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शिवसेना का ‘धनुष-बाण’ किसका? चुनाव आयोग में आज नहीं हुआ फैसला, अब जनवरी में होगी सुनवाई

Shiv Sena Uddhav Thackeray Vs Eknath Shinde: शिवसेना (ठाकरे गुट) नेता अनिल देसाई ने कहा कि चुनाव आयोग में जनवरी के पहले हफ्ते में धनुष-बाण चिन्ह और अन्य मुद्दों पर सुनवाई होगी। इन बिंदुओं पर आज बहस नहीं हो सकी।

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मुंबई

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Dinesh Dubey

Dec 12, 2022

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शिंदे गुट के विधायकों को जल्द अयोग्य घोषित करें स्पीकर- उद्धव गुट

Shiv Sena Bow and Arrow Symbols Hearing: शिवसेना (Shiv Sena) के चुनाव चिह्न ‘धनुष-बाण’ विवाद और अन्य मुद्दों पर सुनवाई आज (12 दिसंबर) चुनाव आयोग (Election Commission) के समक्ष शुरू हुई। लेकिन आज की सुनवाई कुछ ही मिनटों तक चली। ठाकरे गुट के नेता अनिल देसाई (Anil Desai) ने कहा है कि इस संबंध में अगली सुनवाई नए साल में जनवरी के पहले सप्ताह में होगी। निर्वाचन आयोग ने शिवसेना के दोनों धड़ों- उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुट को 9 दिसंबर तक मामले से जुड़े दस्तावेजों को जमा करने की मोहलत दी थी।

शिवसेना (ठाकरे गुट) नेता अनिल देसाई ने कहा कि चुनाव आयोग में जनवरी के पहले हफ्ते में धनुष-बाण चिन्ह और अन्य मुद्दों पर सुनवाई होगी। इन बिंदुओं पर आज बहस नहीं हो सकी। उन्होंने कहा, आज सिर्फ 5 से 7 मिनट का काम हुआ। हमें उम्मीद थी कि हमने जो दस्तावेज प्रस्तुत किया है। जो मूल दस्तावेज दिए गए हैं, उनकी जांच की जाएगी। उन्होंने आगे कहा, हमने 3 लाख शपथ पत्र और अन्य प्राथमिक सदस्यों की जानकारी दी है। यह भी पढ़े-बीजेपी का सरपंच नहीं चुना तो एक रुपया भी फंड नहीं दूंगा... नितेश राणे के बिगड़े बोल


चुनाव आयोग का अंतरिम आदेश है लागू

मुंबई के अंधेरी पूर्व विधासनभा के उपचुनाव के मद्देनजर अक्टूबर में आयोग ने एक अंतरिम आदेश में शिवसेना के दोनों गुटों को पार्टी के नाम व उसके चिह्न 'धनुष और बाण' का उपयोग करने से रोक दिया था। तब चुनाव आयोग ने उद्धव ठाकरे गुट को शिवसेना-उद्धव बालासाहेब ठाकरे नाम और मशाल निशान दिया था, वहीं एकनाथ शिंदे गुट को बालासाहेबांची शिवसेना नाम और ढाल-तलवार निशान आवंटित किया था।

दरअसल आयोग ने यह फैसला तब लिया जब शिवसेना के दोनों धड़ों ने पार्टी के नाम और चिन्ह पर अपना-अपना दावा ठोका। जिसके बाद 'धनुष और बाण' के निशान को फ्रीज कर दिया गया। आयोग का यह अंतरिम आदेश विवाद के अंतिम निर्णय होने तक लागू रहेगा।


जून में दो हिस्सों में बंटी शिवसेना!

इसी साल जून महीने में एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के 55 में से 40 विधायकों और लोकसभा में पार्टी के 18 में से 12 सांसदों के समर्थन का दावा करते हुए ठाकरे नेतृत्व के खिलाफ बगावत कर दी थी। जिसके बाद शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को सीएम की कुर्सी से हटना पड़ा था। फिर एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के बागी विधायकों और बीजेपी के समर्थन से महाराष्ट्र में सरकार बनाई और खुद मुख्यमंत्री बन गए।