
उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे
Shiv Sena MLA Disqualification Case: महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर) राहुल नार्वेकर ने आज (12 अक्टूबर) शिवसेना विधायकों की अयोग्यता मामले पर अहम सुनवाई की। यह सुनवाई करीब ढाई घंटे तक चली। इसके बाद स्पीकर दिल्ली के लिए रवाना हो गए, जहाँ शुक्रवार को वह जी-20 देशों के सदन अध्यक्षों की बैठक में शामिल होंगे। आज सुनवाई के दौरान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूटीबी) ने स्पीकर के सामने अपना-अपना पक्ष रखा।
जानकारी के मुताबिक, महाराष्ट्र के सीएम शिंदे समेत शिवसेना के 16 विधायकों की अयोग्यता मामले पर आज सह्याद्रि में तीसरी सुनवाई हुई। इस दौरान शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के वकील ने अयोग्यता से जुड़ी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करने का अनुरोध किया है। जबकि शिंदे गुट के वकील ने उद्धव गुट की मांग का विरोध किया। यह भी पढ़े-PM मोदी फिर नहीं बनेंगे प्रधानमंत्री, 2024 में बीजेपी की विदाई तय, संजय राउत की बड़ी भविष्यवाणी
संयुक्त सुनवाई की मांग
सुनवाई के बाद मीडिया से बातचीत के दौरान शिंदे गुट के वकील ने कहा, “दोनों वकीलों ने आज अपनी-अपनी दलीलें दी। अब 20 तारीख को इस पर फैसला सुनाया जा सकता है। ठाकरे गुट ने सभी याचिकाओं पर संयुक्त सुनवाई की मांग की है। लेकिन, सभी याचिकाओं में अलग-अलग मुद्दे हैं। याचिकाओं में विभिन्न घटनाएं शामिल है। इसलिए हमारी ओर से यह तर्क दिया गया कि इन सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करना कानूनन उचित नहीं है।“
शिवसेना ने किया विरोध
उन्होंने आगे कहा कि, “पार्टी बैठकों में भाग न लेना, अध्यक्ष चुनने के लिए व्हिप का पालन न करना, बहुमत साबित करते समय व्हिप का पालन न करना तीन अलग-अलग मुद्दे हैं। जिन विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग की जा रही है, उन प्रत्येक विधायकों को अपना-अपना पक्ष रखने का अधिकार है। अगर इन सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की गयी तो उनके अधिकारों का उल्लंघन होगा।“
क्या है मामला?
उद्धव ठाकरे गुट के नेता सुनील प्रभु ने अविभाजित शिवसेना के मुख्य सचेतक के रूप में पिछले साल एकनाथ शिंदे और 15 अन्य शिवसेना विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिका दायर की थी। बाद में शिंदे खेमे ने भी ठाकरे खेमे के विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिका दायर की। इस संबंध में स्पीकर राहुल नार्वेकर ने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के 40 और उद्धव ठाकरे गुट के 14 विधायकों को नोटिस भेजा था।
दरअसल जून 2022 में शिंदे की अगुवाई में शिवसेना के विधायकों ने बगावत कर बीजेपी से हाथ मिला लिया था। फिर तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की सरकार गिर गई। जिसके बाद दोनों गुटों ने सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग में शिवसेना पर कब्जे के लिए लड़ाई लड़ी, जिसमें कामयाबी शिंदे गुट को मिली।
Published on:
12 Oct 2023 07:28 pm
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