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निर्धारित समय बीत गया, फिर भी तैयार नहीं हुआ मेडिकल कॉलेज का भवन, जानिए कहां आ रही है दिक्कत

निर्माण कार्य में देरी से अटक सकती है प्रवेश प्रक्रिया- ठेकेदार एजेंसी की ढिलाई व समय पर भुगतान नहीं होने से धीमा पड़ा निर्माण कार्य- नागौर मेडिकल कॉलेज को आरयूएचएस से दो महीने पहले मिल चुकी है संबद्धता

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15 months have passed, the medical college building has not been built

15 months have passed, the medical college building has not been built

नागौर. बड़े इंतजार के बाद नागौर को मिली मेडिकल कॉलेज का पहले तो दो साल तक काम शुरू नहीं हो पाया और शुरू हुआ तो अब कछुआ चाल से चल रहा है। ठेकेदार एजेंसी को 15 महीने में काम पूरा करना था, लेकिन वर्तमान स्थिति को देखते हुए ऐसा लग रहा है कि 30 महीने बाद भी काम पूरा नहीं हो पाएगा। यदि यही स्थिति रही तो नए शिक्षा सत्र में भी नागौर मेडिकल कॉलेज में प्रवेश प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाएगी। हालांकि अब डबल इंजन की सरकार से नागौरवासियों को उम्मीद है कि वो इस ओर ध्यान देकर समय पर काम पूरा करवाएगी।

गौरतलब है कि भारत सरकार ने 4 अक्टूबर 2019 को मेडिकल कॉलेज के लिए 325 करोड़ रुपए की स्वीकृति जारी की थी, लेकिन दो साल बीतने के बावजूद अक्टूबर 2021 तक मेडिकल कॉलेज का काम शुरू नहीं हो पाया। इसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 9 मार्च 2022 को वर्चुअली नागौर मेडिकल कॉलेज का शिलान्यास किया था। ठेकेदार कम्पनी को दिए गए वर्क ऑर्डर के अनुसार मेडिकल कॉलेज के एकेडमिक ब्लॉक का काम 15 महीने में पूरा करना था, लेकिन शुरू से ही काम की गति धीमी होने के कारण गत वर्ष प्रवेश प्रक्रिया शुरू नहीं पाई। इसके बाद वर्ष 2024 में प्रवेश प्रक्रिया शुरू करने के प्रयास शुरू हुए, लेकिन जिस प्रकार निर्माण कार्य चल रहा है, उसको देखते हुए संशय पैदा हो रहा है। विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मेडिकल कॉलेज का करीब 60 फीसदी काम पूरा हुआ है, जबकि शिलान्यास को 20 महीने पूरे हो रहे हैं।

एक नजर : नागौर मेडिकल कॉलेज
- कुल राशि 325 करोड़
- 195 करोड़ भारत सरकार का हिस्सा
- 130 करोड़ राज्य सरकार का हिस्सा
- 9 मार्च, 2022 को गहलोत ने किया था शिलान्यास
- मार्च, 2024 तक एलओपी का काम पूरा करना

ठेकेदार को नहीं हो रहा भुगतान
काम की गति धीमी होने के पीछे एक कारण ठेकेदार को भुगतान नहीं होना भी सामने आया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मजदूरों को भुगतान नहीं होने से उन्होंने भी दो दिन तक काम नहीं किया।

आरयूएचएस से मिल चुकी संबद्धता
नागौर जिला मुख्यालय की मेडिकल कॉलेज को करीब दो महीने पहले राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय (आरयूएचएस) ने संबद्धता जारी कर दी थी। जिसके तहत कॉलेज को एमबीबीएस की 100 सीट मिली है। अब नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) का निरीक्षण होना है, लेकिन काम की गति धीमी होने से मामला खटाई में पड़ सकता है।

मेडिकल कॉलेज शुरू हो तो बढ़े सुविधाएं
चिकित्सा विभाग के विशेषज्ञों का कहना है कि जिला मुख्यालय के अस्पताल में चिकित्सा सुविधाएं बढ़ाने में मेडिकल कॉलेज की अहम भूमिका रहेगी। कॉलेज शुरू होने पर एक ओर जहां चिकित्सकों की संख्या में बढ़ोतरी होगी, वहीं अन्य संसाधन भी बढ़ेंगे।

कॉलेज को मिली 100 बीघा जमीन
नागौर मेडिकल कॉलेज के लिए जिला प्रशासन ने पहले जेएलएन अस्पताल के सामने 50 बीघा जमीन आवंटित कर पट्टा जारी किया था। इसके बाद तत्कालीन जिला कलक्टर डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी ने पहल करते हुए 50 बीघा जमीन और आवंटित करवाई, ताकि भविष्य में विस्तार करने में परेशानी नहीं हो। इस प्रकार नागौर मेडिकल कॉलेज के लिए कुल 100 बीघा जमीन आवंटित है।

राजमेश को रिपोर्ट भिजवाई है
मेडिकल कॉलेज भवन का निर्माण कार्य धीमी गति से चल रहा है। ठेकेदार को मार्च 2024 तक एलओपी (अनुमति पत्र) तक का काम पूरा करना था, लेकिन अभी तक 60 प्रतिशत काम ही पूरा हुआ है। हमने दो दिन पहले ही राजमेश को इसकी रिपोर्ट भेजी है।
- डॉ. महेश पंवार, पीएमओ, जेएलएन अस्पताल, नागौर