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घर पर मशहूर कवि की तस्वीर देखकर चोर ने लौटाया सामान, मांगी माफी, लिखा- नहीं पता था कि…

Poet Narayan Surve House Theft : नेरल पुलिस चोरी किए गए सामान पर मौजूद फिंगर प्रिंट के आधार पर मामले की जांच कर रही है।

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मुंबई

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Dinesh Dubey

Jul 17, 2024

poet Narayan Surve

महाराष्ट्र से चोरी का एक ऐसा मामला सामने आया है, जिस पर आसानी से यकीन नहीं किया जा सकता। कर्जत तालुका के नेरल में एक बंद घर पर चोर ने हाथ साफ किया, लेकिन अगले दिन जैसे ही उसे पता चला कि वह घर दिवंगत मराठी कवि नारायण सुर्वे (Narayan Surve) का था तो उसे खूब पछतावा हुआ। यहां तक की अगले दिन चोर उस घर में वापस गया और चुराया हुआ सामान वापस रख दिया। साथ ही उसने घर में एक नोट छोड़ा। जिसमें चोर ने लिखा, मुझे नहीं पता था कि घर मशहूर मराठी कवि नारायण सुर्वे का घर है, नहीं तो मैं चोरी नहीं करता। कुछ दिन बाद जब परिवार के लोग वापस लौटे तो पूरा मामला सामने आया।

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‘पता होता, कवि का घर है तो चोरी नहीं करता’

एक अधिकारी ने बताया कि चोर को जब पता चला कि उसने जिस घर में सेंध लगाई है वह प्रसिद्ध मराठी लेखक का घर है तो उसे पछतावा हुआ। पश्चाताप करते हुए चोर ने चुराया गया सामान लौटा दिया।

पुलिस ने बताया कि चोर ने रायगढ़ जिले के नेरल में स्थित नारायण सुर्वे के घर से एलईडी टीवी समेत कीमती सामान चुराया था। जिस घर में चोरी हुई थी वहां अब दिवंगत नारायण सुर्वे की बेटी सुजाता और उनके पति गणेश घारे रहते हैं। किसी काम से वह अपने बेटे के पास विरार गए थे। इसलिए उनका घर 10 दिनों से बंद था। इसी दौरान चोर घर में घुसा और एलईडी टीवी समेत कुछ अन्य सामान चुरा ले गया। अगले दिन जब वह कुछ और सामान चुराने आया तो उसने एक कमरे में सुर्वे की तस्वीर और उन्हें मिले सम्मान आदि को देखा। इससे चोर को बेहद पछतावा हुआ। उसने पश्चाताप करते हुए चुराया गया सामान घर में रख दिया। इतना ही नहीं, उसने दीवार पर एक छोटा सा हाथ से लिखा नोट चिपकाया, जिसमें उसने महान साहित्यकार के घर चोरी करने के लिए माफी मांगी थी। 

नेरल पुलिस थाने के निरीक्षक शिवाजी धवले ने बताया कि सुजाता और उनके पति जब रविवार को विरार से लौटे तो उन्हें चोर का नोट मिला। पुलिस चोरी किए गए सामान पर मौजूद फिंगर प्रिंट के आधार पर मामले की जांच कर रही है।

कौन है नारायण सुर्वे?

मुंबई में जन्मे नारायण सुर्वे एक प्रसिद्ध मराठी कवि और सामाजिक कार्यकर्ता थे। उनका 16 अगस्त 2010 को 84 वर्ष की उम्र में निधन हो गया था। बचपन में माता-पिता को खो चुके सुर्वे मुंबई की सड़कों पर पले-बढ़े थे। उन्होंने घरेलू सहायक, होटल में बर्तन साफ करने, बच्चों की देखभाल करने, दूध पहुंचाने, कुली और मिल मजदूर के रूप में काम किया था। अपनी कविताओं में वह श्रमिकों के संघर्षों का बखूबी वर्णन करते थे।