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politics : पश्चिम बंगाल, झारखंड ,यूपी, राजस्थान जैसे राज्यों को एनओसी जल्दी देना चाहिए- महाराष्ट्र सरकार

महाराष्ट्र ( Maharashtra) को लगभग 700 से 800 ट्रेनों की आवश्यकता है। लगभग 50 ट्रेनें(train) रविवार को महाराष्ट्र से रवाना हुई। अब तक 224 ट्रेनों को विभिन्न राज्यों में भेजा गया है। इसमें से 2 लाख 92 हजार प्रवासी ( migrant)अपने-अपने राज्यों में रिहा हो चुके हैं।

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politics : पश्चिम बंगाल, झारखंड ,यूपी, राजस्थान जैसे राज्यों को एनओसी जल्दी देना चाहिए- महाराष्ट्र सरकार

politics : पश्चिम बंगाल, झारखंड ,यूपी, राजस्थान जैसे राज्यों को एनओसी जल्दी देना चाहिए- महाराष्ट्र सरकार

मुंबई। राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने कहा कि पश्चिम बंगाल, बिहार , झारखंड, उत्तर प्रदेश , राजस्थान जैसे कई राज्यों से एनओसी मिलने में विलंब हो रहा है। इन राज्यों को बड़ी संख्या में एनओसी देने की आवश्यकता है। अबतक 224 ट्रेन छोड़ी गई है और लगभग 3 लाख मजदूरों को घर भेजा गया है ।पश्चिम बंगाल के मजदूरों के लिए एक दिन में 10 ट्रेनों की आवश्यकता है। रेलवे प्रशासन देने के लिए तैयार है। लेकिन पश्चिम बंगाल और बिहार राज्य सरकारों से अनुमति नहीं मिलने की वजह से है। दिक्कतें आ रही है ।उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश और अन्य सभी राज्यों को अधिकतम एनओसी देना चाहिए। ताकि लोगों को जल्द ही उनके घरों में भेजा जा सके। सभी प्रवासी मजदूर घरवापसी कर सकें इसके लिए महाराष्ट्र को लगभग 700 से 800 ट्रेनों की आवश्यकता है। लगभग 50 ट्रेनें रविवार को महाराष्ट्र से रवाना हुई। अब तक 224 ट्रेनों को विभिन्न राज्यों में भेजा गया है। इसमें से 2 लाख 92 हजार प्रवासी अपने-अपने राज्यों में रिहा हो चुके हैं। महाराष्ट्र परिवहन बोर्ड में 11,500 बसें हैं। प्रवासियों को भी इन बसों द्वारा राज्य में मुफ्त में पहुँचाया जा रहा है,
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एक संचार एजेंसी को दिए बयान में देशमुख ने कहा कि “जब केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि प्रवासी मजदूरों का किराया केंद्रसरकार दे रही है तो मैं हैरान हो गया । जो उन्होंने कहा वह तथ्य सत्य नहीं है। मध्य रेलवे प्रशासन द्वारा रेलवे टिकट जारी नहीं किए जाते हैं। इसका सारा बोझ राज्य सरकार द्वारा वहन किया जा रहा है। इससे पहले जो भी मजदूर ट्रेन से गए सभी से रेलवे प्रशासन ने पैसा वसूला है । मजदूरों के पास कोई काम नहीं है। उनके पास पैसे नहीं हैं। इसलिए हमने पहले ही मांग की थी कि मजदूरों की यात्रा मुफ्त होनी चाहिये। लेकिन किसी ने नही सुना। केंद्र से कोई प्रतिसाद नही मिलने पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मजदूरों के यात्रा खर्च के लिए मुख्यमंत्री सहायता कोष से 54.70 करोड़ रुपये का भुगतान किया।