
CRPF Jawan
नवंबर 2017 में नक्सली प्रभावित छत्तीसगढ़ में एक बारूदी सुरंग विस्फोट में अपने दोनों पैर गंवाने वाले केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के जवान (सीआरपीएफ) के कोबरा कमांडो रामदास भोगडे (33) को बारिश का मौसम अच्छा नहीं लगता है क्योंकि इस मौसम में उन्हें 200 मीटर कीचड़ के रास्ते से गुजरना पड़ता है। इस बीच रामदास भोगडे की पत्नी रंजना उन्हें कभी-कभी अपनी पीठ पर बिठाकर वहा से ले जाती हैं।
रामदास भोगडे महाराष्ट्र के जवाहर के वडोली रतूना गांव में अपने माता-पिता, पत्नी रंजना और अपने 12 वर्षीय बेटे के साथ रहते हैं। भोगडे पुणे के तालेगांव में सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर में डेस्क जॉब पर तैनात हैं और फिलहाल वो एक महीने की छुट्टी पर अपने घर गए हैं। घर आने के बाद उन्होंने कहा कि जब से मैं अपने गांव पहुंचा, मुझे 200 मीटर की दूरी पर कीचड़ से भरे रास्ते से गुजरने की समस्या का सामना करना पड़ रहा है और मुझे नवंबर 2017 के बारूदी सुरंग विस्फोट के बाद अपने नियोक्ता - सीआरपीएफ द्वारा प्रदान किए गए अपने कृत्रिम पैरों को खोने या नुकसान पहुंचाने का डर है। कभी-कभी मैं अकेले ही मैनेज करता हूं लेकिन अक्सर मुझे मेरी पत्नी रंजना अपनी पीठ पर बिठाकर लेले जाती है। यह भी पढ़ें: Pune News: बैंक में नौकरी का झांसा देकर महिला के साथ की बड़ी ठगी, छोटी सी गलती पर गायब हुए 8.50 लाख रुपए
सीआरपीएफ के जवान ने बताया कि साल 2020 में विक्रमगढ़ के विधायक सुनील भुसारा ने मुझसे वादा किया था कि वह मेरे घर के लिए एक सड़क बनाएंगे। लेकिन अभी तक कोई सड़क नहीं है और यह भुसारा द्वारा किया गया एक खोखला वादा लगता है। वहीं, स्थानीय निवासी तुलसीराम चौधरी ने कहा कि ये दुख की बात है कि एक बहादुर कोबरा कमांडो ने अपने जीवन के 12 साल देश की सेवा की और अपने दोनों पैरों को ड्यूटी पर खोने के बाद, राज्य सरकार उनके लिए सड़क की सुविधा भी नहीं दे सकती है।
इस बीच विधायक सुनील भुसारा ने पुष्टि की कि उन्होंने रामदार भोगड़े को उनके घर से एक पक्की सड़क का वादा किया था। भुसारा ने कहा, "मैंने भी उनके घर का दौरा किया और जवान को आश्वासन दिया। कुछ वजहों से इस मुद्दे में देरी हुई और मार्च 2022 में 25 लाख रुपये का टेंडर जारी किया गया, जो प्रसंस्करण चरण में है, और मानसून के बाद भोगड़े के घर को छूते हुए सड़क का निर्माण किया जाएगा ताकि उसे पैदल न चलना पड़े अगले मानसून के दौरान कीचड़ से छूटकारा मिल जाए।
बता दें कि रामदार भोगडे 24 जवानों के साथ छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के पडोली जंगलों में गश्त कर रहे थे, 19 नवंबर, 2017 में उन्होंने घने जंगलों में छिपे माओवादियों को पकड़ने के लिए एक ऑपरेशन में गलती से एक बारूदी सुरंग पर पैर रख दिया। जिसमें उनकी जान तो बच गई लेकिन अपने दोनों पैर गवाने पड़े। भोगडे ने कहा कि दुश्मनों ने बारूदी सुरंग डाल दी और गलती से मैंने उस पर कदम रख दिया। मैं अपने साथी जवानों को सचेत करने और लगाए गए अन्य बारूदी सुरंगों के बारे में चेतावनी देने के लिए अपनी जोर से चिल्लाया। मेरी चीख सुनकर, मेरे दो साथी मेरे पास आए। लेकिन मैंने उन्हें दूर भगा दिया, कहीं ऐसा न हो कि वे भूमिगत रखी गई अन्य बारूदी सुरंगों पर कदम रख दें।
बारूदी सुरंग विस्फोट के बाद रामदास भोगड़े को इलाज के लिए 40 दिनों से अधिक समय तक रायपुर के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अप्रैल 2018 में उन्हें कृत्रिम पैरों की एक जोड़ी के साथ फिट किया गया था। भोगडे ने कहा कि एक महीने के परीक्षण के बाद, मैं अब चलने में सक्षम हूं, लेकिन कैलिपर्स के साथ, क्योंकि मुझे अभी तक कृत्रिम पैरों के लिए अभ्यस्त होना बाकी है। बता दें कि फिलहाल वो पुणे के तालेगांव केंद्र में एक डेस्क जॉब पर तैनात है।
Published on:
17 Jul 2022 09:02 pm
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