
deaths due to corona
नागौर. चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार जिले में कोरोना महामारी से अब तक 177 मौत हुई है, जबकि हकीकत कुछ और है। पत्रिका द्वारा की गई पड़ताल में कोरोना से मरने वालों के चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जिला मुख्यालय के अकेले जेएलएन अस्पताल से कोरोना काल के दौरान 412 डेड बॉडी कवर (लीक प्रूफ बैग) उपयोग लिए गए। गौरतलब है कि डेड बॉडी कवर कोरोना मरीजों के शव को पैक करने के लिए उपयोग किए जाते हैं। जयपुर, जोधपुर, बीकानेर व अजमेर के अस्पतालों में मरने वालों कोरोना मरीजों का आंकड़ा इसके अतिरिक्त है, वहीं कोरोना की दूसरी लहर के दौरान जिले के सीएचसी एवं पीएचसी स्तर पर ही मौतों का आंकड़ा इसमें जोड़ दिया जाए तो जिले में कुल मौतों का आंकड़ा 600 के पार हो रहा है, ऐसे में हमें कोरेाना की तीसरी लहर को लेकर सकर्त रहने की आवश्यकता है।
चिकित्सा विभाग द्वारा रोजाना जारी की जाने वाली रिपोर्ट के अनुसार अब भी कोरेाना के मरीज सामने आ रहे हैं। गत दिनों जिले में जहां मात्र छह मरीज रह गए थे, वहीं 5 अगस्त को एक साथ 4 मरीज सामने आने से मरीजों का आंकड़ा अब वापस 12 हो गया है। यानी कोरोना महामारी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है, इसके बावजूद लोगों ने मास्क लगाना व सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करना बंद कर दिया है, यह लापरवाही जिले के लिए खतरनाक साबित हो सकती है।
आरटीआई में हुआ खुलासा
यूं तो चिकित्सा विभाग कोरोना से हुई मौतों का असली आंकड़ा बताने से परहेज कर रहा है, लेकिन आरटीआई एक्टिविस्ट विकास भाटी द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत सूचना मांगने पर जेएलएन अस्पताल के पीएमओ ने बताया कि अस्पताल द्वारा कोरोना काल के दौरान कुल 422 डेड बॉडी कवर खरीदे गए, जिनमें से 10 का स्टॉक शेष है, बाकी उपयोग में लिए जा चुके हैं।
326 तो केवल पुरुष ही हैं
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के सहायक निदेशक रामदयाल मांझू की रिपोर्ट के अनुसार जिले में 4 अगस्त तक मुख्यमंत्री कोरोना सहायता योजना के तहत 326 विधवा महिलाओं तथा 17 अनाथ बच्चों को आर्थिक सहायता दी जा चुकी है। यानी 326 पुरुषों की मौत कोरोना महामारी से हुई है। इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि इतनी संख्या कोरोना से जान गंवाने वाली महिलाओं, युवाओं व बच्चों की भी रही है।
संक्रमण को रोकने के लिए बरती सतर्कता
जिले में अब तक कोरोना महामारी से 177 मौतें ही हुई हैं, शेष जो मौतें हुई हैं, उनकी जांच नहीं हो पाने या जांच में पॉजिटिव नहीं आने के बावजूद उनके लक्षण कोरोना महामारी जैसे ही थे, इसलिए उन्हें कोरोना संदिग्ध माना गया है। जेएलएन अस्पताल से जिन शवों को डेड बॉडी कवर में पैक करके दिया गया, उसकी वजह भी संक्रमण को रोकना था।
- डॉ. मेहराम महिया, सीएमएचओ, नागौर
Published on:
10 Aug 2021 09:37 am
बड़ी खबरें
View Allनागौर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
