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केन्द्र सरकार की टीम ने जिले की पांच गोशालाओं से लिए 60 सैम्पल

locationनागौरPublished: Aug 04, 2022 01:41:33 pm

Submitted by:

shyam choudhary

नागौर जिले के गोवंश में तेजी से फैल रही है लम्पी स्कीन डिजीज को लेकर सतर्क हुआ पशुपालन विभाग- जिले में अब तक सवा लाख पशुओं का सर्वे, 8,262 प्रभावित पशुओं का किया उपचार, 2003 पशु बीमारी से हुए ठीक

Central government team took 60 samples from five cowsheds of district

Central government team took 60 samples from five cowsheds of district

नागौर. जिले में लम्पी स्कीन बीमारी दिनों-दिन अपने पैर पसार रही है। ग्रामीण इलाकों में बीमारी से पीडि़त गोवंश की बड़ी संख्या में मौतें भी हो रही हैं। वहीं पशुपालन विभाग की ओर से बीमारी की रोकथाम व बीमार पशुधन का उपचार करने के लिए जिला मुख्यालय पर कंट्रोल रूप स्थापित किया है, जो 24 घंटे चालू रहेगा, वहीं 29 रेपिड रिस्पोंस टीमों का गठन भी किया गया है। साथ ही पशुपालन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अब तक करीब सवा लाख पशुओं का सर्वे करवाकर 8,262 प्रभावित पशुओं का उपचार किया गया है, जिसमें से 2003 पशु बीमारी से ठीक हुए हैं।
उधर, पशुपालन मंत्रालय, भारत सरकार के स्तर से भेजी गई टीम में शामिल उप निदेशक डॉ. सुरेन्द्रपाल सिंह, राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशुरोग संस्थान (एनआईएचएसएडी) भोपाल के डॉ. शशि भूषण सुधाकर एवं उनकी टीम ने बुधवार को नागौर के ग्रामीण क्षेत्रों का दौरा कर िस्थति का जायजा लिया और पीडि़त गोवंश व भैंस वंश के सैम्पल लिए। नागौर पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. महेश कुमार मीणा ने बताया कि केन्द्र की टीम के सहयोग के लिए पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. मोहम्मद अयुब टाक एवं जिला पशुरोग निदान प्रयोगशाला के डॉ. अनिल कुमार वैष्णव साथ रहे।
टीम ने बुधवार सुबह सबसे पहले खरनाल पहुंचकर गोशाला में पीडि़त गोवंश के सैम्पल लिए और स्थानीय पशु चिकित्सकों व कर्मचारियों के माध्यम से उनका उपचार करवाया। इसके बाद ताऊसर, सोमणा, ऐवाद, डेह व नागौर में गोशालाओं व पशुपालकों के बाड़ों से गोवंश व भैंस वंश के सैम्पल लिए और उपचार करवाया। टीम ने बुधवार को कुल 60 सैम्पल एकत्र किए हैं, जो देश की सर्वोच्च प्रयोगशाला में भेजे जाएंगे।
केन्द्र की टीम में शामिल डॉ. सुधाकर ने पत्रिका से विशेष बातचीत में बताया कि बीमारी के लक्षण लम्पी स्कीन डिजीज के हैं, लेकिन पुष्टि सैम्पल की जांच रिपोर्ट के बाद ही हो पाएगी। इसलिए केन्द्र सरकार की ओर से पहले से ही जारी एडवायजरी की पालना अक्षरश सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय अधिकारियों एवं राज्य सरकार सिफारिश करेंगे।
भैंस वंश के भी लिए सैम्पल
केन्द्र की टीम ने जिले की गोशालाओं का निरीक्षण करने के दौरान डेह व ऐवाद में भैंस वंश के भी सैम्पल लिए। इसके लिए टीम पशुपालकों के घर पहुंची तथा वहां से सैम्पल लिए। उन्होंने बताया कि हालांकि भैंस वंश में यह बीमारी अभी ज्यादा नहीं फैली है, लेकिन आशंका है, इसलिए सैम्पल लिए गए हैं, ताकि पता चल सके कि कौनसी बीमारी है।
जिले में रेपिड रिस्पोंस टीमों का गठन
जिले में गोवंश एवं भैंस वंश में फैल रही लम्पी स्कीन डिजीज की आपातकालीन स्थिति के मद्देनजर कन्ट्रोल रूम को नागौर पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक कार्यालय में स्थापित किया गया है, जिसके दूरभाष नम्बर 01582-294061 हैं। इस कन्ट्रोल रूम के माध्यम से इस कार्यालय के कार्यक्षेत्र (ब्लॉक नागौर, मूण्डवा, खींवसर, जायल, डेगाना, मेड़ता, रियांवड़ी व भैरुन्दा) के पशुपालकों को सेवाएं प्रदान की जा सकेगी। इसके साथ ही जिले में संक्रमित पशुओं का उपचार करने के लिए 29 रेपिड रिस्पोंस टीमों का गठन किया गया, जिसकी मॉनिटरिंग ब्लॉक नोडल अधिकारी की ओर से नियमित रूप से की जा रही है। रोग ग्रस्त गोवंश की स्थिति को देखते हुए भामाशाह व ग्राम पंचायत मकोड़ी के सरपंच भंवरलाल एवं शिवकरण धोलिया ने औषधियां क्रय कर गोवंश का उपचार करने में सहयोग किया है।
गोशालाओं निरीक्षण किया है
बुधवार को नागौर जिले की विभिन्न गोशालाओं का निरीक्षण किया और सैम्पल लिए हैं। कई सारे पशुओं में लम्पी स्कीन डिजीज होना सामने आया है, लेकिन पुष्टि सैम्पल की जांच होने के बाद हो पाएगी। इसके लिए सैम्पल भारत सरकार की ओर से निर्धारित देश की सर्वोच्च प्रयोगशाला में भेजे जाएंगे। अभी रोग नियंत्रण के लिए सरकार की ओर से चलाए जा रहे कार्यक्रम के तहत जारी एडवायजरी के अनुसार प्रभावित पशु व स्वस्थ पशु को अलग-अलग रखना सहित अन्य की पालना के लिए कहा गया है। बारिश के मौसम में इस बीमारी के फैलने की संभावना ज्यादा रहती है। इसलिए गाइडलाइन का पालन पूरी तरह से करें, ताकि यह बीमारी दूसरे पशुओं तक न फैले।
– डॉ. शशि भूषण सुधाकर, एनआईएचएसएडी भोपाल

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