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17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति के आरक्षण का लाभ दिए जाने के विरोध में उतरे ये लोग, देखें वीडियो

खबर की मुख्य बातें- -पूर्व की समाजवादी पार्टी सरकार द्वारा कुछ पिछड़ी जातियों को sc-st के आरक्षण के लाभ की सूची में रखा गया था -योगी सरकार द्वारा 17 पिछड़ी जातियों को फिर से एससी-एसटी की श्रेणी में शामिल करने का आदेश पारित किया गया है -अखिल भारतीय वाल्मीकि महापंचायत के बैनर तले जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन सोंपा गया है

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17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति के आरक्षण का लाभ दिए जाने के विरोध में उतरे ये लोग, देखें वीडियो

मुजफ्फरनगर। उत्तर प्रदेश में योगी सरकार द्वारा 17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति के आरक्षण का लाभ देने की घोषणा के बाद अनुसूचित जाति जनजाति समाज के लोगों में सरकार के खिलाफ भारी रोष देखने को मिल रहा है। इसी कड़ी में सोमवार को अखिल भारतीय वाल्मीकि महापंचायत के बैनर तले दर्जनों लोगों ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में किये जाने का विरोध करते हुए जिलाधिकारी को एक ज्ञापन दिया।

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दरअसल, पूर्व की समाजवादी पार्टी सरकार द्वारा कुछ पिछड़ी जातियों को sc-st के आरक्षण के लाभ की सूची में रखा गया था। जिसके विरोध प्रदर्शन के बाद सरकार के इस फैसले पर रोक लगा दी गई थी। लेकिन फिर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा 17 पिछड़ी जातियों को फिर से एससी-एसटी की श्रेणी में शामिल करने का आदेश पारित किया गया। जिसके विरोध में मुजफ्फरनगर की कचहरी परिसर स्थित जिलाधिकारी कार्यालय पर अखिल भारतीय वाल्मीकि महापंचायत के बैनर तले अध्यक्ष सुशील कुमार के नेर्तत्व में जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन सौंपा गया।

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जिसमे मांग की गई है कि मौजूदा उत्तर प्रदेश सरकार ने जिन 17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का निर्णय लिया गया है, जबकि ये जातियां पहले ही पिछड़ा वर्ग के आरक्षण में शामिल हैं। इन 17 जातियों में से कोई भी एक जाति भूतकाल से लेकर अस्पृश्य जाती नहीं रही है और न ही कभी जाती के आधार पर इन 17 जाती के लोगों पर अत्याचार, शोषण नहीं हुआ है। इन 17 जातियों के अनुसूचित जाति में शामिल होने से वास्तविक अनुसूचित जातियों मिलने वाला विशेष अवसर पूर्ण रूप से समाप्त हो जाएगा। जिसके चलते अनुसूचित जाति में भारी रोष है, इसलिए हम चाहते हैं कि इन समस्त 17 जातियों को पिछड़ी जाति में न शामिल किया जाए।