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छगन भुजबल को सदन घोटाला मामले में राहत, लेकिन बेनामी संपत्ति केस में लगा झटका, कोर्ट ने क्या कहा?

Maharashtra Politics: मुंबई की विशेष अदालत ने महाराष्ट्र के मंत्री छगन भुजबल से जुड़ा बेनामी संपत्ति का मामला बहाल कर दिया है।

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मुंबई

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Dinesh Dubey

Sep 17, 2025

Chhagan Bhujbal News

अजित पवार गुट के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल (Photo: IANS)

महाराष्ट्र सरकार के मंत्री और वरिष्ठ एनसीपी नेता छगन भुजबल की मुश्किलें बढ़ गयीं है। दरअसल मुंबई की विशेष अदालत ने एक बार फिर से उनसे जुड़ा बेनामी संपत्ति का मामला बहाल कर दिया है। यह वही मामला है जिसे 2021 में आयकर विभाग ने भुजबल, उनके बेटे पंकज, रिश्तेदार समीर और उनसे जुड़ी तीन कंपनियों- आर्मस्ट्रांग इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड, परवेश कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड और देविशा कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ दर्ज किया था।

अदालत ने साफ कहा है कि इस मामले को पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने तकनीकी आधार पर रद्द किया था, न कि आरोपों की सच्चाई पर विचार करने के बाद। यही वजह है कि अब इसे अपने मूल चरण में बहाल किया गया है। अगली सुनवाई 6 अक्टूबर को विशेष एमपी/एमएलए अदालत में होगी।

आयकर विभाग का आरोप है कि वित्तीय वर्ष 2008-09 और 2010-11 के दौरान भुजबल और उनके परिवार ने कथित तौर पर बेनामी लेनदेन किए और कंपनियों के जरिए संपत्ति अर्जित की। इनमें मुंबई और नासिक की गिरना शुगर मिल्स की संपत्तियां भी शामिल हैं, जिनका संबंध सीधे भुजबल परिवार से जोड़ा गया था।

पिछले साल दिसंबर में हाईकोर्ट ने इन आरोपों को खारिज कर दिया था और सुप्रीम कोर्ट के एक पुराने फैसले का हवाला दिया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका स्वीकार हो जाने के बाद स्थिति बदल गई और मामले को फिर से शुरू करने का रास्ता खुल गया।

विशेष अदालत के न्यायाधीश सत्यनारायण नवंदर ने अपने आदेश में कहा कि चूंकि कार्यवाही पहले केवल तकनीकी कारणों से रोकी गई थी। अदालत ने यह भी साफ किया कि उनके पास मूल कार्यवाही को आगे बढ़ाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

इस आदेश के अलावा बॉम्बे हाईकोर्ट से मंगलवार को छगन भुजबल और उनके परिवार को राहत भी मिली है। अदालत ने कथित महाराष्ट्र सदन घोटाले के संबंध में मुंबई की एक कंपनी और उसके दो निदेशकों के खिलाफ दर्ज ईडी की शिकायत और आरोपपत्र को मंगलवार को खारिज कर दिया।

जस्टिस एएस गडकरी और जस्टिस राजेश पाटिल की पीठ ने कहा कि कंपनी और उसके निदेशकों को जुलाई 2021 में एक विशेष अदालत एसीबी द्वारा दर्ज मामले में बरी कर चुकी है और इसलिए पीएमएलए के प्रावधानों के तहत अनुसूचित मामला कायम नहीं रह सकता।

हाईकोर्ट ने चमनकर एंटरप्राइजेज और उसके दो निदेशकों कृष्ण शांताराम चमनकर और प्रसन्ना शांताराम चमनकर की याचिका स्वीकार कर ली। कंपनी और उसके निदेशकों पर नई दिल्ली में महाराष्ट्र सदन के निर्माण के ठेके में अनियमितताओं के आरोप में मामला दर्ज किया गया था।

आरोप है कि उक्त ठेके के बदले, चमनकर ने महाराष्ट्र के तत्कालीन लोक निर्माण मंत्री छगन भुजबल के परिवार के सदस्यों को कथित तौर पर रिश्वत दी थी। लेकिन विशेष अदालत ने 2021 में एसीबी द्वारा दर्ज मामले को रद्द करते हुए आरोपियों को यह कहते हुए बरी कर दिया था कि ठेका देने में कोई अनियमितता हुई है ऐसा साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं है।