
महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों एक बार फिर शरद पवार और अजित पवार के रिश्ते सुर्खियों में हैं। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में फूट के बाद जहां अजित पवार के नेतृत्व वाली पार्टी बीजेपी नीत महायुति सरकार का हिस्सा है, वहीं, शरद पवार के नेतृत्व वाली पार्टी एनसीपी (एसपी) कांग्रेस नीत महाविकास आघाडी (MVA) के साथ विपक्ष में बैठी है। लेकिन, हाल के दिनों में चाचा-भतीजे की बढ़ती मुलाकातों ने राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म कर दिया है।
हाल ही में अजित पवार ने अपने छोटे बेटे जय पवार की सगाई समारोह में शरद पवार का ससम्मान स्वागत किया था। इसके कुछ दिन बाद ही रयत शिक्षण संस्था की बैठक में दोनों नेता एक साथ नजर आए।
राजनीतिक मतभेदों के बावजूद एक सप्ताह में दूसरी बार दोनों नेताओं की मुलाकातों को देखकर कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या अब एनसीपी के दोनों गुटों के बीच दूरियां कम हो रही हैं?
इसको लेकर एनसीपी अजित पवार गुट के राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष प्रफुल पटेल (Praful Patel) का ताजा बयान चर्चा का केंद्र बन गया है। उन्होंने कहा, “महाराष्ट्र के विकास के लिए अगर पवार साहेब और अजित दादा एक साथ आते हैं, और इससे राज्य को लाभ मिलता है, तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है।”
सांसद प्रफुल पटेल ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर महाराष्ट्र और बारामती के विकास के लिए पवार साहब जैसे अनुभवी नेता से कोई संवाद होता है, तो उसमें कुछ भी गलत नहीं है। दोनों के दल भले ही अलग-अलग हों, लेकिन अगर महाराष्ट्र के विकास के लिए दोनों एक साथ आ रहे हैं, तो इसमें कोई बुराई नहीं है।
गौरतलब हो कि राजनीतिक रूप से भले ही वरिष्ठ नेता शरद पवार और अजित पवार अलग राह पर हों, लेकिन लगातार सार्वजनिक मंचों पर साथ दिखाई देना और अब प्रफुल पटेल जैसे बड़े नेता का मिलकर काम करने की सकारात्मक भूमिका लेना, कही इस ओर तो इशारा नहीं करता कि आने वाले समय में महाराष्ट्र की राजनीति में नए समीकरण बनेंगे।
Updated on:
14 Apr 2025 05:05 pm
Published on:
14 Apr 2025 04:57 pm
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