
नागौर. प्रदेश में वर्तमान वित्तीय सत्र में चल वसूली की होड़ में जहां स्थानीय निकायों की ओर से वसूली अभियान चलाया जा रहा है, वहीं स्वायत्त शासन विभाग ने अभियान समाप्ति के बाद इसकी नए सिरे से समीक्षा करने के संकेत दिए हैं। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि अभी फिलहाल वसूली चल रही है, लेकिन जल्द ही फिर से राज्य में संपत्तियों का सर्वे कर नगरीय विकास कर की गाइड लाइन का भी निर्धारण किया जाएगा। इसमें विशेषकर आवासीय होने के बाद भी व्यवसायिक गतिविधियों में संलग्न भवन स्वामियों की श्रेणी को भी बदलने का काम किया जाएगा। ताकि राज्य के नगरीय निकायों की माली स्थिति में सुधार हो सके।
स्वायत्त शासन विभाग के अनुसार जल्द ही राज्य की संपत्तियों का नए सिरे से सर्वे कराया जाएगा।213 नगर पालिकाएं हैं. इनमें 11 नगर निगम, 33 नगर परिषदें, और 169 नगर बोर्ड या नगर पंचायतें शामिल हैं। सर्वे में सभी भवनों एवं भूखण्डों की जांच कराई जाएगी। इस प्रक्रिया में अभी समय लगेगा। हालांकि इसमें विशेषकर कई बार देखा गया है कि व्यवसायिक गतिविधियों के संचालन के बाद श्रेणी के अनुसार नगरीय विकास कर जमा नहीं कराया जाता है। इसलिए विभाग की ओर से राज्य के सभी स्थानीय निकायों में जल्द ही संपत्तियों के सर्वे के लिए दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे। वर्तमान में कई जगहों पर इसमें व्यवसायिक होने के बाद भी आवासीय श्रेणी होने की विसंगतियां मिली है। खाली भूखण्ड लंबे समय से हैं, लेकिन उनका भी विकास कर नहीं जमा कराया जा रहा है। इस तरह की विसंगतियों को दुरुस्त करने के लिए राज्य स्तर पर अभियान चलेगा। अभियान के बाद इसकी पूरी गतिविधियों की समीक्षा कर नए सिरे से इसकी पूरी गाइडलाइन तैयार कर वसूली का अभियान चलेगा। अभी फिलहाल वर्तमान वित्तीय सत्र में चल रहे वसूली अभियान में छेडख़ानी नहीं की जाएगी। वसूली पूरी होने के बाद इसकी भी समीक्षा होगी। फिर विभागीय स्तर पर कार्ययोजना तैयार इस दिशा में आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। इसके बाद भी निश्चित रूप से हो जाएगा कि आवासीय है तो फिर वह व्यवसायिक गतिविधियों का संचालन नहीं कर सकेगा। ऐसा मिलने पर उसके खिलाफ विधिक प्रावधनों के तहत कार्रवाई की जा सकती है।
लंबे समय से नहीं किया गया सर्वे
स्वायत्त शासन विभाग के अधिकारियों के अनुसार राज्य के 90 प्रतिशत से ज्यादा स्थानीय निकायों में पिछले कई सालों से सर्वे का काम नहीं किया गया है। बताते हैं कि ज्यादातर निकायों के पास तो सर्वे के ठोस आंकड़े तक नहीं हैं। इस प्रकार की जानकारी भी निदेशालय को मिली है। इसकी स्क्रीनिंग करने के साथ ही स्थानीय निकायों को वसूली के निर्देश भी दिए गए हैं। अधिकारियों का मानना है कि राज्य में स्थानीय निकायों की ओर से नगरीय विकास कर की होने वाली वसूली अब तक कहीं भी ज्यादा नहीं रही है। जयपुर, जोधपुर, कोटा, श्रीगंगानगर, अजमेर, सिरोही, पाली, सीकर, नागौर आदि सहित प्रदेश के अन्य निकायों की वसूली का औसत केवल 20-30 प्रतिशत तक ही रहा है। इस बार भी निकायों को इस औसत से ऊपर शतप्रतिशत लक्ष्य की पूर्ति करने के लिए चेताया गया है। यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि निर्धारित लक्ष्य से वसूली कम की स्थिति होने पर उनको वित्त आयोग के तहत मिलने वाले अनुदान के लाभ से भी वंचित होना पड़ सकता है। इसलिए वसूली अभियान में जनता में यह स्पष्ट संदेश जाना चाहिए कि 31 मार्च तक बकाया नगरीय विकास कर जमा करने की स्थिति में उनको अच्छी छूट दी जाएगी। बकाया कर में छूट की स्थिति का आंकलन स्थानीय निकायों के प्रभारी अधिकारियों को निर्धारित प्रावधानों के अनुसार करना होगा।
एक्सपर्ट व्यू
सर्वे कर वसूली होने पर अरबों का मिल सकता है नगरीय विकास
नगरपरिषद के पूर्व अध्यक्ष रहे मनोहर सिंह राठौड़ से बातचीत हुई तो राठौड़ कहा कि नगरपरिषद की ओर से होने वाली नगरीय विकास कर के दायरे में निजी भवनों में आवासीय, व्यवसायिक के साथ ही राज्य एवं केन्द्रीय कार्यालय के भवन भी आते हैं। इन सभी का मूल्यांकन कर वसूली की जाए तो नगरपरिषद को अरबों रुपए का नगरीय विकास कर मिलेगा। राठौड़ ने कहा कि वह खुद वर्ष 2010 से लगातार दस सालों तक नगरपरिषद की वित्त कमेटी में अध्यक्ष रहे हैं। उन्होंने लगातार 10 सालों तक नगरपरिषद का बजट पेश किया है। इस हिसाब से परिषद के दायरे में आने वाले सभी संपत्तियों का मूल्यांकन कर अरबों की वसूली जा सकती है। विडंबनापूर्ण स्थिति रही है कि स्थानीय निकायों की ओर से सर्वे ही नहीं होता है। वर्ष 2012 तक की अवधि में तो मूल में ही 50 प्रतिशत तक की छूट देय है। इसके बाद के वर्षों में पेनाल्टी में खासी छूट का प्रावधान है। यदि नागौर नगर परिषद इस ओर ध्यान दे तो इसकी आर्थिक स्थिति काफी बेहतर हो सकती है। इसलिए नगपरिषद को जरूर है इसकी एक बार फिर से मूल्यांकन कराने की, ताकि इस दिशा में काम हो सके।
इनका कहना है...
राज्य में संपत्तियों का नए सिरे से सर्वे कराया जाएगा। नए सिरे से सर्वे में आवासीय एवं व्यवसायिक श्रेणी में होने वाली विसंगतियों को दूर कर दिया जाएगा। आवासीय श्रेणी होने पर व्यवसायिक गतिविधि नहीं हो सकती है। इस तरह की विसंगतियों की जांच कर आवश्यक गाइडलाइन आदि निर्धारित कर दिशा-निर्देश दिए जाएंगे। अभी फिलहाल निकायों की ओर से वसूली अभियान जारी है। इसकी भी समीक्षा की जा रही है।
सुरेश ओला, निदेशक स्वायत्त शासन विभाग, निदेशालय जयपुर
Published on:
13 Mar 2024 10:28 pm
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