आईआईटी बॉम्बे ने बताया कि यह चलन वर्ष 2024 में पूरी तरह से समाप्त कर दी गई है। धीरज सिंह ने 2023 में आईआईटी प्लेसमेंट में कथित भेदभाव को लेकर आपत्ति जताई थी और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NCSC) के पास शिकायत दर्ज कराई थी।
इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जनवरी 2024 में एनसीएससी ने आईआईटी बॉम्बे, आईआईटी दिल्ली और शिक्षा मंत्रालय से 15 दिनों के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा था।
आईआईटी बॉम्बे ने स्पष्ट किया कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां जब छात्रों की भर्ती करती हैं, तो उनके अधिकारी आरक्षित श्रेणियों के लिए आवश्यक दस्तावेजों की जांच स्वयं करते हैं, लेकिन अब से प्लेसमेंट कार्यालय इस प्रक्रिया में किसी भी तरह की जन्म श्रेणी संबंधी जानकारी इकट्ठा नहीं करेगा।
प्रमुख संस्थान ने यह भी स्वीकार किया कि पहले वह छात्रों की श्रेणी संबंधी प्रोफाइलिंग करता था, लेकिन अब इसे पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। ग्लोबल आईआईटी पूर्व छात्र सहायता समूह (Global IIT alumni Support Group) के संस्थापक धीरज सिंह ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि कुछ आईआईटी प्लेसमेंट कार्यालय नियोक्ताओं को भेदभावपूर्ण प्रक्रियाओं को लागू करने में सहायता कर रहे हैं। यह समूह प्लेसमेंट प्रक्रिया में एससी/एसटी छात्रों की मदद करता हैं।
हालांकि, अब आईआईटी बॉम्बे के इस फैसले से छात्रों को प्लेसमेंट में समान अवसर और पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा।