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कबूल है-कबूल है-कबूल है के साथ हमराह हमसफर

कबूल है-कबूल है-कबूल है के साथ चार जोड़े रविवार को निकाह कर हमसफर बने। सैय्यद अहमद अलीशाह सामाजिक विकास समिति की ओर से किले की ढाल के पास स्थित दरगाह के निकट बाबा मैरीज हॉल में मुस्लिम समाज के सामूहिक विवाह सम्मेलन में जोड़े हमराह हुए तो फिर इन्हें बधाइयां दी गई इस सामाजिक मुहिम का हिस्सा बनने की

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Nagaur patrika

Confess it - confess - confess with be wife and husbend

नागौर. कबूल है-कबूल है-कबूल है के साथ चार जोड़े रविवार को निकाह कर हमसफर बने। सैय्यद अहमद अलीशाह सामाजिक विकास समिति की ओर से किले की ढाल के पास स्थित दरगाह के निकट बाबा मैरीज हॉल में मुस्लिम समाज के सामूहिक विवाह सम्मेलन में जोड़े हमराह हुए तो फिर इन्हें बधाइयां दी गई इस सामाजिक मुहिम का हिस्सा बनने की। जोधपुर, टोंक, खाटू से पहुंची बारातों का समिति के पदाधिकारियों के साथ ही यहां पर उपस्थित विभिन्न समाज के गणमान्यों ने स्वागत किया, और इन रस्मों का हिस्सा बने। इस मौके पर मौलाना हैदरी ने अपनी तकरीर में इस तरह के कार्यक्रम के अधिकाधिक होने पर बल देते हुए इसकी महत्ता समझाई।
सुबह करीब 11 बजे से निकाह की रस्में अदायगी शुरू हो गई। रस्मों की शुरुआत तिलावते कुरान एवं नात शरीफ से हुई। दुल्हों में टोंक से आए शाहरूख खान का निकाह माएदा से, जोधपुर से आए अब्दुल कादिर का निकाह परवाीन बानो, जोधपुर के ही लियाकत का निकाह फरजाना एवं खाटू के मोहम्मद साजिद का निकाह शबनम बानो से कराया गया। चारों जोड़ों की दुल्हनें नागौर की ही हैं। अलग-अलग जिलों से पहुंची बारात का स्वागत करने के बाद जोड़ों को निकाह स्थल पर पहुंचाया गया। यहां पर बड़े पीर दरगाह के मौलाना यूसुफ शेरानी, मौलाना समाउद्दीन ने चारों जोड़ों का इस्लामिक पद्धति से निकाह कराया। निकाह की रस्म अदायगी का गवाह पंडाल में उपस्थित हजारों जोड़ी आखें बनी। निकाह होने के साथ ही गणमान्यों की ओर से जोड़ों को मुबारकबाद दी गई। इस दौरान हुई तकरीर में मौलाना हैदरी ने समिति के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि इस तरह के कार्यक्रमों से न केवल सामाजिक एकता की बुनियाद को मजबूती मिलती है, बल्कि एकसाथ कई लोग एक मंच पर मिलते हैं। इससे निश्चित रूप से सामाजिक समरसता को प्रोत्साहन मिलता है। इससे केवल धन के अपव्यय पर ही रोक नहीं लगती है, बल्कि सामाजिक मंच के माध्यम से लोगों का मेलजोल भी बढ़ता है। इसके पश्चात सम्मेलन के कार्यक्रम में योगदान करने वाले भामाशाहों का सम्मान किया गया। तत्पश्चात दावते तआम हुआ। इसमें सैय्यद अख्तर अली, हाजी रोशनखां, जावेद गोरी, हाजी अब्दुल, अख्तर पहलवान एवं शरीफ कुरैशी आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे।