
जगद्गुरु संत तुकाराम महाराज के ग्यारहवें वंशज और प्रसिद्ध व्याख्याता शिरीष महाराज मोरे ने बुधवार को कथित तौर पर आत्महत्या कर ली। बुधवार सुबह शिरीष महाराज ने पुणे के देहू स्थित अपने आवास पर फांसी लगाकर अपनी जीवन यात्रा समाप्त कर ली। आत्महत्या से पहले उन्होंने एक नोट लिखा था. उसके आधार पर पुलिस ने संभावना जताई है कि आर्थिक तंगी के कारण शिरीष महाराज ने आत्महत्या की है। उनके निधन से वारकरी समुदाय में शोक की लहर दौड़ पड़ी है।
पिछले महीने शिरीष महाराज की सगाई हुई थी और 20 अप्रैल को उनकी शादी होने वाली थी। लेकिन उन्होंने अपनी शादी से दो महीने पहले ही फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।
शिरीष महाराज मोरे ने आत्महत्या करने से पहले चार सुसाइड नोट लिखे हैं। इसमें उन्होंने अपने ऊपर कर्ज के बोझ का जिक्र किया है। साथ ही अपनी होने वाली पत्नी के नाम एक नोट भी लिखा है। उन्होंने दो अन्य नोट अपने माता-पिता और दोस्तों के नाम लिखे हैं।
शिरीष महाराज सोनवणे द्वारा अपनी होने वाली पत्नी को लिखे पत्र में कहा गया है, “मेरी प्यारी पीनू, प्रियंका... अभी तो मैंने तुम्हारा हाथ थामा ही था, हमारी जिंदगी अब खिलने लगी थी लेकिन मैं जा रहा हूं। आपके साथ कुछ वक़्त बिताना चाहता था, इसलिए मिलने के बाद ये गलती कर रहा हूं। मैं हाथ जोड़कर माफी मांगता हूं. माफ कर देना, जिंदगी में अगर मैं किसी का सबसे ज्यादा गुनाहगार हूं तो वह आपका हूं। आपके साथ न्याय नहीं कर सका. मेरे बुरे वक्त में आप मेरे साथ खड़ी थीं...”
शिरीष महाराज ने अपने सुसाइड नोट में आगे लिखा, “आपने हर फैसले में मेरा साथ दिया. अगर मैंने अपका हाथ छोड़ा तो अपने मेरा इंतजार किया। आप मेरे अच्छे समय में हकदार थीं, क्योंकि आप दोस्त की तरह मेरे संघर्ष में साथ खड़ी रहीं। क्षमा चाहता हूं आपके सारे सपने तोड़कर जा रहा हूं. कुंभ मेला रह गया, वारी रह गई, किले रह गए, भारत दर्शन रह गया... सब कुछ रह गया. मेरे कुछ दिए बिना ही अपने मेरी झोली भरी। आप बहुत प्यारी हैं, निःस्वार्थ हैं. आपने बहुत देर तक इंतजार किया. अब रुकना मत क्योंकि अब मैं ही नहीं रहूंगा। आगे बढ़ना और बहुत बड़े होना. मैंने कई बार बहुत सारी गलतियां की हैं। मुझे माफ कर देना...”
Published on:
06 Feb 2025 09:09 pm
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