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हाथों में हथकड़ी, चेहरे पर नकाब… नगरसेवक बनने का ख्वाब लेकर पर्चा भरने पहुंचा गैंगस्टर, लेकिन बिगड़ा खेल

गैंगस्टर बंडू शनिवार को भारी पुलिस सुरक्षा में नामांकन दाखिल करने पहुंचा था। लेकिन जरूरी दस्तावेज पूरे न होने के कारण वह नामांकन प्रक्रिया पूरी नहीं कर सका।

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मुंबई

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Dinesh Dubey

Dec 28, 2025

Bandu Andekar nomination Pune election

कड़ी सुरक्षा में नामांकन दाखिल करने पहुंचा गैंगस्टर बंडू (Photo: IANS)

पुणे नगर निगम (PMC) चुनाव के नामांकन के दौरान एक ऐसा नजारा देखने को मिला, जिसने हर किसी को हैरान कर दिया। जब रस्सियों में बंधा और काले कपड़े से सिर ढका हुआ पुणे का कुख्यात गैंगस्टर सूर्यकांत उर्फ बंडू आंदेकर (70) भारी पुलिस सुरक्षा के बीच पर्चा भरने पहुंचा। लेकिन, उसकी यह चुनावी एंट्री नाकाम साबित हुई।

पार्षद (नगरसेवक) बनने का सपना लेकर शनिवार दोपहर साढ़े 12 बजे नामांकन केंद्र पहुंचे बंडू आंदेकर (Bandu Andekar) को आखिरकार खाली हाथ लौटना पड़ा। हत्या के मामले में गिरफ्तार 70 वर्षीय बंडू शनिवार को कड़ी पुलिस सुरक्षा के बीच भवानी पेठ वार्ड कार्यालय पहुंचा था, लेकिन जरूरी दस्तावेज पूरे न होने के कारण वह नामांकन दाखिल नहीं कर सका।

रास्ते बंद, किसी को कार्यालय में आने की अनुमति नहीं थी

बंडू आंदेकर और उसके परिवार की दो महिलाएं भी नामांकन भरने पहुंची थी, जिसमें बंडू की बहू सोनाली और भाभी लक्ष्मी भी शामिल थीं। आंदेकर परिवार के कई सदस्य वर्तमान में आयुष कोमकर हत्याकांड के सिलसिले में जेल में बंद हैं।

जब आंदेकर को पुलिस वैन से उतारा गया, तब उसने विक्ट्री साइन दिखाया और जोर-जोर से नारे लगाने लगा "नेकी का काम, आंदेकर का नाम"। उसने पुलिस कस्टडी में होते हुए भी भीड़ की तरफ हाथ हिलाया और नारे लगाये।  

आंदेकर के अलावा उसकी बहू और भाभी भी उसी वार्ड से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल करने पहुंचीं। दोनों फिलहाल कोल्हापुर जेल में बंद हैं और पुलिस निगरानी में पुणे लाई गई थीं। चेहरे ढंके हुए वे करीब सुबह साढ़े 11 बजे वार्ड कार्यालय पहुंचीं, लेकिन उनका नामांकन प्रक्रिया भी पूरा नहीं हो सका।

क्यों नहीं हो पाया नामांकन?

विशेष मकोका (MCOCA) अदालत से अनुमति मिलने के बाद बंडू और उसके परिवार की दो महिलाओं को कड़ी पुलिस सुरक्षा में भवानी पेठ वार्ड ऑफिस लाया गया था। खासकर गैंगस्टर की सुरक्षा के लिए पुलिस ने वार्ड ऑफिस की ओर जाने वाले रास्तों को बंद कर दिया था। पुलिस ने वहां निजी काम से जाने वाले लोगों की भी तलाशी ली। इस दौरान नामांकन करने पहुंचे निर्दलीय उम्मीदवारों को भी सड़कों पर घंटों इंतजार करना पड़ा।

हालांकि इतने सुरक्षा तामझाम के बावजूद तीनों का पार्षद बनने का ख्वाब फिलहाल अधूरा रह गया। बताया जा रहा है कि कागजात अधूरे होने के कारण अधिकारियों ने उनका फॉर्म स्वीकार नहीं किया। जिसके बाद उन्हें बिना नामांकन किए ही वापस जेल जाना पड़ा।

चुनाव अधिकारी कल्याण पांढरे ने बताया कि उनके पास जरूरी दस्तावेज पूरे नहीं थे। आंदेकर और उनकी बहू व भाभी निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन पत्र जमा करना चाहते थे।

क्या है पूरा मामला?

बंडू आंदेकर और उसके परिवार के सदस्यों को 18 वर्षीय आयुष कोमकर की हत्या (Ayush Komkar murder case) के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। आयुष की हत्या इसी साल 5 सितंबर को उसके रिहायशी इमारत के पार्किंग परिसर में गोली मारकर कर दी गई थी। बंडू, उसके बेटे, बेटी, बहू और परिवार के अन्य सदस्यों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था।