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मराठी के नाम पर फिर एक गरीब को पीटा, बीजेपी नेता भड़के, कहा- हिंदुओं को पीट रहे हो…गलत है

Marathi Language Row : महाराष्ट्र में ‘मराठी बनाम हिंदी’ विवाद एक बार फिर राजनीतिक बहस का केंद्र बन गया है। आगामी स्थानीय चुनावों को देखते हुए राज ठाकरे की पार्टी मनसे ने इस मुद्दे पर आक्रामक रुख अपनाया है।

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मुंबई

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Dinesh Dubey

Jul 24, 2025

Raj Thackeray Marathi Row

मनसे प्रमुख राज ठाकरे (Photo- IANS)

महाराष्ट्र के नांदेड के एक एसटी बस डिपो पर मराठी भाषा को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के कार्यकर्ताओं ने एक गरीब शौचालय संचालक को इसलिए पीट दिया क्योंकि उसे मराठी नहीं आती थी और वह हिंदी में बात कर रहा था। यह घटना राज्यभर में चर्चा का विषय बन गई है, खासकर जब मामला मराठी अस्मिता और भाषा को लेकर पहले से गरमाया हुआ हो।

क्या है पूरा मामला?

नांदेड शहर के मुख्य एसटी बस डिपो पर उत्तर भारतीय शौचालय संचालक लोगों से 5 रुपये वसूल कर रहा था। इसको लेकर एक स्थानीय व्यक्ति की उससे बहस हो गई। इसके बाद स्थानीय व्यक्ति ने मराठी में बात करने के लिए दबाव बनाया तो शौचालय संचालक ने कहा की वह मराठी में नहीं बात करेगा, उसे हिंदी आती है।

स्थानीय व्यक्ति ने इस पूरी घटना का वीडियो बनाया गया और मनसे कार्यकर्ताओं को भेज दिया। अगले दिन मनसे कार्यकर्ता मौके पर पहुंचे और शौचालय संचालक की पिटाई की, साथ ही उससे सार्वजनिक रूप से माफी मंगवाई।

वायरल वीडियो में क्या है?

वीडियो में देखा जा सकता है कि एक व्यक्ति शौचालय संचालक से उसका नाम पूछता है और मराठी में बात करने के लिए बार-बार कहता है। लेकिन पीड़ित नाराज होकर कहता है, तू साहेब है क्या? और मराठी में बोलने से इनकार कर देता है। इसके बाद वीडियो मनसे कार्यकर्ताओं तक पहुंचता है, जो बस स्टैंड के बाहर शौचालय चलाने वाले उस व्यक्ति को पकड़ते हैं और उसे थप्पड़ मारकर राज ठाकरे से मराठी में माफी मंगवाते है।

बीजेपी ने किया विरोध

इस पूरे मामले पर बीजेपी विधायक राम कदम ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, मराठी भाषा के नाम पर आप हिन्दू भाइयों पर हमला कर रहे हो? हर चुनाव में जनता ने आपको नकार दिया है और अब आप मराठी के नाम पर मारपीट कर रहे हो। महाराष्ट्र की धरती पर हर भाषा का सम्मान होता रहा है। जो पार्टी हिन्दुत्व की बात करती है, वही आज हिंदुओं को निशाना बना रही है।

इस घटना ने एक बार फिर मराठी बनाम परप्रांतीय विवाद को हवा दी है। जहां एक ओर मनसे इसे मराठी अस्मिता की लड़ाई बता रही है, वहीं दूसरी ओर सत्तारूढ़ दल के नेता इसे आगामी निकाय चुनाव को लेकर सियासी स्टंट बता रहे हैं।