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मराठा आरक्षण: मनोज जरांगे की भूख हड़ताल खत्म, सरकार को दिया आखिरी अल्टीमेटम, कहा- अब सीधे…

Manoj Jarange : मराठा आंदोलन का नेतृत्व कर रहे मनोज जरांगे ने महाराष्ट्र सरकार को 13 जुलाई तक का अल्टीमेटम दिया है।

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मुंबई

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Dinesh Dubey

Jun 13, 2024

Manoj Jarange

Maratha Reservation Andolan : मराठा आरक्षण के लिए आंदोलन कर रहे मनोज जरांगे पाटील ने आखिरकार आज (13 जून) अपनी भूख हड़ताल खत्म कर दी है। राज्य सरकार की अपील के बाद जरांगे ने गुरुवार को छठवें दिन अपनी अनिश्चितकालीन अनशन तोड़ दी। उन्होंने मांग के मुताबिक मराठा आरक्षण लागू करने के लिए एक महीने का अल्टीमेटम दिया है।

मराठा नेता मनोज जरांगे ने मराठों को पूर्ण आरक्षण देने की मांग को लेकर शनिवार को जालना जिले में अपने पैतृक गांव अंतरवाली सराटी में फिर एक बार अनिश्चितकालीन अनशन शुरू किया था।

मराठा आंदोलन का नेतृत्व कर रहे मनोज जरांगे ने महाराष्ट्र सरकार को 13 जुलाई तक का समय दिया है। उन्होंने मांगें नहीं माने जाने पर सीधे राजनीति में उतरने और इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव में सत्ताधारी प्रत्याशियों को हराने की चेतावनी दी है। उन्होंने स्पष्ट कहा की अगर सरकार ने 1 महीने में आरक्षण को लेकर फैसला नहीं लिया तो मराठा कुछ नहीं सुनेंगे।

14 जुलाई से कुछ नहीं सुनेंगे...

मनोज जरांगे ने कहा, हमने सरकार को पांच महीने का समय दिया था, जिसमें से 2 महीने आचार संहिता में चले गए। वाशी में सरकार ने हमसे मराठा आरक्षण लागू करने का वादा किया था, लेकिन 5 महीने में सरकार ने कुछ नहीं किया। वैसे ही अगर सरकार एक महीने के अंदर हमारी मांगें पूरी नहीं करती है तो चुनाव लड़ा जाएगा। हम 1 महीना देने को तैयार हैं, उसके बाद मराठा कुछ नहीं सुनेंगे।

मनोज जरांगे ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर मांगें नहीं मानी गई तो आगामी विधानसभा चुनाव में मराठा समाज अपने प्रत्याशी उतारेगा। जरांगे ने यह भी कहा कि इस दौरान वह चुनाव लड़ने के लिए तैयारी शुरू करेंगे और 14 जुलाई को सरकार की एक भी बात नहीं सुनेंगे।

बता दें कि लोकसभा चुनाव में मराठवाडा क्षेत्र में महायुति (बीजेपी, शिवसेना, NCP गठबंधन) को मराठा आंदोलन की वजह से बड़ा नुकसान हुआ है, यहां की 8 में से सिर्फ़ 1 ही लोकसभा सीट पर सत्तारूढ़ गठबंधन को कामयाबी मिली।   

क्या है मांग?

मनोज जरांगे महाराष्ट्र सरकार की मसौदा अधिसूचना के कार्यान्वयन की मांग कर रहे हैं जो कुनबी को मराठा समुदाय के सदस्यों के "सेज सोयरे" (रक्त संबंधी) के रूप में मान्यता देती है। वे कुनबी समुदाय को मराठा के रूप में पहचान दिलाने के लिए एक कानून की भी मांग कर रहे हैं। कुनबी एक कृषि समूह है जो अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी में आता है। जरांगे मांग कर रहे हैं कि सभी मराठों को कुनबी प्रमाण पत्र जारी किए जाएं, जिससे वे आरक्षण के दायरे में आ सकें।

26 फरवरी से मराठा आरक्षण लागू

मालूम हो कि महाराष्ट्र विधानमंडल ने 20 फरवरी को एक-दिवसीय विशेष सत्र के दौरान सर्वसम्मति से एक अलग श्रेणी के तहत शिक्षा और सरकारी नौकरियों में मराठों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाला विधेयक पारित किया। बाद में राज्यपाल रमेश बैस के हस्ताक्षर के बाद राज्य में मराठा आरक्षण 26 फरवरी से लागू हो गया।

लेकिन मराठा आंदोलन के अगुवा मनोज जरांगे अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के तहत पूरे मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग पर अड़े हुए हैं। साथ ही कुनबी मराठों के ‘रक्त संबंधियों’ को भी आरक्षण का लाभ देने की शर्त रखी है।

गौरतलब हो कि महाराष्ट्र सरकार ने 2018 में सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए महाराष्ट्र राज्य आरक्षण अधिनियम लागू किया था जिसमें मराठा समुदाय को शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण देने का प्रावधान था। हालांकि, बॉम्बे हाईकोर्ट ने इसे हरी झंडी दे दी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून को असंवैधानिक करार दिया था।