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LockDown3.0: देश का पहला राज्य मरीजों के उपचार के लिए तैयार, इस वजह से घोषित दरों पर बंटे अस्पताल

चिकित्सा ( Treatment ) : मनमानी वसूली (Recovery ) पर अंकुश के लिए सरकार ( Government ) की पहल, एक हजार से ज्यादा अस्पतालों ( Hospitals) में इलाज की सुविधा ( Facility ), राज्य की स्वास्थ्य सेवा निदेशक ( Director ) डॉ. साधना तायडे ( Sadhana Taiday ) ने कहा कि इसका मकसद अस्पतालों को परेशान ( Worried ) करना नहीं, बल्कि आम लोगों का उपचार सुनिश्चित ( Make Sure ) करना है

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LockDown3.0: देश का पहला राज्य मरीजों के उपचार के लिए तैयार, इस वजह से घोषित दरों पर बंटे अस्पताल

LockDown3.0: देश का पहला राज्य मरीजों के उपचार के लिए तैयार, इस वजह से घोषित दरों पर बंटे अस्पताल

मुंबई. महाराष्ट्र सरकार की महात्मा ज्योतिबा फुले जन आरोग्य योजना (एमजेपीजेएवाई) के तहत मरीजों के मुफ्त उपचार के लिए अस्पताल तैयार हैं। लेकिन विभिन्न बीमारियों के उपचार के लिए सरकार की ओर से तय दरों पर अस्पताल बंट गए हैं। हालांकि, सरकारी और बीएमसी अस्पतालों को इससे कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन निजी अस्पतालों का कहना है कि जो दरें तय की गई है, उससे उपचार की गुणवत्ता प्रभावित होगी। सस्ता उपचार करने के लिए अस्पताल मंहगे उपकरण और बेहतर साधन-सामग्री की खरीद से बचेंगे। डॉक्टर सवाल कर रहे कि सस्ते साधनों से बेहतर उपचार भला कैसे हो सकता है। मरीजों की जान का जोखिम बढ़ जाएगा। राज्य की स्वास्थ्य सेवा निदेशक डॉ. साधना तायडे ने कहा कि इसका मकसद अस्पतालों को परेशान करना नहीं, बल्कि आम लोगों का उपचार सुनिश्चित करना है।

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न्यूनतम दर से ज्यादा चार्ज नहीं
एमजेपीजेएवाई के तहत राज्य की 85 फीसद आबादी को मुफ्त उपचार सुविधा मिलेगी। बाकी 15 प्रतिशत आबादी में सरकारी कर्मचारी, मनपा-नगर निगम कर्मी और उच्च आय वर्ग के लोग शामिल हैं। स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे का कहना है कि आरोग्य बीमा सुरक्षा का लाभ इन्हें भी मिलेगा। टोपे ने दावा किया कि राज्य की पूरी आबादी स्वास्थ्य बीमा सुरक्षा के दायरे में आ गई है। उन्होंने कहा कि बीमा कंपनियों के साथ जो समझौता हुआ है, उसमें मुंबई, पुणे, ठाणे, नवी मुंबई, पनवेल आदि के अस्पताल शामिल हैं। करार में शामिल सभी अस्पतालों ने सहमति जताई है कि बेड के लिए मरीज से न्यूनतम दर से ज्यादा चार्ज नहीं वसूलेंगे।

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बीमा कंपनियों से समझौता
एमजेपीजेएवाई के लिए राज्य सरकार ने जनरल इंश्योरेंस पब्लिक सेक्टर एसोसिएशन (जीआईपीएसए) के साथ समझौता किया है। इसके तहत अन्य बीमारियों के साथ पुणे और मुंबई के निजी अस्पतालों में कोरोना मरीजों का भी उपचार होगा। पहले इस योजना में 496 अस्पताल पंजीकृत थे। लेकिन अब एक हजार से ज्यादा अस्पतालों में उपचार की सुविधा लोगों को मिलेगी।

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बीमारियों के लिए तय दर
सरकार की ओर से जो दर तय की गई है, उसके मुताबिक एंजियोग्राफी के लिए अस्पताल 12 हजार रुपए से ज्यादा नहीं ले सकेंगे। नॉर्मल डिलीवरी के लिए 75 हजार रुपए से ज्यादा चार्ज नहीं कर सकते। वॉल्व रिप्लेसमेंट का खर्च 3.23 लाख रुपए तक सीमित किया गया है। पर्मानेंट पेसमेकर लगाने के लिए 1.38 लाख रुपए से ज्यादा नहीं ले सकते। आंख के ऑपरेशन के लिए 25 हजार रुपए से ज्यादा नहीं ले सकते। पीपीई, इंट्राकुलर लेंस, स्टेंट्स, कैथेटर, बलून, आदि के लिए खरीद मूल्य से 10 प्रतिशत से अधिक पैसे नहीं ले सकते। किडनी ट्रांसप्लांट, हार्ट से जुड़ी समस्या, कैंसर, प्लास्टिक सर्जरी आदि की बीमा सुरक्षा भी इसमें शामिल है। 970 तरह की बीमारियों और 1037 तरह के ऑपरेशन के लिए लोगों को बीमा कवर मिलेगा।

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क्या कहते हैं अस्पताल
निजी अस्पतालों की शिकायत है कि उन्हें भरोसे में लिए बिना सरकार ने यह फैसला किया है। दक्षिण मुंबई के एक बड़े अस्पताल के पदाधिकारी ने कहा कि हम पहले से ही घाटा झेल रहे हैं। हॉस्पिटल्स को मुश्किल से उबारने के बजाय सरकार उनका संकट बढ़ा रही है। एक और अस्पताल के संचालक ने कहा कि सरकार की घोषणा पर अमल आसान नहीं है, हम बात करेंगे। इस तरह के मनमानी फैसलों से तो अस्पताल बंद करने की नौबत आ सकती है।

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