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‘कण-कण, जीव मात्र में परमात्मा का अंश’

बड़की बस्ती चेनार में भागवत कथा

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नागौर. श्रीबालाजी सेवा धाम केमहंत स्वामी बजरंगदास महाराज ने कहा कि जो पत्थर की देवप्रतिमा में भगवान के दर्शन करता है वह साधारण भक्त है, लेकिन जो कण-कण,जीव मात्र और आत्मा में परमात्मा के अंश को देखता है वही भगवान का परम प्रिय भक्त है। वे चेनार गांव के बड़की बस्ती में सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान महायज्ञ में प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भगवान की कथा में धन की नहीं मन की जरूरत होती है। उन्होंने ऋषि कर्दम व देवहूति की भावपूर्ण कथा सुनाई। उन्होंने कपिल मुनि एवं देवहूति के माता-पुत्र के संवाद सुनाए। उन्होंने आत्मा, मन एवं शरीर के बंधन के बारे में देवहूति की जिज्ञासा के बारे में बताते हुए कहा कि मन को धीरे-धीरे वश में किया जा सकता है। मन को वश में करने का सबसे सरल तरीका संतों की संगत एवं सत्संग करने की बराबरी दुनिया में कुछ भी नहीं है। कथा के साथ कथा प्रसंगानुकूल भगवद भजनों की संगीत मय प्रस्तुति सुनकर श्रद्धालु भाव विभोर हो गए। उन्होंने कहा कि संसार दुख का घर है। यहां अपने आप को कोई सुखी महसूस नहीं करता है। यहां गरीब सोचता है कि अमीर सुखी है तो धनी सोचता है कि राजा का सुख बड़ा है राजा सोचता है कि महाराजा सुखी है लेकिन संत कहते हैं कि हरि भजन के बिना कोई सुखी नहीं है। कथा में ध्रुव प्रसंग सुनाते हुए उन्होंने मां सुनीति व पुत्र भक्त ध्रुव की शिक्षा के बारे में विस्तार से बताया।

कथा में दिए प्रेरक संदेश
उन्होंने पौराणिक आख्यानों को वर्तमान सन्दर्भ के साथ जोड़ते हुए श्रद्धालुओं को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का संदेश दिया। इसी प्रकार उन्होंने भू्रण हत्या को पाप बताते हुए श्रद्धालुओं से गर्भ हत्या नहीं करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि सरकार ने भी भू्रण हत्या पर कानूनी रोक लगाई है। आप किसी को जीवन जीने की कला नहीं दे सकते तो कोई बात नहीं किंतु किसी के जीवन जीने का हक नहीं छीनना चाहिए। यह सबका दायित्व है कि भ्रूण हत्या पर प्रभावी रोक लगे। उन्होंने कहा कि धर्मग्रंथों में मान्यता है कि भू्रण हत्या के दोषी को ब्रह्म हत्या से अधिक पाप लगता है। उन्होंने घर-घर में गाय को छोड़कर श्वान पालना धर्म व संस्कृति की सनातन परम्परा नहीं रही है।

ये रहे मौजूद
इस अवसर पर आयोजक परिवार के नगर परिषद सभापति कृपाराम सोलंकी, रामदीन, राम सिंह सोलंकी, किशोर सुथार बेंगलूरु, हरिकिशन टाक, माणकचंद डोसी, मानाराम पंचारिया, मेहराम चौधरी, कृपाराम देवड़ा, रमेश अपूर्वा, ओमप्रकाश सांखला, धर्मेंद्र सोलंकी, अखाराम बागडिय़ा, टीकम चंद कच्छावा, जगदीश सोलंकी, देवकिशन भाटी, शिवरतन बजाज, राधाकिशन तंवर, रामप्रसाद भाटी, बाबूलाल तंवर, रामनिवास टाक, जगदीश भादू हरियाणा, हरिराम सांखला, खींवराज टाक, प्रेमसुख सांखला, माणकचंद सांखला, धनराज सुथार व रामनिवास विश्नोई सहित बड़ी संख्या में पुरूष, महिलाएं व बच्चे मौजूद रहे।