
Bombay High Court
बॉम्बे हाई कोर्ट ने व्यावसायिक मात्रा में मादक पदार्थ रखने के आरोपी शख्स को अग्रिम जमानत देते हुए कहा है कि बिना फूल या फल वाला भांग का पौधा ‘गांजा’ की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है। 29 अगस्त को न्यायमूर्ति भारती डांगरे की पीठ ने पारित अपने आदेश में यह भी कहा कि आरोपी के आवास से स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) द्वारा जब्त किए गए पदार्थ और रासायनिक विश्लेषण के लिए भेजे गए नमूने में भी अंतर है।
दरअसल, बॉम्बे हाईकोर्ट कुणाल कादू द्वारा दायर गिरफ्तारी से बचने के लिए जमानत की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। एनसीबी ने कुणाल के खिलाफ नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रोपिक पदार्थों के तहत अपराधों के लिए अलग-अलग धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था और इसमें उसपर गिरफ्तारी की तलवार लटकी हुई थी। यह भी पढ़ें: Pune News: नांदेड़ में स्पा सेंटर में चल रहा था देह व्यापार, एक विदेशी समेत तीन युवतियों को बचाया
बता दें कि पिछले साल अप्रैल में एनसीबी ने कुणाल के घर से तीन पैकेट में हरे पत्तेदार पदार्थ जब्त किया था जिसका वजन करीब 48 किलो था। एनसीबी ने आरोप लगाया था कि यह हरे पत्तेदार पदार्थ गांजा है और कुणाल के घर से जब्त किए गए 48 किलोग्राम पदार्थ व्यावसायिक मात्रा के दायरे में आता है। जस्टिस डांगरे ने एनडीपीएस कानून के तहत गांजा की परिभाषा पर भरोसा करते हुए बताया कि गांजा भांग के पौधे का फूल या फल वाला शीर्ष भाग होता है और जब फूल या फल वाला हिस्सा साथ नहीं हो तो पौधे के बीज और पत्ते को संबंधित श्रेणी में नहीं रखा जाना चाहिए।
डांगरे ने आगे कहा कि यह निहित है कि यदि बीज और पत्ते शीर्ष पर एक साथ फल या फूल रहे हैं तो यह गांजा है लेकिन जब बीज और पत्ते एक साथ नहीं फलते तो इसे गांजा नहीं माना जाएगा। कोर्ट ने कहा कि वर्तमान केस में एनसीबी ने कहा है कि उसने आरोपी के घर से हरे पत्तेदार पदार्थ को जब्त किया है और इसमें पौधे के शीर्ष पर फल और फूल का कोई जिक्र नहीं है।
Updated on:
04 Sept 2022 02:48 pm
Published on:
04 Sept 2022 02:46 pm
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