
Devendra Fadnavis and Uddhav Thackeray
महाराष्ट्र में पिछले कुछ दिनों से चल रही राजनीतिक उठा-पटक के बीच शिवसेना के बागी विधायक एकनाथ शिंदे की सरकार बनने के बाद उद्धव ठाकरे और बीजेपी के बीच दूरियां कम होने के संकेत मिल रहे हैं। पिछले एक हफ्ते के भीतर महाराष्ट्र की राजनीति बड़ी तेजी से बदली है। दोनों पार्टियों की तरफ से संकेत आए, जिनसे ये अंदाजा लगाया जा रहा है कि उद्धव ठाकरे और बीजेपी के बीच फासले कम होने लगे है।
बता दें कि साल 2019 में महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। देवेंद्र फडणवीस की अगुआई में बीजेपी ने 105 सीटों पर जीत दर्ज की थी। वहीं, शिवसेना को 56, एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 42 सीटें मिलीं थीं। बाकी अन्य पर छोटे दलों और निर्दलीय प्रत्याशियों ने जीत हासिल की थी। यह भी पढ़ें: Maharashtra Politics: शिंदे कैबिनेट के विस्तार पर सस्पेंस बरकरार, अब राष्ट्रपति चुनाव के बाद हो सकता है नए मत्रियों का शपथ समारोह
इसके बाद सीएम पद को लेकर शिवसेना और बीजेपी में मनमुटाव हो मन मुटाव हो गया। बात इतनी बिगड़ गई की शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बना ली। महाविकास अघाड़ी सरकार में उद्धव ठाकरे सीएम बन गए। ज्यादा सीटें जीतने के बाद भी बीजेपी को विपक्ष में रहना पड़ा। ढाई साल के बाद जून 2022 में एकनाथ शिंदे के साथ मिलकर 40 शिवसेना के विधायकों ने बगावत कर दी। इसके बाद उद्धव की सरकार गिर गई और उद्धव ठाकरे को सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा। एकनाथ शिंदे ने बागी 40 विधायकों और बीजेपी के समर्थन से खुद सरकार बना ली। एकनाथ शिंदे अब राज्य के नए सीएम बन गए हैं।
कैसे बीजेपी और शिवसेना के बीच कम हो रहे है फासले
एनडीए को समर्थन: शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने सोमवार को मातोश्री में सांसदों की बैठक बुलाई थी। इस बैठक में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर चर्चा हुई। सांसदों की राय लेते हुए उद्धव ठाकरे ने फैसला किया कि इस बार राष्ट्रपति चुनाव में शिवसेना एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन करेगी। शिवसेना के ज्यादातर विधायक एकनाथ शिंदे के साथ हैं। शिंदे गुट पहले से ही बीजेपी को समर्थन कर रही है। ऐसे में तस्वीर साफ है कि शिवसेना के विधायक और सांसद दोनों द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में ही वोट करेंगे।
मातोश्री में हुई बैठक के बाद आज सुबह शिवसेना सांसद संजय राउत ने एक ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने उद्धव ठाकरे, प्रियंका गांधी, सीएम एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस को टैग भी किया है। ट्वीट में उन्होंने लिखा कि 'अब नहीं कोई बात खतरे की... अब सभी को सभी से खतरा है।' माना जा रहा है कि सोमवार को सांसदों की हुई बैठक में संजय राउत इकलौते सदस्य थे जो विपक्ष के उम्मीदवार को सपोर्ट करना चाहते थे, लेकिन उद्धव नहीं मानें।
ठाकरे परिवार के खिलाफ नहीं बोलेगी बीजेपी: बीजेपी और शिंदे खेमे ने ये फैसला लिया है कि वह ठाकरे परिवार के खिलाफ कुछ नहीं बोलेंगे। इसका खुलासा खुद शिंदे खेमे के विधायक दीपक केसरकर ने किया। दीपक केसरकर के इस बयान से साफ पता चलता है कि आने वाले दिनों में उद्धव ठाकरे बीजेपी के साथ समझौता कर सकते हैं।
आदित्य ठाकरे को नहीं भेजी नोटिस: शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और बागी विधायक एकनाथ शिंदे ने कुछ दिनों पहले एक-दूसरे गुट के विधायकों की सदस्यता रद्द करने की मांग की थी। इस बीच, सोमवार को राज्य विधायिका के प्रमुख सचिव राजेंद्र भागवत ने शिवसेना के 53 विधायकों को दलबदल के आधार पर अयोग्यता नियम के तहत नोटिस जारी किया है। इन विधायकों को एक सप्ताह में जवाब देने का आदेश दिया गया है। आदित्य ठाकरे को ये नोटिस नहीं जारी किया गया है। मिली जानकारी के मुताबिक, बीजेपी और शिवसेना के बागी एकनाथ शिंदे ने ही आदित्य ठाकरे को नोटिस नहीं भेजने का फैसला लिया है।
बता दें कि राज्य के सीएम एकनाथ शिंदे के पास अभी 41 शिवसेना विधायकों का समर्थन है। इसके अलावा शिवसेना के 12 सांसद भी शिंदे खेमे में जल्द आ सकते है। सांसदों के बगावत की बात अभी खुलकर सामने नहीं आई है। हाल ही में ठाणे नगर निगम के 67 शिवसैनिक पार्षदों में से 66 ने शिंदे खेमे में शामिल हो गए है। वहीं, दूसरी तरफ कल्याण-डोंबिवली के 55 से ज्यादा शिवसैनिक पार्षद ने शिंदे गुट का हाथ थाम लिए है। नवी मुंबई के 32 पूर्व कॉरपोरेटर भी अब शिंदे खेमे के साथ जुड़ चुके हैं।
Updated on:
12 Jul 2022 03:23 pm
Published on:
12 Jul 2022 03:22 pm
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