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बाहर मदरसों का विरोध, अंदर 218 मुस्लिम कर रहे ‘भक्ति’, मुजफ्फरनगर में उमड़ रहा प्रेम

देश भर में नवरात्रि व्रत को धूम धाम से मनाया जा रहा है। जिसे हिन्दू धर्म से जुड़े लोग आस्था और विश्वास के साथ पूजा पाठ नियम और संयम से व्रत रखकर माँ देवी के 9 स्वरूपों के दर्शन करते हैं। वहीं इस बार मुस्लिम धर्म से जुड़े हुए 218 कैदयों ने भी व्रत रखकर नया संदेश दिया।

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Navratri by Muslim Prisoners in Muzaffarnagar

Navratri by Muslim Prisoners in Muzaffarnagar

उत्तर प्रदेश में एक ओर मदरसो में हो रहे सर्वे का विरोध हो रहा है। वहीं दूसरी ओर मुजफ्फरनगर जिला कारागार में बंद दो सौ अट्ठारह मुस्लिम कैदियो ने नवरात्र व्रत रखकर भाई चारे की मिसाल पेशा की। मुस्लिम कैदियों ने संप्रदायिक सौहार्द की बेतार मिसाल पेश करते हुए नवरात्रि के पहले दिन से ही माँ दुर्गा की पूजा करते हुए व्रत रख रहे हैं। यहाँ जेल में बंद हिंदू और मुस्लिम समाज के बंदी एक साथ नवरात्र के व्रत रखकर पूजा पाठ कर समाज को आपसी भाईचारे का आईना दिखाने का काम कर रहे हैं।

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उत्तर प्रदेश के जनपद मुजफ्फरनगर कारागार की जहां कारागार में बंद बंदियों से सभी को सबक लेना चाहिए, क्योंकि जेल के अंदर कारागार बंदी एक ऐसा उदाहरण पेश कर रहे हैं, जो ऐसे लोगों को आईना दिखाता है जो समाज में वैमनस्य फैलाने का काम करते हैं। यहां के बंदी नवरात्रों के पावन अवसर पर व्रत रख रहे हैं इनमें हिंदू और मुस्लिम दोनों मिलकर आपसी सद्भावना और सौहार्द कायम करने में अनूठी पहल कर रहे हैं।

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जेल अधीक्षक सीताराम शर्मा के बागडोर संभालने के बाद लगभग पिछले एक साल में जेल का माहौल पूरी तरीके से बदल गया है।
साथ ही बंदियों में आपसी प्रेम और सौहार्द देखा जा सकता है, यहां पर लगभग 3000 से ज्यादा बंदी बंद है, इनमें से 1104 हिंदू बंदी और 218 मुस्लिम बंदी मिलकर नवरात्रों के व्रत रख रहे हैं तथा एक दूसरे की भावना का सम्मान कर रहे हैं, यहां के बंदी वास्तव में समाज के लिए एक उदाहरण से कम नहीं है! यकीनन जेल अधीक्षक सीताराम शर्मा ने जेल की तस्वीर बदली है जो बंदियों के आचरण और व्यवहार में भी स्पष्ट रूप से देखने को मिल रही है।

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सद्भावना और सौहार्द का यह माहौल जेल में चार चांद लगा रहा है, सच्चाई यह है कि इन बंदियों से सबक लेते हुए आपसी द्वेष नफरत का त्याग करते हुए प्रेम भाव के साथ मिलकर रहना चाहिए, यही हमारी तहजीब भी है ! निसंदेह त्योहार हमें एक दूसरे के करीब लाते हैं जोड़ते हैं तथा एक दूसरे के त्योहारों में सहभागिता करना हमारी पुरानी संस्कृति की पहचान है जिसे जेल में बंद बंदियों ने बखूबी करके दिखाया है और संदेश देने की भी कोशिश की है कि हमें एक दूसरे के त्योहारों में शामिल होकर सद्भावना का परिचय देना चाहिए।

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कुल मिलाकर जेल अधीक्षक सीताराम शर्मा के सार्थक प्रयासों की सराहना दिल खोलकर करनी होगी जिन्होंने जेल की दिशा और दशा को पूरी तरह बदलकर रख दिया है, बंदियों में बदलाव आया है उनकी सोच बदली है वह भी बंदियों में विश्वास की भावना को जन्म दे रहा है, पूरे उत्तर प्रदेश की जेलों में बदलाव की बयार शुरू हुई है लेकिन मुज़फ्फरनगर कारागार में हुआ सांप्रदायिक सौहार्द सुर्खियों में बना हुआ है।

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