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संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान का पुनर्वास बना बड़ा सिर दर्द

पांचवीं बार बढ़ाई तारीख के बाद भी निविदा खाली धीरे-धीरे बढ़ रही है परियोजना के रद्द होने की संभावना

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संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान का पुनर्वास बना बड़ा सिर दर्द

मुंबई. संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान (राष्ट्रीय उद्यान) में आदिवासियों और झुग्गीवासियों के पुनर्वास के लिए शुरू की गई आरे एसआरए परियोजना अब म्हाडा के लिए सिरदर्द बन गई है। लगातार पांचवीं बार तारीख बढ़ाने के बाद भी इस परियोजना की निविदा पर किसी फर्म ने रुचि नहीं दिखाई। यही हाल रहा तो मनपा को किसी दूसरे विकल्प की तलाश करनी होगी। फिलहाल म्हाडा प्राधिकरण इस परियोजना को रद्द करने की दिशा में भी आगे बढ़ सकता है।

90 एकड़ की साइट का प्रभारी बना म्हाडा...
बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार, राज्य सरकार ने संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान में दो हजार आदिवासियों और 24 हजार से अधिक झुग्गियों में रहने वालों के पुनर्वास के लिए आरे परियोजना शुरू की है। म्हाडा को 90 एकड़ की साइट का प्रभारी बनाया गया है, जिसे लेकर म्हाडा ने इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए सात महीने पहले निविदा मांगी थी। चूंकि कोई बिल्डर या समूह परियोजना के लिए आगे नहीं आ रहा था, इसलिए निविदा को एक या दो बार नहीं, बल्कि अब तक पांच बार समय सीमा बढ़ाई है।