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पड़ोसी की बेटी से रेप के आरोप में युवक ने जेल में काटे 5 साल, बरी होने पर कोर्ट में बेहोश हुई मां

Maharashtra News: पड़ोसी की नाबालिग बेटी के साथ यौन उत्पीड़न के आरोप में पांच साल जेल में बिताने के बाद 28 वर्षीय युवक को अदालत ने बरी कर दिया। यह शिकायत लड़की की मां ने दर्ज कराई थी।

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मुंबई

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Dinesh Dubey

Sep 03, 2025

प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर। (फोटो- IANS)

महाराष्ट्र के ठाणे जिले में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। कल्याण स्थित एक विशेष अदालत ने 28 वर्षीय अल्ताफ खान को पांच साल जेल में रहने के बाद बरी कर दिया। उस पर पड़ोसी की नाबालिग बेटी से यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया गया था। अदालत ने पाया कि पुलिस जांच में गंभीर खामियां थीं और आरोप साबित करने के लिए कोई ठोस सबूत मौजूद नहीं था।

सोमवार को जब विशेष न्यायाधीश वीएन पात्रावाले ने खान को बरी करने का फैसला सुनाया, तो अदालत कक्ष में मौजूद उसकी मां खुशी से संभल नहीं पाईं और बेहोश होकर गिर पड़ीं। उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया।

खान का पक्ष रखने वाले वकील गणेश घोलप ने कहा कि उनके मुवक्किल को बिना किसी सबूत के पांच साल तक जेल में रहना पड़ा। उन्होंने बताया कि अदालत ने पुलिस की जांच में कई खामियों को रेखांकित किया और इन्हीं आधारों पर खान को निर्दोष करार दिया।

घोलप ने बताया कि अल्ताफ खान लिफ्ट तकनीशियन के तौर पर काम करता था। साल 2020 में उसका अपने पड़ोसी से किराए को लेकर विवाद हुआ था। इसी के बाद पड़ोसी की पत्नी ने शिकायत दर्ज कराई कि खान ने उसकी नाबालिग बेटी को घर बुलाकर यौन शोषण किया। इस शिकायत के आधार पर पुलिस ने उसे पॉक्स एक्ट के तहत गिरफ्तार कर लिया।

वकील ने बताया कि जमानत के लिए दो बार अर्जियां दी गईं, लेकिन दोनों खारिज हो गईं। नतीजतन खान को पूरे पांच साल जेल में बिताने पड़े। घोलप ने कहा, एक झूठे आरोप ने उसके जीवन के सबसे अहम साल छीन लिए। न सिर्फ वह बल्कि उसका पूरा परिवार मानसिक और सामाजिक रूप से टूट गया।

मुकदमे के दौरान कई ऐसे तथ्य सामने आए जिन्होंने मामले की सच्चाई पर रोशनी डाली। अदालत में जब कथित पीड़िता को गवाही के लिए बुलाया गया, तो उसने खान को पहचानने से ही इनकार कर दिया। इतना ही नहीं, सबूतों से यह भी साबित हुआ कि जिस दिन घटना होने का दावा किया गया था, उस दिन खान घर पर मौजूद ही नहीं था।

अदालत ने इसे महत्वपूर्ण माना और कहा कि पूरा मामला संदेह और विरोधाभासों से भरा हुआ है। सभी आरोपों को निराधार बताते हुए अल्ताफ खान को बरी कर दिया गया। हालांकि, पांच साल तक जेल में रहने के बाद मिली यह आजादी उसके लिए जितनी राहत भरी है, उतनी ही कड़वी भी। एक झूठे मामले ने न सिर्फ उसका करियर और जिंदगी के कीमती साल छीन लिए, बल्कि उसके परिवार पर भी गहरा घाव छोड़ दिया।