
ये है कलयुग का श्रवण कुमार, अंधे दादा-दादी को कांवड़ पर बिठाकर कर रहा यात्रा
मुजफ्फरनगर. आए दिन कलयुगी पुत्रों द्वारा अपने मां-बाप के साथ दुर्व्यवहार की घटनाएं अक्सर देखने को मिलती हैं, इस कलयुग में आज भी श्रवण कुमार जीवित हैं, जो अपने बुजुर्गों की मनोकामना पूरी करने के लिए कांवड़ में बिठाकर तीर्थस्थलों की यात्रा कराते हुए हरिद्वार से गंगा जल उठाकर अपने गतंव्य की और बढ़ रहा है। ये कलयुग का श्रवण कुमार जो आज त्रेता युग के उस श्रवण कुमार की याद ताजा कर रहा है जो अपने अंधे माता-पिता की आखों का तारा था। कौन सोच सकता है कि इस कलयुग में श्रवण कुमार जैसा पौता भी पैदा हो सकता है, जो अपने दादा-दादी की इच्छा पूरी करने के लिए दोनों को टोकरी में बैठाकर हरिद्वार से गंगाजल लेकर मुजफ्फरनगर पहुंचा है।
दरअसल, शिव भक्त राहुल के अंधे दादा-दादी की इच्छा थी कि वह भी हरिद्वार की यात्रा कर पवित्र गंगाजल लेकर भगवानश शिव का जलाभिषेक करें। अपने दादा-दादी की इच्छा पूरी करने के लिए श्रवण बना पोता राहुल अपने दादा और दादी दोनों को टोकरी में बिठाकर उनकी मनोकमना पूरी करने में लगा है। मेरठ के गांव जंघेड़ी निवासी राहुल ने बताया कि दादा 92 वर्षीय छोटेलाल और दादी कश्मीरी नेत्रहीन हैं। उन्होंने पोते राहुल से हरिद्वार से पवित्र गंगाजल लाने की इच्छा जताई थी। इसके बाद उसने प्रण किया कि वह अपने बुजुर्ग दादा-दादी की इच्छा जरूर पूरी करेगा। इसके बाद राहुल ने अपने मामा सोहनवीर और अंकित के साथ दादा-दादी को लेकर हरिद्वार पहुंचा और वहां से गंगाजल लेकर 22 जुलाई को कांवड़ यात्रा शुरू की थी।
शनिवार को राहुल कांवड़ में दादा-दादी को बिठाकर मुजफ्फरनगर पहुंचा। अपने कंधों पर वृद्ध मां-बाप के बोझ को उठाए ये कलयुग का श्रवण कुमार अपने गंतव्य की ओर बढ़ रहा है। इस नजारे को देखने के लिए लोगों का तांता लगा है। ये नजारा श्रवण कुमार की याद दिला रहा है। आज भले ही बच्चे अपने माता-पिता का ध्यान रख पाने में पिछड़ रहे हों, लेकिन कलयुग के इस श्रवण का अपने दादा-दादी के प्रति ये भाव देखकर उन बच्चों के लिए ये संजीवनी का काम करेगा, जो अपने माता-पिता के प्रति अपने आदर्शों को भूलकर आधुनिक युग में जी रहे हैं। राहुल ने बताया कि वह मेरठ के ओघड़नाथ मंदिर में दादा-दादी के साथ जल चढ़ाएगा।
Published on:
28 Jul 2018 10:53 am
बड़ी खबरें
View Allमुजफ्फरनगर
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
