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politics : प्रवासी मजदूरों के रेल का किराया केंद्र नही दे रही है… गृह मंत्री अनिल देशमुख ने केंद्रीय वित्त मंत्री के दावे को बताया झूठा

राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने कहा कि जब केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि प्रवासी मजदूरों का किराया केंद्रसरकार दे रही है तो मैं हैरान हो गया । जो उन्हों ने कहा वह तथ्य सत्य नहीं है। मध्य रेलवे प्रशासन द्वारा रेलवे टिकट जारी नहीं किए जाते हैं। इसका सारा बोझ राज्य सरकार द्वारा वहन किया जा रहा है।

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politics : प्रवासी मजदूरों के रेल का किराया केंद्र नही दे रही है... गृह मंत्री अनिल देशमुख ने केंद्रीय वित्त मंत्री के दावे को बताया झूठा

politics : प्रवासी मजदूरों के रेल का किराया केंद्र नही दे रही है... गृह मंत्री अनिल देशमुख ने केंद्रीय वित्त मंत्री के दावे को बताया झूठा

मुंबई। प्रवासी मजदूरों से ट्रेन टिकटों की लागत का 85 प्रतिशत केंद्र सरकार वहन कर रही है। केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के इस दावे को राज्य सरकार ने झूठा बताया है । राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने कहा कि निर्मला सीतारमण का बयान तथ्यों पर आधारित नहीं है। उन्हें पता होना चाहिए कि रेलवे प्रशासन ने मजदूरों के किराए का 85 प्रतिशत बोझ नहीं उठाया है। राज्य सरकार मजदूरों के प्रवास के लिए किराये में मदद कर रही है । अबतक 224 ट्रेन छोड़ी गई है और लगभग 3 लाख मजदूरों को घर भेजा गया है ।

एक संचार एजेंसी को दिए बयान में देशमुख ने कहा कि जब केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि प्रवासी मजदूरों का किराया केंद्रसरकार दे रही है तो मैं हैरान हो गया । जो उन्हों ने कहा वह तथ्य सत्य नहीं है। मध्य रेलवे प्रशासन द्वारा रेलवे टिकट जारी नहीं किए जाते हैं। इसका सारा बोझ राज्य सरकार द्वारा वहन किया जा रहा है। इससे पहले जो भी मजदूर ट्रेन से गए सभी से रेलवे प्रशासन ने पैसा वसूला है । मजदूरों के पास कोई काम नहीं है। उनके पास पैसे नहीं हैं। इसलिए हमने पहले ही मांग की थी कि मजदूरों की यात्रा मुफ्त होनी चाहिये। लेकिन किसी ने नही सुना। केंद्र से कोई प्रतिसाद नही मिलने पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मजदूरों के यात्रा खर्च के लिए मुख्यमंत्री सहायता कोष से 54.70 करोड़ रुपये का भुगतान किया।

उन्होंने कहा कि सभी प्रवासी मजदूर घरवापसी कर सकें इसके लिए महाराष्ट्र को लगभग 700 से 800 ट्रेनों की आवश्यकता है। लगभग 50 ट्रेनें रविवार को महाराष्ट्र से रवाना हुई।
अब तक 224 ट्रेनों को विभिन्न राज्यों में भेजा गया है। इसमें से 2 लाख 92 हजार प्रवासी अपने-अपने राज्यों में रिहा हो चुके हैं। महाराष्ट्र परिवहन बोर्ड में 11,500 बसें हैं। प्रवासियों को भी इन बसों द्वारा राज्य में मुफ्त में पहुँचाया जा रहा है,