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Maharashtra: शिंदे सरकार का बड़ा फैसला, अब वन कर्मचारियों को मिलेगा पुलिस जैसा मुआवजा, मुफ्त में होगा इलाज

Maharashtra News: वन विभाग के कर्मचारियों के लिए जंगली जानवरों या शिकारियों के हमलों का खतरा सबसे ज्यादा होता है, जबकि कई बार प्राकृतिक आपदाओं जैसे जंगल की आग आदि की चपेट में आने से भी वन कर्मचारी हताहत या जख्मी होते है।

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मुंबई

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Dinesh Dubey

Sep 28, 2022

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Eknath Shinde

Maharashtra Forest Employees: महाराष्ट्र की शिंदे सरकार ने हजारों वन विभाग के कर्मचारियों को बड़ी सौगात दी है। राज्य कैबिनेट ने वन कर्मचारियों (Forest Department Employees) के लिए मुआवजा पैकेज (Compensation Package) को मंजूरी दे दी है। इसके तहत ड्यूटी के दौरान हादसे का शिकार होने वाले वन कर्मचारियों को उचित लाभ मिल सकेगा। वन मंत्री सुधीर मुनगंटीवार (Sudhir Mungantiwar) ने बताया कि अब वन कर्मचारियों को भी वही लाभ मिलेगा जो पुलिसकर्मियों पर लागू होता है।

मिली जानकारी के मुताबिक, वन कर्मचारियों के परिजनों को अब 25 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा। इसी प्रकार अनुकंपा के आधार पर परिवार को नौकरी दी जाएगी। यदि उत्तराधिकारी नौकरी करने में सक्षम नहीं है या वारिस नौकरी से इंकार कर देता है, तो उक्त मृतक वन कर्मचारी की निर्धारित सेवानिवृत्ति की तिथि तक का वेतन परिवार को दिया जाएगा। यह भी पढ़े-Maharashtra: अनिल देशमुख को जेल या बेल? मनी लॉन्ड्रिंग मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई हुई पूरी, फैसला सुरक्षित

यदि कोई वन कर्मचारी अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए स्थायी रूप से विकलांग हो जाता है, तो 3.6 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा। जबकि ड्यूटी करते समय घायल हुए वन कर्मचारी के इलाज का खर्च भी सरकार वहन करेगी।

मंत्री ने कहा कि जिस तरह पुलिसकर्मी सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा करते हैं, उसी तरह वन विभाग के कर्मचारी भी वन का संरक्षण कर रहे हैं, जो कि सार्वजनिक संपत्ति भी है। मुनगंटीवार ने कहा कि जंगल और वन्यजीव दोनों को सुरक्षित रखना एक बहुत ही महत्वपूर्ण काम है।

बता दें कि वन कर्मचारियों के मुआवजे के पैकेज को लेकर मांग काफी समय से लंबित थी। मंत्री ने कहा कि वन कर्मचारी हर बार ड्यूटी पर अपनी जान जोखिम में डालते हैं, उन्हें मुआवजे के पैकेज से कवर मिलना आवश्यक है।

अमूमन वन विभाग के कर्मचारियों के लिए जंगली जानवरों या शिकारियों के हमलों का खतरा सबसे ज्यादा होता है, जबकि कई बार प्राकृतिक आपदाओं जैसे जंगल की आग आदि की चपेट में आने से भी वन कर्मचारी हताहत या जख्मी होते है।