा आता है, क्योंकि प्रशासन समस्या को हल करने के लिए कुछ नहीं कर रहा है। उन्होंने कहा कि मैकेनिकों ने रविवार को सिस्टम को ठीक करने से इनकार कर दिया। पिछले हफ्ते ही अस्पताल के नेफ्रोलॉजिस्टों के एक समूह ने डीन को पत्र लिखकर मांग की थी कि इस प्रणाली को तुरंत बदल दिया जाए, लेकिन शिकायतों के बावजूद सिस्टम को चार वर्षों में प्रतिस्थापित नहीं किया गया है। वहीं पत्र में डॉक्टरों ने यह भी कहा कि एक डायलिसिस यूनिट पर उचित जल उपचार के बिना काम नहीं कर सकता है। मनोज यादव ने अपने 65 वर्षीय पिता मनोबल यादव को लेकर कहा कि उन्हें डायलिसिस की आवश्यकता है, लेकिन हमें बताया गया कि पाइपलाइन टूट गई। अगर मेरे पिता के साथ कुछ होता है तो कौन जिम्मेदार होगा?
तकनीशियनों की भारी कमी...
सायन अस्पताल के नेफ्रोलॉजी विभाग में केवल आठ बिस्तर की सुविधा है और जहां तकनीशियनों की हमेशा कमी रहती है। इन सबके बावजूद डॉक्टर अभी भी हर दिन 28 डायलिसिस रोगियों का प्रबंधन करते हैं और यह आंकड़ा प्रति माह 400 के करीब जाता है। वहीं तकनीशियनों की सीमित संख्या के चलते 12 में से चार मशीनों को संचालित भी नहीं किया जा सकता है। वहीं इसी वजह से रात 8 बजे से सुबह 8 बजे के बीच डायलिसिस नहीं किया जा सकता है।
Published on:
03 Dec 2019 11:05 am
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