
महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख हर्षवर्धन सपकाल और कांग्रेस विधायक नाना पटोले
Maharashtra Congress : महाराष्ट्र में आगामी निकाय चुनाव से पहले कांग्रेस को एक और बड़ा झटका लगने जा रहा है। विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद कई बड़े नेता कांग्रेस छोड़ चुके हैं और यह सिलसिला जारी है। बीते कुछ महीनों में कांग्रेस के कई बड़े चेहरे सत्ताधारी दलों में शामिल हो चुके हैं, और अब पार्टी में गुटबाजी और असंतोष खुलकर सामने आ रहा है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, महाराष्ट्र प्रदेश युवक कांग्रेस के महासचिव रोहन सुरवसे पाटील और एनएसयूआई पुणे के महासचिव कृष्णा साठे के साथ करीब 100 पदाधिकारी जल्द ही पार्टी से इस्तीफा दे सकते हैं। सूत्रों के अनुसार, अगले दो-तीन दिनों में ये सभी नेता डिप्टी सीएम अजित पवार की एनसीपी में शामिल हो सकते हैं। हालांकि, इस बारे में आधिकारिक घोषणा अभी नहीं की गई है।
राज्य में बीते कुछ दिनों से विपक्षी दलों के कई नेता और कार्यकर्ता लगातार सत्तारूढ़ महायुति में शामिल हो रहे हैं। कुछ दिन पहले ही यह खबर सामने आई थी कि रोहन पाटील कांग्रेस छोड़ सकते हैं, और अब उनके साथ 100 से अधिक पदाधिकारियों के भी दलबदल की खबर आ रही है।
सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस के बड़े नेता मनाने की कोशिश भी कर रहे है, लेकिन गुटबाजी और आंतरिक राजनीति का हवाला देते हुए युवा नेता मानने के मूड में नहीं है। बताया जा रहा है कि वह कांग्रेस छोड़ने के फैसले पर अडिग हैं।
इससे पहले, कांग्रेस को एक और बड़ा झटका तब लगा जब पुणे से पूर्व विधायक रविंद्र धंगेकर ने पार्टी छोड़कर शिवसेना शिंदे गुट का दामन थाम लिया। अब पुणे में सामूहिक इस्तीफे की खबर ने कांग्रेस की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। इसका सीधा असर आगामी नगर निगम चुनावों पर पड़ेगा।
रविंद्र धंगेकर ने 2023 में पुणे जिले की कसबा विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में जीते थे। पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें पुणे सीट से चुनावी मैदान में उतारा था, लेकिन वह बीजेपी के मुरलीधर मोहोल से हार गए। इसके बाद नवंबर 2024 के राज्य विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने कसबा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन इस बार वह बीजेपी के हेमंत रासने से पराजित हो गए। जबकि 2023 के कसबा उपचुनाव में धंगेकर ने रासने को हराया था। शिवसेना में शामिल होने के बाद धंगेकर ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा था कि उनके लिए कांग्रेस छोड़ना आसान नहीं था। लेकिन समर्थकों और मतदाताओं की भावनाओं को देखते हुए उन्हें यह फैसला लिया।
Updated on:
17 Mar 2025 09:53 pm
Published on:
17 Mar 2025 09:52 pm
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