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भगवानपुरा के योद्धा के घर पहुंची विजय मशाल, ब्रिगेडियर हमीर सिंह को किया सम्मानित

भगवानपुरा के सिंह ने दिसंबर की सर्द रात में कैप्चर किए दुश्मन के पोस्ट, स्वर्णिम विजय वर्ष (Swarnim Vijay Varsh) मनाया

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Nawa

नागौर जिले के भगवानपुरा निवासी ब्रिगेडियर हमीर सिंह के घर पहुंची विजय मशाल

नावांशहर. भारतीय सेना (Indian Army) ने 1971 के युद्ध (1971 War) में अदम्य शौर्य का प्रदर्शन करते हुए पाकिस्तान (Pakistan) की सेना को धूल चटा दी थी। इस विजय के 50 वर्ष पूरे होने पर भारतीय सेना वर्ष 2021 को स्वर्णिम विजय वर्ष के रूप में मना रही है। जिसको लेकर नावां उपखण्ड (Nawa) के भगवानपुरा में जन्मे ब्रिगेडियर हमीर सिंह (Brigadiyar Hamir Singh) को उनके द्वारा किए गए शौर्य प्रदर्शन के लिए वीर चक्र से सम्मानित किया गया है।

ये सम्मान उन्हें 1971 युद्ध के गोल्डन विक्ट्री ईयर के मौके पर वॉर में योगदान के लिए साउथ वेस्टर्न कमांड की ओर से मिला। उनके हाल निवासी जयपुर स्थित घर पर भी विजय मशाल लाई गई तथा उनके पैतृक गांव भगवानपुरा की मिट्टी को ले जाया गया। उस मिट्टी को दिल्ली राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में लाया जाएगा।


ब्रिगेडियर हमीर सिंह के पिता कल्याण सिंह भी सेना में मेजर जनरल के पद से रिटायर हुए तथा उनके दोनों पुत्र विजय सिंह और विक्रम सिंह अभी सेना में मेजर जनरल के पद पर सेवाएं दे रहे हैं। 8४ वर्षीय ब्रिगेडियर हमीर सिंह बताते हैं, हमारी यूनिट १4 ग्रैनेडियर्स जम्मू एंड कश्मीर अपनी कम्पनी 13 दिसम्बर को कामयमखानी (मुसलमान) के साथ जाकर विजय युद्ध किया। जिसमें मेरे सीने व बाजुओं पर 5 गोलियां लगने पर गंभीर घायल हो गया। लेकिन युद्ध जारी रहा, हमारी पलटन ने हार नहीं मानी और दुश्मनों को मात देते रहे। लेकिन पाकिस्तान की ओर से काउंटर अटैक में कुछ व्यक्तियों को पकड़ लिया। जिसमें हम 11 माह तक पाकिस्तान के हॉस्पिटल व जेल में रहे। इस युद्ध में भारत ने पोस्टो को कैप्चर किया। इस पोस्ट पर कब्जा करना आसान नहीं था। दुश्मन घात लगाकर बैठा था।

भगवानपुरा में सेना के अधिकारियों का परिवार
एक तीसरी पीढ़ी के सेना अधिकारी, ब्रिगेडियर सिंह को दिसंबर 1962 में ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट में कमीशन दिया गया था। उनके दादा, लेफ्टिनेंट फूल सिंह, पूर्ववर्ती जोधपुर लांसर्स में अधिकारी थे और प्रथम विश्व युद्ध में सेवा की थी। हमीर सिंह के पिता मेजर जनरल कल्याण सिंह दूसरे क्षेत्र की रेजिमेंट में कमीशन किए गए एक तोपखाने के अधिकारी थे और उन्होंने 1962 के भारत-चीन युद्ध में भाग लिया था। बाद के वर्षों में, उन्होंने नाइजीरियन डिफेंस अकादमी में प्रशिक्षक के रूप में काम किया और एक इन्फैंट्री बटालियन और एक इन्फैंट्री ब्रिगेड की कमान संभाली।