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ठाकरे भाई साथ आएंगे या नहीं, इससे मेरा क्या लेना-देना… CM फडणवीस ने क्यों कही यह बात?

Maharashtra Politics: देवेंद्र फडणवीस ने कहा, उद्धव ठाकरे की टिप्पणियों पर जवाब देना राज ठाकरे का काम है। मैं इस बारे में क्या कह सकता हूं? वे तय करेंगे कि गठबंधन करना है या नहीं।

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मुंबई

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Dinesh Dubey

Jun 06, 2025

Devendra Fadnavis Maharashtra elections

सीएम देवेंद्र फडणवीस (Photo- Facebook)

महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के एक साथ आने को लेकर बयानबाजी जारी है। शिवसेना (यूबीटी) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के संभावित गठबंधन को लेकर बीजेपी नेता व राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी प्रतिक्रिया दी है। गढ़चिरौली में पत्रकारों के सवाल पर उन्होंने स्पष्ट किया कि इस पूरे मामले से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे का फैसला है कि वे अपनी-अपनी पार्टियों को साथ लाना चाहते हैं या नहीं।

शुक्रवार को राज ठाकरे नीत मनसे के साथ गठबंधन के बारे में पूछे जाने पर उद्धव ठाकरे ने कहा कि जो महाराष्ट्र की जनता चाहेगी वही होगा। इसको लेकर दोनों दलों में कोई भ्रम नहीं है।

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सीएम फडणवीस से गढ़चिरौली दौरे के दौरान जब उद्धव गुट और मनसे के गठबंधन के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, "उद्धव ठाकरे ने जो कहा, उस पर मैं प्रतिक्रिया क्यों दूं? राज ठाकरे इस पर प्रतिक्रिया देंगे। इससे मेरा क्या लेना-देना है? उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे आपस में तय करेंगे कि एक-दूसरे का समर्थन करना है या प्रतिक्रिया देनी है।"

अजित पवार का आया पहला रिएक्शन

इस बीच, उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने भी शिवसेना (यूबीटी)-मनसे गठबंधन पर कहा, "राज ठाकरे मनसे के प्रमुख हैं और उद्धव ठाकरे शिवसेना (यूबीटी) के मुखिया हैं। वे तय करेंगे कि रेल इंजन (मनसे का चुनाव चिह्न) और जलती मशाल (शिवसेना उबाठा का चुनाव चिह्न) के बीच गठबंधन होगा या नहीं। यह दोनों दलों के नेताओं पर निर्भर है कि वे इस पर फैसला लें। इस मुद्दे पर हमारी चर्चा का क्या मतलब है।"

गौरतलब है कि हाल ही में उद्धव और राज ठाकरे के बीच दिए गए बयानों ने राज्य में आगामी नगर निगम चुनावों से पहले संभावित गठबंधन की अटकलों को हवा दे दी है। उद्धव ठाकरे ने शुक्रवार को कहा कि महाराष्ट्र की जनता के दिल में जो है, वही होगा। हमारे और हमारे शिवसैनिकों के दिल में कोई भ्रम नहीं है। उनके (मनसे) मन में भी कोई भ्रम नहीं है। उनका यह बयान मनसे के साथ राजनीतिक सुलह की ओर इशारा माना जा रहा है। अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या दोनों ठाकरे नेता पुराने मतभेद भुलाकर एक नया राजनीतिक अध्याय शुरू करते हैं या यह सिर्फ चुनावी अटकलों तक ही सीमित रह जाएगा।