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‘…तो आज न होती RSS और BJP’, खड़गे के सुर में संजय राउत ने मिलाया सुर, संघ पर बैन को लेकर कही ये बात

Sanjay Raut on RSS Ban: शिवसेना (उद्धव ठाकरे) नेता संजय राउत ने कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खड़गे के उस पत्र का समर्थन किया है, जिसमें उन्होंने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है।

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मुंबई

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Dinesh Dubey

Oct 13, 2025

Sanjay Raut on RSS ban

संजय राउत ने RSS बैन पर कही बड़ी बात (Patrika Photo)

कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियांक खड़गे ने मुख्यमंत्री सिद्दारमैया को पत्र लिखकर राज्य के सरकारी परिसरों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। कांग्रेस नेता के इस पत्र ने देश के सियासी माहौल को गर्म कर दिया है।

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए उद्धव ठाकरे नीत शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता संजय राउत ने सोमवार को भाजपा पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने की भूमिका भाजपा के आदर्श सरदार वल्लभभाई पटेल की भी थी। राउत ने तंज कसते हुए कहा कि भाजपा आज जिस संगठन की विचारधारा पर खड़ी है, उस पर कभी उनके अपने आदर्श नेताओं ने ही सवाल उठाए थे।

खड़गे द्वारा कर्नाटक में आरएसएस की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने की मांग पर राज्यसभा सांसद राउत ने कहा, “सरदार पटेल भी आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने के पक्ष में थे। सरदार पटेल जी की सबसे ऊंची प्रतिमा गुजरात में नरेंद्र मोदी जी ने बनवाई है। वे उनके भी आदर्श हैं और हमारे भी। भाजपा बार-बार कहती है कि नेहरू जी को नहीं सरदार पटेल को देश का पहला प्रधानमंत्री बनाना चाहिए था। मैंने संसद में भी यह बात रिकॉर्ड पर कही थी कि अगर सरदार पटेल देश के प्रधानमंत्री बने होते, तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) का जन्म ही नहीं हुआ होता। उनका अस्तित्व वहीं खत्म हो जाता।”

खड़गे ने क्यों की RSS पर प्रतिबंध की मांग?

गौरतलब हो कि कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियांक खड़गे ने मुख्यमंत्री सिद्दारमैया को पत्र लिखकर राज्य के सरकारी परिसरों में आरएसएस की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। यह पत्र 4 अक्टूबर को लिखा गया था, जिसे अब सीएम मीडिया टीम ने सार्वजनिक किया है।

प्रियांक खड़गे ने पत्र में लिखा, "जब समाज में नफरत फैलाने वाली विभाजनकारी ताकतें सिर उठाती हैं, तो हमारे संविधान के मूल सिद्धांत (एकता, समानता और अखंडता) हमें उन्हें रोकने का अधिकार देते हैं।"

उन्होंने आरोप लगाया कि आरएसएस की शाखाएं सरकारी और अर्ध-सरकारी स्कूलों, सार्वजनिक मैदानों, मंदिरों, पार्कों और पुरातत्व विभाग के स्थलों में चल रही हैं। यहां बिना पुलिस अनुमति के आक्रामक प्रदर्शन किए जा रहे हैं, जिससे बच्चों और युवाओं के मन पर नकारात्मक असर पड़ रहा है।

उन्होंने आगे लिखा, "देश के बच्चों, युवाओं और समाज के मानसिक स्वास्थ्य और विकास के हित में आरएसएस की सभी गतिविधियों को सरकारी परिसरों में प्रतिबंधित किया जाए।"