शिव भक्त परशुराम की भक्ति की मिसाल दी जाती है। वह जितने बड़े शिव भक्त थे उतने ही बड़े पितृ भक्त भी थे। यहां तक कि अपने पिता के कहने पर उन्होंने अपनी मां की गर्दन धड़ से अलग कर दी थी, लेकिन इसी पश्चताप में फिर उन्होंने बागपत के पुरा गांव में शिवलिंग की स्थापना की और शिव भक्ति की। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनकी मां को फिर से जीवित कर दिया था। वर्तमान समय में पुरा महादेव मंदिर नाम से प्रसिद्ध यह मंदिर शिव भक्तों की आस्था का केंद्र है। महाशिवरात्रि पर यहां बीस लाख कांवड़िए जल चढ़ाने आते हैं। परशुराम द्वारा स्थापित इस शिवलिंग की मान्यता बारह ज्योतिर्लिंगों के समकक्ष मानी जाती है। हरिद्वार से गंगाजल लेकर कांवड़िए करीब 180 किलोमीटर की यात्रा करके यहां पहुंचते हैं।