
शरद पवार
Sharad Pawar Resignation: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार ने आज पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ने का ऐलान कर महाराष्ट्र की राजनीति में खलबली मचा दी है। वरिष्ठ नेता ने मुंबई के यशवंतराव चव्हाण प्रतिष्ठान में अपनी राजकीय आत्मकथा का विमोचन करने के दौरान एनसीपी के अध्यक्ष पद छोड़ने का ऐलान किया। साथ ही उन्होंने कहा कि वह भविष्य में कोई भी चुनाव नहीं लड़ेंगे। जिसके बाद एनसीपी के नेता और कार्यकर्ता भावुक हो गए। एनसीपी के वरिष्ठ नेता जयंत पाटील शरद पवार के इस्तीफे पर बोलते हुए रोने लगे। पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने शरद पवार के निर्णय को मानने से इनकार कर दिया है।
शरद पवार ने कहा, ‘‘मैंने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष पद छोड़ने का फैसला किया है।’’ इस दौरान उन्होंने पार्टी की आगे की रणनीति तय करने के लिए वरिष्ठ नेताओं का पैनल बनाने की घोषणा की। हालांकि, एनसीपी के तमाम नेता और कार्यकर्ता पवार से फैसला वापस लेने की मांग कर रहे है। उन्होंने कहा कि जब तक पवार फैसला वापस नहीं लेते वे समारोह स्थल से नहीं जाएंगे। हालांकि बाद में बड़े नेताओं की अपील पर कार्यकर्ताओं ने शरद पवार को कार्यक्रम स्थल से जाने दिया। यह भी पढ़े-महाविकास आघाडी में कांग्रेस-NCP के बीच बढ़ी दूरियां? नाना पटोले ने वज्रमुठ सभा से पहले किया आगाह
मालूम हो कि पूर्व केंद्रीय मंत्री और चार बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे शरद पवार की एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना का महाविकास आघाड़ी (एमवीए) गठजोड़ बनाने में अहम भूमिका रही है।
MVA पर फर्क नहीं पड़ेगा- नाना पटोले
पवार के एनसीपी अध्यक्ष पद से इस्तीफे पर महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा, “शरद पवार जी ने अपने अध्यक्ष पद से किस कारणवश इस्तीफा दिया है यह बताना मुश्किल है। हमें लगता था कि वे आखिरी सांस तक सामाजिक और राजकीय जीवन में रहकर एक विचारधारा के साथ लड़ेंगे लेकिन अब उनके इस फैसले से एमवीए को कोई फर्क नहीं पड़ेगा। हमें उम्मीद है कि एनसीपी का नया अध्यक्ष एमवीए के साथ रहेगा।“
संजय राउत ने दी प्रतिक्रिया
शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत (Sanjay Raut) ने ट्वीट कर कहा, “गंदी राजनीति और आरोपों से तंग आकर शिवसेना सुप्रीमो बालासाहेब ठाकरे (Balasaheb Thackeray) ने भी शिवसेना प्रमुख के पद से इस्तीफा दे दिया था। ऐसा लगता है कि इतिहास ने खुद को दोहराया है... लेकिन शिवसैनिकों के प्यार के कारण उन्हें अपना फैसला वापस लेना पड़ा था... बालासाहेब की तरह, पवार साहब भी राज्य की राजनीति की आत्मा हैं।“
Published on:
02 May 2023 03:02 pm
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