
उद्धव ठाकरे
महाराष्ट्र में चल रहे सियासी घमासान के बीच अब सभी के मन में यही सवाल है कि शिवसेना में आगे क्या होगा? विद्रोही शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने महाराष्ट्र के 40 से ज्यादा विधायकों को अपने पाले में लाकर, न केवल सत्ताधारी पार्टी शिवसेना के गुणा-गणित को बिगाड़ दिया है, बल्कि राज्य की महाविकास अघाड़ी (MVA) गठबंधन को भी अराजकता में डाल दिया हैं। हालांकि यहां सबसे दिलचस्प बात यह है कि वरिष्ठ नेता शिंदे अभी भी खुद को "बालासाहेब के शिव सैनिक" बता रहे है।
एक दिन पहले ही शिवसेना चीफ व महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने घोषणा की कि वह अपना पद छोड़ने के लिए तैयार हैं और पार्टी प्रमुख का पद भी छोड़ देंगे, बशर्ते बागी उनसे आमने-सामने बात करें। उन्होंने इस बात को नकार दिया कि पार्टी ने बालासाहेब ठाकरे के हिंदुत्व को त्याग दिया है। हालांकि उनके इस भावनात्मक दांव की अभी अब तक कुछ खासा असर देखने को नहीं मिला है और बगावत की बयार उल्टा तेज होती जा रही है। यह भी पढ़ें-Maharashtra Politics: एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे के सामने रखी डिमांड- बीजेपी से करें गठबंधन, वर्ना टूट जाएगी शिवसेना
शिवसेना नेता और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री एकनाथ शिंदे ने दावा किया है कि उनके पास अभी 35 से ज्यादा शिवसेना विधायकों का समर्थन है। और यह आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में आईये जानते है उन तीन महत्वपूर्ण संभावनाओं के बारें में जो आगे हमें महाराष्ट्र की राजनीति में देखने को मिल सकते है। जो न केवल शिवसेना बल्कि पूरे प्रदेश की राजनीति की धुरी बदल कर रख देखी।
एमवीए का खात्मा!
मान लीजिए कि असंतुष्ट एकनाथ शिंदे एमवीए गठबंधन को विभाजित करने में सफल हो जाते हैं, और शिवसेना को बीजेपी के साथ जाने के लिए मजबूर कर देते है। ऐसे में एमवीए गठबंधन न केवल टूट जाएगा बल्कि उसका अस्तित्व ही मिट जाएगा। ऐसे में सत्ता के बंटवारे के संभावित फार्मूले के अनुसार उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना होगा। मुख्यमंत्री की कुर्सी बीजेपी के पास होगी और शिवसेना का डिप्टी सीएम होगा, जो संभवत: शिंदे ही होंगे। फिलहाल शिवसेना प्रमुख ठाकरे बीजेपी के साथ जाने के लिए बिल्कुल तैयार नहीं हैं।
बीजेपी की होगी सत्ता में वापसी
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो शिंदे को 38 के करीब अकेले शिवसेना विधायकों का समर्थन प्राप्त है। यदि 288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा में पार्टी की कुल ताकत 56 है, तो शिंदे दो तिहाई यानी 37 शिवसेना विधायकों को अपने पक्ष में होने का प्रमाण देते हैं, तो दलबदल विरोधी कानून लागू नहीं होगा। और दलबदल के बाद शिंदे धड़े का बीजेपी के साथ जाने का रास्ता साफ हो जाएगा। बीजेपी के पास पहले से 106 विधायक व छोटे दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों का समर्थन है जो लगभग 114 की ताकत प्रदान कर रहा है। इस वजह से बीजेपी 144 के आकंडे तक आसानी से पहुंच जाएगी और राज्यपाल को सरकार गठन का प्रस्ताव भेज सकती हैं।
फ्लोर टेस्ट और मध्यावधि चुनाव
एकनाथ शिंदे ने हाल ही में कहा कि गठबंधन के खिलाफ उनके डर की पुष्टि राज्यसभा और महाराष्ट्र विधान परिषद (एमएलसी) चुनावों में शर्मनाक हार के दौरान हुई थी। इन चुनावों से पता चलता है कि बीजेपी का समर्थन उन दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी किया जो उनके साथ कभी थे ही नहीं और एमवीए को नकार दिया।
शिंदे और उनके बागी विधायक अभी और पार्टियों और निर्दलीय उम्मीदवारों के उनके खेमे में शामिल होने का इंतजार कर रहे हैं। वहीँ, मौजूदा स्थिति में बीजेपी एमवीए सरकार को फ्लोर टेस्ट करके बहुमत साबित करने के लिए मजबूर कर सकती है। इसमें अगर एमवीए सरकार अल्पमत में गिर जाती है, तो महाराष्ट्र विधानसभा भंग कर दी जाएगी और अगली सरकार तय करने के लिए नए चुनाव होंगे और इस बीच राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जाएगा।
Published on:
23 Jun 2022 02:06 pm
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