22 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

नागौर में बच्चों को डायरिया से बचाने के लिए चलेगा अभियान

नागौर जिले में तीन लाख से अधिक बच्चों को दी जाएगी जिंक की गोली व ओआरएस के पैकेट

2 min read
Google source verification
Nagaur : Third wave of Covid-19 epidemic threatens children

Nagaur : Third wave of Covid-19 epidemic threatens children

नागौर. प्रदेश में बाल्यकाल में दस्त रोग की रोकथाम एवं प्रबंधन (आईडीसीएफ) 2021 कार्यक्रम 7 जुलाई से 6 अगस्त तक चलाया जा रहा है। इसमें बच्चों को डायरिया से बचाव करने के लिए जागरूक किया जाएगा। डायरिया की चपेट में आने वाले बच्चों को किस प्रकार से उपचार देना है और क्या सावधानी बरतनी है, इन सब बातों को लेकर आमजन में जागरुकता लाने का काम होगा।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मेहराम महिया ने बताया कि डायरिया 5 साल से छोटे बच्चों में मृत्यु का एक मुख्य कारण है। राजस्थान में 5 वर्ष से छोटे उम्र के बच्चों में एक वर्ष में करीब 2 बार डायरिया होने की आशंका होती है। डायरिया से होने वाली मृत्यु अथवा जटिलताओं की संभावना प्राय: गर्मियों में एवं मानसून के मौसम में रहती है। मुख्य रूप से शहरी बस्तियों एवं सामाजिक एवं आर्थिक रूप से कमजोर लोग प्रभावित होते हैं। कोविड-19 महामारी के दौरान, आईडीसीएफ की समस्त गतिविधियों को प्रत्येक स्तर पर अभियान के रूप में किया जाएगा।

अतिरिक्त मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. शीशराम चौधरी ने बताया कि आगामी 6 अगस्त तक सशक्त दस्त नियंत्रण कार्यक्रम की गतिविधियां विशेष सावधानी के साथ आयोजित की जानी है। इस अभियान के तहत तीन लाख से अधिक बच्चों को ओआरएस के पैकेट व जिंक की गोली वितरित की जाएगी। उन्होंने बताया कि इस अभियान के तहत दस्त रोग के प्रबंधन में ओआरएस एवं जिंक को बढ़ावा देने के साथ-साथ देखभालकर्ता के व्यवहार एवं सोच में गलत भ्रांतियों को दूर कर, डायरिया से बचाव एवं उपचार के तरीके में परिवर्तन लाना है। संस्था स्तर पर बच्चों में दस्त रोग के ईलाज के लिए मानक चिकित्सकीय प्रोटोकॉल का अनुसरण करना है। समुदाय में घरेलू स्तर (5 साल से छोटे बच्चों) पर ओआरएस एवं जिंक की उपलब्धता एवं उपयोग को बढ़ाना है। चिकित्सा संस्थान पर निर्जलीकरण के इलाज संबंधी सेवाएं सुनिश्चित करना है।

एडीशनल सीएमएचओ चौधरी ने बताया कि इस अभियान के तहत ऐसे स्थानों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा, जहां शहरी बस्तियां है और ऐसे उपकेंद्र जहां एएनएम उपलब्ध नहीं है। नोमेडिक साइट्स, ईंट भट्टे एवं ऐसे समुदाय जिन्हें बीमार होने का खतरा अधिक है, वहां पर एएनएम एवं आशा के पास ओआरएस एवं जिंक की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करेंगे। आशा ऐसे सभी घर जिनमें 5 वर्ष से छोटे बच्चे हैं, उनमें प्रति बच्चे को एक ओआरएस का पैकेट वितरित करेगी। साथ ही इसे बनाने का तरीका एवं उपयोग की विधि सिखाएगी।