
कोर्ट ने कहा- संबंध सहमति से थे, महिला सुशिक्षित थी (AI Image)
मुंबई के एक विवाहित पूर्व मैनेजर को स्थानीय अदालत ने शादी का झूठा वादा कर दुष्कर्म करने के आरोपों से बरी कर दिया। शिकायतकर्ता महिला का कहना था कि दोनों के बीच 13 वर्षों तक संबंध रहा और इस दौरान उसने तीन बार गर्भपात भी कराया, लेकिन इसके बावजूद आरोपी ने उससे शादी नहीं की।
सत्र न्यायालय के न्यायाधीश एसएस अडकर ने फैसला सुनाते हुए कहा कि शारीरिक संबंध दोनों पक्षों की सहमति से स्थापित हुआ था। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि शिकायतकर्ता महिला सुशिक्षित और समझदार (Mature) थी और उसे स्थिति की पूरी जानकारी थी।
कोर्ट ने कहा कि जब यह कथित प्रेम संबंध शुरू हुआ, तब महिला करीब 30 वर्ष की थी और एक मैच्योर महिला होने के नाते उसे अपने कार्यों के परिणामों की पूरी जानकारी थी। इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि शारीरिक संबंध के लिए उसे बहकाया गया।
अपने फैसले में न्यायाधीश ने कहा कि खुद महिला ने यह स्वीकार किया कि वह 2001-2002 में आरोपी की पत्नी से मिली थी। इसका अर्थ है कि आरोपी के साथ पहली बार शारीरिक संबंध बनाने के समय उसे आरोपी के विवाहित होने की पूरी जानकारी थी।
कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए निष्कर्ष निकाला कि यह झूठे वादे के तहत बलात्कार या धोखाधड़ी का मामला नहीं है। न्यायाधीश ने कहा, "यह स्पष्ट है कि इस मामले में दोनों पक्षों की सहमति से संबंध बने थे। पीड़ित महिला को न तो मजबूर किया गया और न ही किसी भी तथ्य के बारे में गलत जानकारी दी गई। उसने सभी कार्य स्वेच्छा से किए।"
कोर्ट ने फैसले में यह भी जिक्र किया कि शिकायतकर्ता महिला ने सिर्फ इसलिए एफआईआर दर्ज कराई क्योंकि आरोपी ने उससे शादी नहीं की, जिससे वह गुस्से में थी। महिला ने 26 फरवरी 2014 को मुंबई के माटुंगा पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज कराई थी।
महिला ने अपनी शिकायत में कहा था कि वह और आरोपी एक ही कंपनी में काम करते थे, वह कंपनी में एडमिनिस्ट्रेटर के तौर पर काम करती थी। सितंबर 2001 में आरोपी ने बीमारी का बहाना बनाकर उसे अपने घर बुलाया और यहीं से उनके बीच संबंध शुरू हुए।
महिला ने आरोप लगाया था कि पहले यौन संबंध उसकी इच्छा के विरुद्ध थे, लेकिन बाद में आरोपी ने प्यार और शादी का वादा करके कई बार शारीरिक संबंध बनाये। अभियोजन पक्ष ने कोर्ट में सबूत पेश किया कि शिकायतकर्ता महिला 2001, 2010 और 2012 में तीन बार गर्भवती हुई और उसने आरोपी के कहने पर तीनों बार गर्भपात कराया।
उनके संबंध तब बिगड़ गए जब आरोपी ने शादी से इनकार कर दिया और बताया कि उसकी पत्नी गर्भवती है। दिसंबर 2013 में आरोपी ने कथित तौर पर महिला को धमकी भी दी थी।
सात गवाहों के बयान और दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायाधीश ने पाया कि अभियोजन पक्ष अपना आरोप सिद्ध करने में विफल रहा। न्यायाधीश ने इस बात पर जोर दिया कि महिला ने न केवल आरोपी के विवाहित होने के बावजूद संबंध जारी रखे, बल्कि यह भी स्वीकार किया कि आरोपी के बच्चे के जन्म के बाद उसने कंपनी में मिठाई बांटी थी।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि केवल शादी का वादा करके शारीरिक संबंध बनाना धोखाधड़ी या बलात्कार नहीं माना जा सकता, खासकर तब जब संबंध सहमति से हों और पीड़ित को वास्तविकता की पूरी जानकारी हो। इसी आधार पर आरोपी को निर्दोष करार दिया।
Updated on:
10 Dec 2025 10:26 pm
Published on:
10 Dec 2025 10:14 pm
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