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उद्धव की हां, लेकिन राज ‘चुप’… ठाकरे भाईयों के गठबंधन पर सस्पेंस, तो मीडिया पर भड़के MNS चीफ

उद्धव की शिवसेना (उबाठा) और राज ठाकरे की मनसे के बीच गठबंधन को लेकर मनसे की तरफ से कोई स्पष्ट रुख नहीं दिख रहा। आने वाले समय में क्या राज ठाकरे गठबंधन के लिए तैयार होंगे या अकेले ही चुनावी मैदान में उतरेंगे, इस पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं।

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मुंबई

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Dinesh Dubey

Jul 16, 2025

Uddhav Thackeray Raj Thackeray together

राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे

महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों एक सवाल सबसे ज्यादा चर्चा में है, क्या ठाकरे भाई साथ आएंगे? क्या आगामी चुनावों में शिवसेना (उबाठा) प्रमुख उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के प्रमुख राज ठाकरे मिलकर चुनाव लड़ेंगे? जहां उद्धव खेमे के नेता गठबंधन को लेकर सकारात्मक बयान दे रहे हैं, वहीं मनसे की ओर से गठबंधन पर खुलकर कुछ नहीं कहा जा रहा है और सस्पेंस कायम है। इस बीच, राज ठाकरे के करीबी और मनसे के वरिष्ठ नेता बाला नांदगावकर के ताजा बयान ने और भी भ्रम की स्थिति पैदा कर दी है।

इगतपुरी में मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर) के मनसे पदाधिकारियों के लिए आयोजित विशेष शिविर के बाद नांदगावकर ने कहा, "हम खुद भी इस विषय पर सोच रहे हैं। गठबंधन को लेकर जो भी फैसला होगा, वह राज ठाकरे ही लेंगे और वह उचित समय पर उचित निर्णय करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि राज ठाकरे के बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस, शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे और एनसीपी (एसपी) प्रमुख शरद पवार से भी अच्छे संबंध हैं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि संगठन का हित हमारी प्राथमिकता हैं।

पत्रकारों पर भड़के राज ठाकरे

उधर, राज ठाकरे ने कुछ मीडिया रिपोर्ट्स पर नाराजगी जताई, जिसमें उनके हवाले से यह कहा गया कि गठबंधन पर फैसला महानगरपालिका चुनावों के पहले की स्थिति देखकर लिया जाएगा। उन्होंने साफ किया कि यह बात उन्होंने नहीं कही और कुछ मीडिया कर्मियोंओं ने अनौपचारिक बातचीत को तोड़-मरोड़ कर पेश किया। राज ने कहा, “अगर मुझे कोई राजनीतिक बयान देना होगा, तो मैं उसे प्रेस कॉन्फ्रेंस में दूंगा। अनौपचारिक बातों को घुमा-फिराकर खबर बनाना पत्रकारिता नहीं है।”

बता दें कि 5 जुलाई को मुंबई के वर्ली डोम में लगभग 20 वर्षों में पहली बार राज ठाकरे के साथ मंच साझा करते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा था कि वह और उनके चचेरे भाई एक साथ होने के लिए साथ आए हैं। ठाकरे भाईयों की नजदीकी ने सूबे के राजनीतिक समीकरणों को नया मोड़ दे दिया है। हालांकि अब तक गठबंधन को लेकर मनसे की तरफ से कोई स्पष्ट रुख नहीं दिख रहा। आने वाले समय में क्या राज ठाकरे गठबंधन के लिए तैयार होंगे या अकेले ही चुनावी मैदान में उतरेंगे, इस पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं।

करीब बीस साल पहले शिवसेना से अलग होकर राज ठाकरे ने मनसे की स्थापना की थी। तब से दोनों दलों में राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता बनी रही। लेकिन मौजूदा सियासी समीकरणों को देखकर ठाकरे भाई करीब आये। इसका प्रमुख कारण मुंबई महानगरपालिका चुनाव (BMC Election) है। दरअसल महाराष्ट्र के 29 नगर निगमों, 248 नगर परिषदों, 32 जिला परिषदों और 336 पंचायत समितियों के चुनाव इस वर्ष के अंत में या अगले वर्ष की शुरुआत में हो सकते है।

बता दें कि 2012 में मनसे ने बीएमसी चुनाव में दमदार प्रदर्शन किया था। तब राज ठाकरे की पार्टी ने 28 सीटें जीतकर अपने चचेरे भाई उद्धव ठाकरे ने नेतृत्व वाली शिवसेना के कई गढ़ों में सेंध लगाई थी। लेकिन 2017 के मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) चुनाव में पार्टी को बड़ा झटका लगा और मनसे के प्रत्याशी केवल सात सीटों पर ही जीत सके। उसके बाद से लगातार पार्टी का ग्राफ गिरता गया। वर्तमान में 288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा में मनसे का कोई विधायक नहीं है।