
सुप्रीम कोर्ट ने धारावी रिडेवलपमेंट परियोजना पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। साथ ही बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को भी बरकरार रखा है। इससे अडानी समूह को बड़ी राहत मिली है। शुक्रवार को शीर्ष कोर्ट का यह फैसला दुबई स्थित सेकलिंक टेक्नोलॉजीज कॉरपोरेशन (Seclink Technologies Corp) की याचिका पर आया, जिसमें महाराष्ट्र सरकार द्वारा अडानी प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड को यह परियोजना देने के निर्णय को चुनौती दी गई थी।
सेकलिंक टेक्नोलॉजीज ने अदालत में दावा किया था कि उनकी बोली अडानी ग्रुप से बेहतर थी, इसलिए उन्हें इस परियोजना का ठेका मिलना चाहिए था। इससे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी दिसंबर 2024 में कंपनी की याचिका को खारिज कर दिया था। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि बोलीदाताओं के चयन में सरकार के अपने अधिकार है और सेकलिंक की याचिका में कोई ठोस आधार नहीं है।
अडानी समूह महाराष्ट्र सरकार के सहयोग से धारावी झोपड़पट्टी का पुनर्विकास कर रहा है। इस परियोजना के तहत 296 एकड़ के घनी आबादी वाले इलाके को आधुनिक शहर के रूप में विकसित किया जाएगा। विपक्ष के नेता धारावी परियोजना को अडानी समूह को दिए जाने का लगातार विरोध कर रहे है और इस कॉन्ट्रैक्ट को रद्द करने की मांग कर रहे हैं।
उद्योगपति गौतम अडानी के स्वामित्व वाले समूह की कंपनी अडानी प्रॉपर्टीज ने 2022 के आखिरी में धारावी के पुनर्विकास का सरकारी कॉन्ट्रैक्ट हासिल किया था। अडानी की कंपनी के अलावा इस ठेके के लिए रियल्टी क्षेत्र की कंपनी डीएलएफ और नमन डेवलपर्स ने भी बोली लगाई थी। लेकिन टेंडर अडानी प्रॉपर्टीज ने जीता। 20 हजार करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट में मुख्य रूप से सैकड़ों एकड़ में फैले धारावी स्लम एरिया का पुनर्निर्माण किया जाएगा। लगभग 1.5 लाख मकानों का पुनर्वास किया जाएगा।
धारावी पुनर्विकास परियोजना के तहत पात्र निवासियों को 350 वर्ग फुट तक के फ्लैट मुफ्त दिए जाएंगे। इस परियोजना में अडानी समूह की 80 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जबकि शेष हिस्सेदारी राज्य सरकार के पास है।
Updated on:
07 Mar 2025 03:09 pm
Published on:
07 Mar 2025 02:28 pm
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