29 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

COVID Scam: संजय राउत की वजह से सुजित पाटकर को मिला 33 करोड़ का टेंडर? ED का बड़ा खुलासा

Sanjay Raut: ईडी ने दावा किया है कि सुजित पाटकर ने खुद कई खुलासे किए हैं। इसलिए अब इस मामले की गहनता से जांच की जाएगी।

3 min read
Google source verification

मुंबई

image

Dinesh Dubey

Oct 02, 2023

sanjay_raut_sujit_patkar_arrested.jpg

मुंबई जंबो कोविड सेंटर घोटाला मामले में पुलिस की कार्रवाई

Mumbai COVID Center Scam: मुंबई जंबो कोविड सेंटर घोटाला मामले में बड़ी खबर है। उद्धव ठाकरे गुट के नेता संजय राउत (Sanjay Raut) के करीबी सुजित पाटकर (Sujit Patkar) के खिलाफ ईडी ने चार्जशीट दायर कर दी है। जिसमें कहा गया है कि आरोपी सुजित पाटकर ने कोरोना महामारी के दौरान अतिरिक्त महापालिका आयुक्त संजीव जयसवाल से मिलने के लिए शिवसेना (UBT) सांसद संजय राउत की पहचान का इस्तेमाल किया था। ईडी ने पाटकर को इस मामले से जुड़े कथित मनी लॉन्ड्रिंग केस (Money Laundering) में गिरफ्तार भी किया था।

मिली जानकारी के मुताबिक, चार्जशीट में कहा गया है कि सुजित पाटकर ने वर्ली और दहिसर कोविड जंबो सेंटर (अस्पताल) का टेंडर पाने के मकसद से जयसवाल से मुलाकात की थी। बीजेपी नेता किरीट सोमैया ने जंबो कोविड सेंटर (BMC Jumbo Covid Center) के नाम पर करोड़ों रूपये का घोटाला करने का आरोप लगाया है। सोमैया का कहना है कि संजय राउत के नाम का इस्तेमाल कर 32 करोड़ 60 लाख का टेंडर हासिल किया गया। यह भी पढ़े-कोविड सेंटर घोटाला: ED के बाद मुंबई पुलिस का एक्शन, संजय राउत का करीबी सुजित पाटकर अरेस्ट


पाटकर ने किया राजनीतिक संबंधों का इस्तेमाल

मुंबई के कथित जंबो कोविड सेंटर घोटाला मामले में ईडी द्वारा दायर चार्जशीट में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि पाटकर ने कंपनी स्थापित करने से पहले ही लाइफलाइन अस्पताल के लेटरहेड का इस्तेमाल किया था। जो उन्होंने संजीव जयसवाल को दिया था। पाटकर ने टेंडर हासिल करने के लिए संजय राउत के नाम का इस्तेमाल किया और जयसवाल ने इसमें पाटकर की मदद भी की।

इतना ही नहीं, पाटकर को टेंडर प्रक्रिया के बारे में सारी जानकारियां पहले ही मिल जाती थी। इसके लिए पाटकर ने अपने राजनीतिक संबंधों का पूरा उपयोग किया था। आरोप है कि पाटकर की कंपनी ने 60 प्रतिशत कम कर्मचारी हायर किये थे। साथ ही कोविड सेंटर में आने वाले कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों के स्वास्थ्य से समझौता कर बीएमसी को बढ़ा हुआ बिल भेजा गया।

फर्जी बिल भेजे, नहीं हुई कार्रवाई!

जब कोरोना प्रभावित मरीजों के लिए बनाए गए जंबो कोविड-19 सेंटर को चक्रवाती तूफान निसर्ग के चलते खाली कराया गया था तो भी बड़ा गबन हुआ। उस दिन के बिल भी बीएमसी को भेजे गए थे, जबकि चक्रवात के दौरान कोविड सेंटर में कोई मरीज ही नहीं था। वहां के सभी संक्रमितों को एक दिन के लिए अन्य अस्पतालों में शिफ्ट किया गया था। डॉ. किशोर बिसुरे ने इस मुद्दे को वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष उठाया भी था, लेकिन कोई कड़ी कार्रवाई नहीं हुई। सिर्फ 31 लाख का जुर्माना लगाया गया।

ईडी ने दावा किया है कि खुद सुजित पाटकर ने कई खुलासे किये है और संजय राउत का नाम लिया है। इसलिए अब इस मामले की गहनता से जांच की जाएगी। ईडी का कहना है कि कोविड सेंटर में कई वित्तीय घोटाले हुए हैं। जांच में कई गड़बड़ियां सामने आई हैं।

क्या है आरोप?

संजय राउत के पारिवारिक मित्र और व्यवसायी सुजित पाटकर अभी हिरासत में है। मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा भी इस मामले की जांच कर रही है। हेल्थकेयर क्षेत्र में कोई अनुभव नहीं होने के बावजूद पाटकर को महामारी के दौरान मुंबई में कोविड फील्ड अस्पताल बनाने का काम सौंपा गया था।

पिछले साल बीजेपी नेता किरीट सोमैया की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए मुंबई की आजाद मैदान पुलिस स्टेशन ने लाइफलाइन हॉस्पिटल मैनेजमेंट सर्विसेज (LHMS) और पाटकर और उनके तीन सहयोगियों- हेमंत गुप्ता, संजय शाह, राजू सालुंके के खिलाफ जालसाजी का मामला दर्ज किया था। इन चारों पर महामारी के दौरान बीएमसी के कोविड फील्ड अस्पतालों (जंबो कोविड सेंटर) के प्रबंध से जुड़ा कॉन्ट्रैक्ट धोखाधड़ी से हासिल करने का आरोप था। बाद में ईडी ने इस मामले की जांच के लिए मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया।

बिना अनुभव के सौंपा काम..

आरोप है कि बीएमसी ने महंगी कीमत पर एलएचएमएस को ठेके दिए। जबकि बीएमसी को यह पता थी कि एलएचएमएस एक रजिस्टर्ड फर्म नहीं है और उसे स्वास्थ्य सेवा का कोई अनुभव नहीं है। बीएमसी ने कथित तौर पर पहले ठेके दिए और एक साल बाद कंपनी के साथ संबंधित समझौते पर हस्ताक्षर किए।