केन्द्र की टीम ने जिले की गोशालाओं का निरीक्षण करने के दौरान डेह व ऐवाद में भैंस वंश के भी सैम्पल लिए। इसके लिए टीम पशुपालकों के घर पहुंची तथा वहां से सैम्पल लिए। उन्होंने बताया कि हालांकि भैंस वंश में यह बीमारी अभी ज्यादा नहीं फैली है, लेकिन आशंका है, इसलिए सैम्पल लिए गए हैं, ताकि पता चल सके कि कौनसी बीमारी है।
जिले में गोवंश एवं भैंस वंश में फैल रही लम्पी स्कीन डिजीज की आपातकालीन स्थिति के मद्देनजर कन्ट्रोल रूम को नागौर पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक कार्यालय में स्थापित किया गया है, जिसके दूरभाष नम्बर 01582-294061 हैं। इस कन्ट्रोल रूम के माध्यम से इस कार्यालय के कार्यक्षेत्र (ब्लॉक नागौर, मूण्डवा, खींवसर, जायल, डेगाना, मेड़ता, रियांवड़ी व भैरुन्दा) के पशुपालकों को सेवाएं प्रदान की जा सकेगी। इसके साथ ही जिले में संक्रमित पशुओं का उपचार करने के लिए 29 रेपिड रिस्पोंस टीमों का गठन किया गया, जिसकी मॉनिटरिंग ब्लॉक नोडल अधिकारी की ओर से नियमित रूप से की जा रही है। रोग ग्रस्त गोवंश की स्थिति को देखते हुए भामाशाह व ग्राम पंचायत मकोड़ी के सरपंच भंवरलाल एवं शिवकरण धोलिया ने औषधियां क्रय कर गोवंश का उपचार करने में सहयोग किया है।
बुधवार को नागौर जिले की विभिन्न गोशालाओं का निरीक्षण किया और सैम्पल लिए हैं। कई सारे पशुओं में लम्पी स्कीन डिजीज होना सामने आया है, लेकिन पुष्टि सैम्पल की जांच होने के बाद हो पाएगी। इसके लिए सैम्पल भारत सरकार की ओर से निर्धारित देश की सर्वोच्च प्रयोगशाला में भेजे जाएंगे। अभी रोग नियंत्रण के लिए सरकार की ओर से चलाए जा रहे कार्यक्रम के तहत जारी एडवायजरी के अनुसार प्रभावित पशु व स्वस्थ पशु को अलग-अलग रखना सहित अन्य की पालना के लिए कहा गया है। बारिश के मौसम में इस बीमारी के फैलने की संभावना ज्यादा रहती है। इसलिए गाइडलाइन का पालन पूरी तरह से करें, ताकि यह बीमारी दूसरे पशुओं तक न फैले।
– डॉ. शशि भूषण सुधाकर, एनआईएचएसएडी भोपाल