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अगर बात हो जाती तो बच जाती जान? रोहित आर्या केस में नया ट्विस्ट, हाईकोर्ट पहुंचा मामला

Rohit Arya hostage case : पूर्व मंत्री ने कहा, पुलिस को जो भी जानकारी चाहिए, मैं देने को तैयार हूं। जब मुझे पता चला कि बच्चों की जान खतरे में है, तभी मैंने बातचीत से इनकार किया।

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मुंबई

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Dinesh Dubey

Nov 04, 2025

Mumbai Rohit Arya Hostage case

किडनैपर रोहित आर्या की पुलिस की गोली लगने से हुई थी मौत (Patrika Photo)

Mumbai Hostage case: मुंबई के पवई इलाके में 17 बच्चों को बंधक बनाने वाले रोहित आर्या के एनकाउंटर मामले में अब एक नया मोड़ सामने आया है। पुलिस के मुताबिक, घटना के दिन रोहित आर्या महाराष्ट्र के तत्कालीन स्कूल शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर (Deepak Kesarkar) से बात करना चाहता था। लेकिन वरिष्ठ पुलिस अधिकारी द्वारा संपर्क करने के बाद भी पूर्व मंत्री ने आर्या से बात करने से इनकार कर दिया था। इसके कुछ देर बाद पुलिस की गोली से आर्या की मौत हो गई। शिवसेना (शिंदे गुट) नेता केसरकर ने इस पूरे मामले पर अपनी सफाई दी है और बताया कि उन्होंने उस समय ऐसा निर्णय क्यों लिया।

‘बच्चों की सुरक्षा सबसे जरूरी थी’

महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री और शिवसेना विधायक दीपक केसरकर ने कहा, “किसी को यह पता नहीं था कि एनकाउंटर होने वाला है। लेकिन 17 बच्चों को बंधक बनाना पूरी तरह गलत था। उस समय बच्चों की जान सबसे ज्यादा मायने रखती थी। मैं अब मंत्री नहीं हूं, इसलिए कोई ठोस आश्वासन नहीं दे सकता था। अगर उन्होंने उस विभाग के मंत्री से संपर्क किया होता और वे उपलब्ध नहीं होते, तब मुझसे दोबारा बात की जा सकती थी। मैं सीधे उस विभाग को लेकर आश्वासन नहीं दे सकता था, जिसका मैं अब मंत्री नहीं हूं। ऐसे तनावपूर्ण हालात में मैं औपचारिक बातचीत नहीं करना चाहता था, क्योंकि बच्चों की जान खतरे में थी।”

पूर्व मंत्री ने कहा कि पुलिस ने जब उन्हें फोन किया, तो शुरू में उन्होंने बातचीत के लिए हामी भरी थी। लेकिन जब यह जानकारी मिली कि रोहित आर्या ने ज्वलनशील पदार्थों के बीच बच्चों को बंधक बनाया है, तब उन्होंने बात न करने का निर्णय लिया। उन्होंने कहा, “अगर मैंने बिना किसी ठोस समाधान के उससे बात की होती और बच्चों को कुछ हो जाता, तो यह बड़ी गलती होती। उस वक्त हर फैसला स्थिति को देखकर लेना जरूरी था।”

‘मैं मंत्री नहीं था, इसलिए...’

केसरकर ने साफ कहा कि उनके पास इस मामले में कोई प्रशासनिक अधिकार नहीं था। उन्होंने कहा, अगर आर्या को किसी तरह का आश्वासन चाहिए था, तो वह उस विभाग के मंत्री या संबंधित अधिकारी ही दे सकते थे। मेरे पास उस स्तर का अधिकार नहीं था। उन्होंने यह भी कहा कि अगर पुलिस इस मामले में मुझसे किसी भी तरह की जानकारी चाहती है तो वह सहयोग करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।

फर्जी मुठभेड़ का आरोप

वहीँ, अब यह मामला बॉम्बे हाईकोर्ट तक पहुंच गया। रोहित आर्या के एनकाउंटर को फर्जी बताते हुए एक याचिका दायर की गई है और मामले की सीबीआई जांच की मांग की गई है।

रोहित आर्या (49) ने 30 अक्टूबर को मुंबई के पवई इलाके में आरए स्टूडियो में 17 बच्चों और दो वयस्कों को बंधक बना लिया था। याचिकाकर्ता शोभा बुद्धिवंत ने दावा किया है कि मुंबई पुलिस ने एक नेता के इशारे पर आत्मरक्षा और कार्रवाई के नाम पर रोहित आर्या की हत्या कर दी। जबकि रोहित आर्या राज्य सरकार द्वारा उसका लंबित बकाया भुगतान न करने के कारण मानसिक तनाव से जूझ रहा था।

मानवाधिकार आयोग भी कर रहा जांच

मुंबई पुलिस के अनुसार, घटना के दिन जब रोहित आर्या ने पवई में बच्चों को बंधक बना रखा था, उस समय पुलिस ने हालात को संभालने के लिए दीपक केसरकर से संपर्क किया था। पुलिस ने उनसे आरोपी रोहित आर्या से बात करने का अनुरोध किया था, लेकिन केसरकर ने बातचीत करने से इनकार कर दिया था। पुलिस की मानें तो केसरकर का इस मामले में सीधा नहीं, बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से संबंध सामने आया है। इसलिए मुंबई क्राइम ब्रांच जल्द ही केसरकर से पूछताछ करेगी।

फिलहाल इस मामले की जांच न्यायिक मजिस्ट्रेट और मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच कर रही है। साथ ही, महाराष्ट्र राज्य मानवाधिकार आयोग ने भी इस पूरे मामले की स्वतंत्र जांच के आदेश दिए हैं।