
महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले (Nanded) के किनवट तालुका के छोटे से गांव आप्पाराव पेठ में रहने वाले एक गरीब किसान दंपति के लिए यह खबर किसी वज्रपात से कम नहीं थी। उनके बेटे श्याम अंगरवार की दुबई (Dubai) में अचानक मौत हो गई, और तीन दिन बाद जब यह दुखद खबर गांव तक पहुंची, तो गरीब बूढ़े मां-बाप की दुनिया ही उजड़ गई।
महज 27 साल का श्याम अपने माता-पिता की गरीबी मिटाने का सपना लेकर कुछ साल पहले दुबई काम करने गया था। वहां वह इमाद नाम की कंपनी में मजदूर का काम करता था, लेकिन हाल ही में उसने नौकरी बदली थी। 25 सितंबर को उसने अपना जन्मदिन मनाया था, बेहद खुश था वह, लेकिन किसी को अंदाजा नहीं था कि कुछ ही दिनों में वह दुनिया छोड़ चला जाएगा।
बताया जा रहा है कि तेज बुखार के चलते उसे दुबई के एनएमसी रॉयल अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन 1 अक्टूबर को उसकी मौत हो गई। गांव में माता-पिता को इस बात की जानकारी तीन दिन बाद 4 अक्टूबर को मिली। परिवार में चीत्कार मच गई है। लेकिन रोज मेहनत-मजदूरी करने वाले अंगरवार दंपति अपने बेटे के पार्थिव शरीर तक पहुंचने में असमर्थ थे। दुबई जाने के लिए उतना न तो पैसे थे, न साधन। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि वह अपने बेटे का अंतिम संस्कार कैसे करें, दुबई कैसे जाएं या वहां से शव को गांव कैसे लाएं। इसी बीच वनवासी कल्याण आश्रम के कार्यकर्ता गोवर्धन मुंडे को इस घटना की जानकारी मिली। उन्होंने 5 अक्टूबर को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को एक मैसेज भेजकर मदद की गुहार लगाई।
मुख्यमंत्री फडणवीस ने जब मैसेज पढ़ा तो इस दुखद घटना के बारे में जानकर स्तब्ध रह गए। वह तुरंत एक्शन में आए और पूरी जानकारी हासिल की। फिर विदेश मंत्री एस जयशंकर से बात कर उन्हें मामले से अवगत कराया। इसके बाद विदेश मंत्रालय और मुख्यमंत्री कार्यालय के बीच लगातार समन्वय हुआ। मृतक का डेथ सर्टिफिकेट तैयार करवाया गया और शव भारत लाने की प्रक्रिया शुरू की गई।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने खुद व्यक्तिगत रूप से पार्थिव शरीर को भारत लाने का खर्च उठाने की इच्छा जताई। लेकिन विदेश मंत्रालय ने यह खर्च खुद वहन किया। जिसके चलते श्याम का पार्थिव शरीर 12 अक्टूबर की आधी रात को दुबई से विमान द्वारा हैदराबाद लाया गया। वहां से नांदेड के जिला प्रशासन ने किनवट तक पार्थिव शरीर पहुंचाने की व्यवस्था की। रविवार को गांव में श्याम का अंतिम संस्कार किया गया।
इस पूरे कठिन समय में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने न केवल सरकारी स्तर पर बल्कि व्यक्तिगत रूप से भी सहायता करने की पेशकश की। उनकी तत्परता और संवेदनशीलता के कारण गरीब माता-पिता अपने बेटे का अंतिम दर्शन कर सके। भले ही मां-बाप के लिए यह दर्द कभी न मिटने वाला है, लेकिन उनके चेहरे पर एक सुकून है कि अपने लाडले का अंतिम दर्शन तो नसीब हुआ।
Published on:
13 Oct 2025 04:47 pm
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